गुरूवार, दिसम्बर 26, 2024
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दिल्ली में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थी को लेकर सोशल मीडिया पर शेयर किया भ्रामक दावा

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A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर कर यह दावा किया गया कि यह दिल्ली में रोड के किनारे रहने वाला एक लाचार असहाय रोहिंग्या है, जिसके पास खाने तक को कुछ नही है. बस तीन बीवियां जिसमें 2 गर्भवती हैं, 8 बच्चे हैं और एक सस्ता घटिया वाला सैमसंग 7 c7 pro मोबाइल है. जिसकी कीमत मात्र 29000 रुपये है.

भारत में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों का पिछले कई वर्षों से विरोध हो रहा है. विशेषकर भाजपा एवं दक्षिणपंथी विचारधारा के समर्थक आये दिन रोहिंग्या शरणार्थियों के देश में निवास से हो रहे नुकसान की बात करते रहते हैं. देश में कथित तौर पर अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को बाहर निकालने के लिए पूरे देश में एनआरसी लगाने की चर्चा भी आये दिन होती रहती है. वहीं वामपंथी विचारधारा तथा कांग्रेस पार्टी का समर्थन करने वाले यूजर्स का एक बड़ा धड़ा इन शरणार्थियों की गरीबी तथा इनके रहने का ठिकाना ना होने की दलील देकर उन्हें देश में रखने की मांग करता है.

इसी क्रम में दक्षिणपंथी यूजर्स द्वारा सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर कर यह दावा किया गया कि रोहिंग्या गरीब होने का दिखावा करते हैं, जबकि हकीकत में वे अपनी आबादी बढ़ा रहे हैं और महंगी वस्तुओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. तस्वीर शेयर कर लिखा गया है, “दिल्ली में रोड के किनारे रहने वाला एक लाचार असहाय रोहिंग्या जिसके पास खाने तक को कुछ नही है, बस तीन बीवियां जिसमे 2 गर्भवती हैं, 8 बच्चे हैं और एक सस्ता घटिया वाला सैमसंग 7 c7 pro मोबाइल है जिसकी कीमत मात्रा 29000 रुपये है. हमे इनका जीवन सुधारना है इसलिए समय पर टैक्स दीजिये”

यह दावा फेसबुक पर भी खासा वायरल हो रहा है.

रोहिंग्या शरणार्थियों की पुरानी तस्वीर भ्रामक दावे के साथ की जा रही शेयर

Fact Check/Verification

वायरल तस्वीर की पड़ताल के लिए हमने सबसे तस्वीर को गूगल पर ढूंढा. लेकिन इस प्रक्रिया में हमें वायरल दावे से मिलते जुलते कुछ अन्य पुराने दावों के अलावा कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई. इसके बाद हमने वायरल तस्वीर को Yandex नामक सर्च इंजन पर ढूंढा. जहां हमें वायरल तस्वीर को लेकर News18 इंडिया द्वारा 15 अप्रैल 2018 को प्रकाशित एक लेख मिला.

News18 इंडिया द्वारा प्रकाशित इस लेख के अनुसार, दिल्ली में रोहिंग्या शरणार्थियों के निवास के लिए बनाई गई दारुल हिजरत कॉलोनी में आग लगने के बाद इस रोहिंग्या परिवार का मकान जल गया. इसके साथ ही परिवार के कई सदस्यों को गंभीर चोटें भी आई हैं. बता दें कि News18 के लिए वायरल तस्वीर लेने वाले फोटोग्राफर और पत्रकार का नाम देबयान रॉय है.

इसके बाद हमने वायरल तस्वीर लेने वाले देबयान रॉय के ट्विटर अकाउंट पर वायरल तस्वीर के बारे में जानकारी जुटाने का प्रयास किया. इस दौरान हमें देबयान द्वारा 25 जून 2019 को किया गया एक ट्वीट प्राप्त हुआ. जहां उन्होंने वायरल तस्वीर को पोस्ट करके दावे को फेक बताया है।

Alt News ने भी वर्ष 2018 में इस दावे की पड़ताल की थी. अपनी पड़ताल के दौरान Alt News ने उस समय News18 के लिए वायरल तस्वीर लेने वाले फोटोग्राफर और पत्रकार देबयान रॉय से बात की थी. देबयान ने बताया कि तस्वीर में दिख रहा परिवार बस्ती में लगी आग से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. परिवार का घर जल गया है तथा परिवार के कई सदस्यों को गंभीर चोट भी आई थी. Alt News द्वारा तस्वीर में दिख रहे बच्चों तथा महंगे फ़ोन के बारे में पूछने पर देबयान ने बताया कि तस्वीर में दिख रहे परिवार में सिर्फ 2 ही बच्चें हैं बाकि के बच्चे दूसरे परिवार के हैं. देबयान ने आगे यह जानकारी दी कि तस्वीर में दिख रहा मोबाइल फ़ोन आग के बाद बचाव कार्य के लिए आई एक सामाजिक संस्था के सदस्य का है, जिसे हाथ में लेने के बाद उक्त शरणार्थी कौतूहल से उसे देखने लगा.

Conclusion

इस तरह हमारी पड़ताल में यह बात साफ हो जाती है कि वायरल तस्वीर ना सिर्फ पुरानी है, बल्कि वायरल तस्वीर में दिख रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को अमीर बताने का दावा भी भ्रामक है.

Result: Misleading

Our Sources

News18 India

Alt News

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A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.

Saurabh Pandey
A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.

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