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जानिए रूह अफ़ज़ा कंपनी के बारे में फैलाई जा रही अफवाह का सच

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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

Claim
रूहअफजा वक्फ बोर्ड द्वारा चलाई जा रही कंपनी है। जिसका सारा पैसा मजारों, मदरसों एवं मुसलमानों के विकास में लगाया जाता है। रूहअफजा उसी वक्फ बोर्ड की कंपनी है जिसे अयोध्या में राम मंदिर से ऐतराज़ है।
Verification
गर्मियों में शरीर को तरावट प्रदान करने वाला भारतीय पारम्परिक शीतल पेय रूह अफ़ज़ा सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। सोशल मीडिया में कई यूजर इसके बहिष्कार की बात कर रहे हैं। सांप्रदायिक ऐंगल देते हुए कई यूजर हिन्दुओं से इस शीतल पेय पदार्थ को ना खरीदने की अपील कर रहे हैं। यूजर्स का कहना है कि हिन्दुओं द्वारा खरीदे जाने वाले इस उत्पाद से मुसलमानों का भला हो रहा है और यह कंपनी वक्फ बोर्ड द्वारा संचालित की जाती है जो अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में बाधक बनी हुई है। 
 
 
 
 
 
 
दावे की हकीकत जानने के लिए खोज के दौरान आये प्रारम्भिक नतीजों को स्क्रीनशॉट में देखा जा सकता है। 
 
बारीकी से खोजने के बाद हमें आजतक की एक खबर दिखी। इस खबर में रूह अफ़ज़ा के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई है। लेख के मुताबिक़ इसकी शुरुआत ब्रिटिश भारत में साल 1907 में की गई थी। दिल्ली में उस साल गर्मी से बेहाल लोगों के लिए यह एक अचूक औषधि के रूप में काम आयी। इतिहास पर गौर करें तो 113 साल पहले हकीम हाफिज अब्दुल मजीद ने यूनानी पद्धति से गाजियाबाद में एक दवाखाना खोला था जिसने आज कई देशों में अपना विस्तार कर लिया है। आज यह कंपनी हमदर्द के रूप में जानी जाती है। भारत के आजाद होने के बाद इसके एक पार्टनर पाकिस्तान चले गए थे जहां पर रूह अफ़ज़ा काफी मशहूर ब्रांड बन चुका है। हालांकि इस पेय पदार्थ के भारतीय बाजार से गायब होने की चर्चाएं भी हो रही हैं।
गूगल खंगालने के बाद पता चला कि बीते मई महीने में इस पेय पदार्थ की काफी किल्लत हो गई थी।  दिल्ली सहित देश के अनेक हिस्सों में रूह अफ़ज़ा की कमी से सोशल मीडिया में कई अफवाहें आनी शुरू हो गई। सोशल मीडिया में लोग यहां तक कहते दिखे कि अब यह कंपनी बंद होने वाली है। हालाँकि इस बात का खंडन कम्पनी ने किया है। ज्यादा जानकारी यहाँ से ली जा सकती है।
पड़ताल के दौरान हमें पता चला कि हमदर्द लैबोरेटरी एक नॉन प्रॉफिटेबल संस्था है जो इस पेय पदार्थ का निर्माण करती है। यह किसी भी सरकारी धन से संचालित होने वाली संस्था नहीं है।
 
हमारी पड़ताल में यह साबित हो गया कि रूह अफ़ज़ा निर्माण करने वाली संस्था एक निजी संस्था है। यह होली और ईद दोनों पर उत्सव का आयोजन करती है। यह मुमकिन है कि यह कंपनी मुसलमानों के विकास के लिए कार्य करती होगी। लेकिन कई लेख पढ़ने के बाद यह साफ़ हो गया कि कंपनी ने सार्वजनिक तौर पर कभी भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का विरोध नहीं किया है।
साल 2008 में अपने जमाने की मशहूर अदाकार जूही चावला को इस कम्पनी ने अपना ब्रांड एम्बेस्डर बनाया था।
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Result: Misleading

Authors

Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

JP Tripathi
Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

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