Authors
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.
दिल्ली से 160 किलोमीटर दूर और 22 लाख से अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश के संभल जिले को लेकर, सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रहा है। संभल की खास बात यह है कि यहाँ मुस्लिम आबादी ज्यादा है। ऐसे में दावा किया जा रहा है, ‘संभल में 35 साल पहले मुस्लिमों ने जिले के एक मंदिर में ताला लगवा दिया था। लेकिन अब योगी सरकार ने 20 अन्य जिलों की पुलिस भेजकर मंदिर का ताला तुड़वाया और वहां स्थापित शिवलिंग में जल चढ़वाया। वहीं इस मामले में यूपी पुलिस ने 18 जिहादियों को गिरफ्तार भी किया।’
वायरल पोस्ट का आर्काइव लिंक यहाँ देखें।
फेसबुक
वायरल पोस्ट को बीते अप्रैल माह में भी ट्विटर पर खूब शेयर किया गया था। लेख लिखे जाने तक इस पोस्ट को 1000 से भी अधिक रिट्वीट तथा 1500 से भी ज्यादा लाइक मिल चुके हैं।
Fact Check / Verification
क्या यूपी के संभल में 35 साल बाद किसी मंदिर को एक समुदाय विशेष के कब्जे से मुक्त कराया गया है? इस दावे का सच पता करने के लिए पड़ताल शुरू की। इस दौरान सबसे पहले हमने वायरल पोस्ट से संबंधित कीवर्ड्स की सहायता से गूगल पर खोजना शुरू किया, जहां हमें 9 जुलाई 2021 को शिव मंदिर के महंत की हुई हत्या से संबंधित एक रिपोर्ट मिली। लेकिन इस दौरान हमें वायरल दावे से संबंधित कोई जानकारी नहीं मिली।
वायरल दावे की जानकारी के लिए, हमने गूगल पर दोबारा कुछ संबंधित कीवर्ड्स के साथ गूगल पर खोजना शुरू किया। इस दौरान हमें ABP न्यूज़ की वेबसाइट पर साल 2017 में प्रकाशित एक लेख मिला, जहां एक ऐसे ही दावे की सत्यता बताते हुए दावे को फर्जी बताया गया था।
पड़ताल के दौरान मिली ABP की रिपोर्ट कई साल पुरानी है और वायरल दावा हालिया दिनों में वायरल है। इसलिए ठोस जानकारी के लिए हमने संभल के मौजूदा सांसद डॉ शफीकुर रहमान बर्क से भी फ़ोन पर सीधा संपर्क किया। इस दौरान उन्होंने बताया, “वायरल दावा बिलकुल फर्जी है, संभल में 35 साल पहले मुस्लिमों द्वारा किसी भी मंदिर को बंद नहीं किया गया था। सूबे में चुनाव नजदीक है, इसलिए कुछ अराजक तत्व माहौल खराब करने के लिए ऐसी अफवाहें फैलाते हैं। ऐसी अफवाह फ़ैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।”
वायरल पोस्ट की सटीक जानकारी के लिए, हमने संभल के एसपी चक्रेश मिश्रा से भी फोन पर संपर्क किया, जहां हमारी बात उनके जनसंपर्क अधिकारी से हुई, बातचीत के दौरान उन्होंने बताया “यह दावा पूरी तरह से फर्जी है, यह दावा पहले भी कई बार वायरल हो चुका है। पुलिस विभाग द्वारा पहले भी इसका खंडन किया था। संभल जिले की पुलिस या किसी अन्य जिलों की पुलिस ने ऐसा कुछ नहीं किया है और ना ही मंदिर बंद करने के मामले में किसी को हिरासत में लिया है। यह एक अफवाह है जो सिर्फ सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने और माहौल खराब करने के लिए शेयर की जाती है।”
Conclusion
वायरल दावे की पड़ताल के दौरान उपरोक्त मिले तथ्यों से पता चला कि वायरल दावा फर्जी है। पहले भी कई बार यह दावा वायरल हो चुका है, जिसका पुलिस विभाग द्वारा खंडन किया गया था। पुलिस का कहना है कि यह सन्देश सिर्फ सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने तथा माहौल ख़राब करने के लिए शेयर किया जाता है।
Result- False
Our Sources
Phone verification
https://www.abplive.com/news/india/know-truth-of-this-viral-message-9-592196
किसी संदिग्ध ख़बर की पड़ताल, संशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044 या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in
Authors
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.