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मोदी राज से पहले भी होता था कश्मीर में सत्संग, गलत तरीके से वायरल हो रहा है वीडियो

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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

Claimक्या कश्मीर में ‪40 साल बाद भजन कीर्तन हुआ? कुछ इस तरह के सन्देश तेजी से सोशल मीडिया में शेयर किए जा रहे हैं। मोदी है तो मुमकिन है। 

Verification– कश्मीर में भजन कीर्तन वाला एक सन्देश सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। सन्देश के साथ एक वीडियो टैग कर यहां सालों बाद ऐसा होने का दावा किया जा रहा है। सोशल मीडिया में किए जा रहे कई दावों को नीचे देखा जा सकता है।
वायरल वीडियो में यह दिखाया जा रहा है कि कुछ लोग ढोल मजीरों के साथ सत्संग कर रहे हैं। मामले की सच्चाई जानने के लिए गूगल खंगालना आरंभ किया। हरे रामा हरे कृष्णा कीवर्ड डालकर खोजने पर अमर उजाला का एक लेख प्राप्त हुआ। यह लेख साल 2014 में लिखा गया है। अपने शीर्षक ‘हरे रामा-हरे कृष्णा के जयघोष से गूंजा शहर’ के हवाले से कीर्तन के बारे में कई बातें बताई गई हैं। लेख के मुताबिक सनातन सभा द्वारा राजौरी जिले में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। झांकी कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं, पुरुषों और बच्चों ने भाग लिया।
यूट्यूब खंगालने पर हमें एक वीडियो प्राप्त हुआ जो वायरल हो रहे वीडियो की पुष्टि करता है। वास्तव में राम नवमी के मौके पर इस साल कश्मीर घाटी में इस्कॉन टेम्पल के लोगों ने एक झांकी निकाली थी।
क्या कश्मीर में पहली बार या 40 साल बाद रामनवमी पर कीर्तन या झांकी निकाली गई यह जानना भी बेहद जरूरी था। इस बाबत पड़ताल करने पर हमें ‘जम्मू लिंक्स’ नामक एक यूट्यूब चैनल का वीडियो दिखा जो साल 2018 का बताया गया है। वीडियो के मुताबिक कश्मीर घाटी में साल 2018 में भी हरे रामा हरे कृष्णा संस्था ने कीर्तन और झांकी का आयोजन किया था। खबर को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक किया जा सकता है।
हमारी पड़ताल के दौरान कश्मीर की एक स्थानीय वेबसाइट की खबर दिखी जिसे साल 2015 में प्रकाशित किया गया है। इस खबर से भी पुष्टि होती है कि कश्मीर में हो रहा कीर्तन कोई नया या 40 साल बाद आयोजित नहीं हुआ था।
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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

JP Tripathi
Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

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