Claim–
हैदराबाद में 40%मुस्लिम है हिन्दू पतंग नहीं उड़ा सकते। पश्चिम बंगाल में 27%मुस्लिम है हिन्दू दुर्गा पुजा, सरस्वती पुजा नहीं मना सकते। Up में 20%मुस्लिम है हिंदू कांवर यात्रा मुस्लिम बहुल इलाके से नहीं ले जा सकते। कश्मीर में 97%मुस्लिम है हिन्दू वहा रह ही नहीं सकते . What the hell
Verification
क्या दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में किसी ख़ास समुदाय की वजह से कई राज्यों में हिन्दुओं को त्योहार मनाने की मनाही है? एक ऐसा ही वायरल सन्देश सोशल मीडिया में 4 राज्यों के बारे में तेजी से शेयर किया जा रहा है। सन्देश के मुताबिक़ कश्मीर, उत्तर प्रदेश सहित पश्चिम बंगाल और हैदराबाद में मुसलमानों की संख्या ज्यादा होने की वजह से हिन्दू अपना पर्व नहीं मना सकते।
पड़ताल के दौरान सबसे पहले हैदराबाद के उस दावे का सच जानने की कोशिश की जिसमें बताया गया है कि वहां की मुस्लिम आबादी 40 फ़ीसदी है। खोज के दौरान
दैनिक हिंदुस्तान का एक लेख मिला। खबर ने चुनावों के वक्त एक सर्वे के बारे में लिखा है जो तेलंगाना से सम्बंधित है। गौरतलब है कि अभी हाल ही में तेलंगाना आंध्रप्रदेश से अलग राज्य बना है। इस लेख ने सूबे की 40 फ़ीसदी सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की महत्ता पर प्रकाश डाला है।
हैदराबाद में मुसलमानों की आबादी कितनी है? खोज के दौरान यह भी आंकड़ा प्राप्त हो गया। गूगल खंगालने पर पता चला कि शहर में मुसलमानों की कुल आबादी 39.43 लाख है। इस जनसँख्या में मुसलमान आबादी 17.13 लाख है जो कुल आबादी का 43.35% है। जबकि दावा किया जा रहा है कि आबादी 40 फीसदी है।
अब बारी उस सच को सामने लाने की थी कि क्या सच में हैदराबाद में पतंग उड़ाने की मनाही है। खोज के दौरान फाइनेंसियल एक्सप्रेस का एक लेख प्राप्त हुआ। इस लेख ने अपने शीर्षक में साफ़ लिखा था कि हैदराबाद में पतंगबाजी पर लगी रोक। यह पढ़ने पर शक गहरा गया कि हो सकता है कि खबर सही हो। हालांकि पूरा लेख ध्यान से पढ़ने पर तस्वीर बदल गई। पूरी खबर को
यहां पढ़ भी सकते हैं और स्क्रीनशॉट में हकीकत भी जान सकते हैं।
सोशल मीडिया में खबर के वायरल होने के बाद 14 जनवरी 2019 को शहर के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर ने पतंगबाजी पर सोशल मीडिया में वायरल हो रही खबर का खंडन भी किया था।
हमारी पड़ताल में पहला दावा गलत साबित हो चुका था। अब बारी थी दूसरे दावे के पड़ताल की। दूसरे दावे के मुताबिक ‘पश्चिम बंगाल में 27%मुस्लिम हैं हिन्दू दुर्गा पुजा, सरस्वती पूजा नहीं मना सकते’ इस बाबत खोज शुरू की।
गूगल खंगालने पर पता चला कि मौके पर इस सूबे में मुसलमानों की कुल आबादी 27.01% है।
अब इस बात की पड़ताल जरुरी थी कि क्या वहां हिन्दुओं को दुर्गापूजा और सरस्वती पूजा मनाने की मनाही है? खोज के दौरान कई चौंकाने वाले आंकड़े मिलने शुरू हुए। साल 2017 में ममता बनर्जी ने एक ही दिन मोहर्रम और दुर्गा विसर्जन होने से दुर्गा पूजा के समय में बदलाव कर दिया था। उनके इस आदेश से देश भर में हिंदुओं ने प्रदर्शन किये थे और नाराजगी जताई थी।
अमर उजाला के मुताबिक़ 2 अक्टूबर की जगह दुर्गा पूजा की इजाजत 3 और 4 अक्टूबर को दी गई थी।
यदि साल 2018 की बात करें तो पता चलता है कि ममता बनर्जी ने दुर्गा, पूजा पांडालों को कुल 28 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया था। उनके इस फैसले का कई संगठनों ने विरोध भी किया। इसके साथ ही मोहर्रम पर लाठी और तलवार पर भी उन्होंने
बैन लगा दिया था।
तीसरे दावे की पड़ताल कि ‘Up में 20%मुस्लिम हैं, हिंदू कांवड़ यात्रा मुस्लिम बहुल इलाके से नहीं ले जा सकते’ शुरू की। गूगल के मुताबिक उत्तर प्रदेश में कुल मुस्लिम आबादी साल 2018 के मुताबिक 19.3% है।
वर्ष 2018 में
बरेली जिले में मुस्लिम बहुल इलाके में कांवड़ यात्रा के दौरान बवाल हुआ था। इस दौरान मुस्लिम बहुल इलाके से गुजरने वाले कांवड़ियों के एक जत्थे का लोगों ने विरोध किया था। इस प्रकरण में सैकड़ों लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था।
बरेली सहित कुछ मौकों को छोड़ दें तो पता चलता है कि सूबे में ऐसा नहीं है कि हर उस जगह पर बवाल होता है जहां मुसलमान बहुसंख्यक हैं।
चौथे और आखिरी दावे में कहा गया है कि ‘ कश्मीर में 97% मुस्लिम है हिन्दू वहां रह ही नहीं सकते’ इस दावे की पड़ताल आरम्भ की। गूगल के मुताबिक कश्मीर की कुल आबादी का करीब 97 फीसदी हिस्सा मुसलमानों का है।
खोज के दौरान
वायर का एक लेख मिला। इस लेख ने साल 1990 के जनवरी महीने का जिक्र किया है। इस दिन कश्मीर से लाखों की संख्या में कश्मीरी पंडितों ने पलायन कर दिया था। जो कुछ बचे रह गए उनकी हालात पर लेख ने विस्तार से लिखा है।
सोशल मीडिया में वायरल हो रहा यह मुद्दा बेहद संवेदनशील है। दावों की हकीकत सबके सामने आना बेहद आवश्यक था। पड़ताल में साफ हो गया कि किए जा रहे सारे दावे सही नही हैं।
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Result- Partially False