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नागालैंड में मॉब लिंचिंग की पुरानी घटना सोशल मीडिया में हुई वायरल

Authors

Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

Claim

नागालैंड में बलात्कार के आरोपी सईद फरीद खान को एक भीड़ ने जेल से निकालकर निर्मम हत्या कर दी। एक ट्विटर यूजर ने फोटो अटैच करते हुए लिखा है कि यदि देश में बलात्कार जैसी घटनाएं रोकनी हों तो लोगों को ऐसी ही मॉब लिंचिंग करनी चाहिए।

Verification
रेप के आरोपी को जेल से निकालकर भीड़ द्वारा निर्मम हत्या किए जाने की बात करने वाला एक ट्वीट तेजी से सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। ट्वीट में जोर देकर कहा गया है कि रेप आरोपियों के लिए यही सज़ा मुक़र्रर की जानी चाहिए। सोशल मीडिया में वायरल हो रहा यह सन्देश नागालैंड का बताया गया है। बताया गया है कि फरीद नाम का एक व्यक्ति जिसपर एक नागा युवती से बलात्कार का आरोप था, उसे जेल से निकालकर हजारों लोगों ने मार डाला।
खबर की असलियत जानने के लिए खोज आरम्भ की। इस दौरान आए शुरूआती तथ्यों को नीचे स्क्रीनशॉट में देखा जा सकता है।
बारीकी से खोजने पर पता चला कि इस तरह की फिलहाल कोई भी घटना नागालैंड में घटित नहीं हुई है। पड़ताल के दौरान नवभारत टाइम्स का एक लेख प्राप्त हुआ। 8 मार्च, साल 2015 को प्रकाशित इस लेख में फरीद नामक रेप आरोपी की जेल से निकालकर एक भीड़ द्वारा हत्या की खबर को विस्तार से बताया गया है।
11 मार्च साल 2015 को लिखे गए अपने लेख में इंडिया टुडे ने दीमापुर मॉब लिंचिंग के बारे में विस्तार से बताया है। लेख के मुताबिक़ हजारों की संख्या में उमड़ी भीड़ ने दीमापुर के केंद्रीय जेल पर हमला बोल दिया था।
इस दौरान रेप के आरोपी फरीद को भीड़ ने जेल की बैरेक से बाहर निकाला और पीटना शुरू कर दिया। उसे तब तक पीटा गया जब तक वह मर नहीं गया। मरने के बाद भी उग्र भीड़ ने उसके शव के साथ निर्ममता की थी।
मॉब लिंचिंग के बाद शहर में कर्फ्यू जैसे हालात हो गए थे। इसके अलावा लेख में कुछ अन्य ऐसी ही ख़बरों का जिक्र है, जब लोग मॉब लिंचिंग का शिकार हो गए थे।
कई लेखों को पढ़ने के बाद या साफ हो गया कि फ़िलहाल नागालैंड में ऐसी कोई घटना घटित नहीं हुई है। वायरल हो रही खबर आज से करीब 4 साल पुरानी है। वायरल सन्देश में जिस तरह से मॉब लिंचिंग को बढ़ावा देने की बात कही गई है वह भारतीय संविधान से बिलकुल भी भिन्न है। देश का संविधान कभी भी मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं को मान्यता नहीं देता।
Tools Used
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 Result
Misleading

Authors

Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

JP Tripathi
JP Tripathi
Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

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