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क्या शहीद भगत सिंह की है कोड़े की मार खाते हुए यह वायरल तस्वीर?

सोशल मीडिया पर एक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर वायरल हो रही है। इस तस्वीर में एक पुलिस अधिकारी सिख नौजवान को पीटता नजर आ रहा है। तस्वीर में देखा जा सकता है कि जिस व्यक्ति को पीटा जा रहा है उसके हाथ और पैर रस्सी से बंधे हुए हैं। तस्वीर को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है, ‘अमर हुतात्मा शहीदे आजम भगत सिंह की यह तस्वीर कभी अखवार में छपी थी। लेकिन लोग तो कहते हैं कि हमें आज़ादी चरखे से भीख में मिली है।’   

भगत सिंह के नाम से वायरल हो रही तस्वीर को फेसबुक और ट्विटर पर कई यूज़र्स द्वारा शेयर किया जा रहा है।

भगत सिंह

Crowd Tangle टूल पर किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि वायरल दावे को सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स द्वारा शेयर किया गया है।

भगत सिंह

वायरल पोस्ट के आर्काइव वर्ज़न को यहां और यहां देखा जा सकता है।

Fact Check/Verification

कथित तौर पर कोड़े की मार खाते शहीद भगत सिंह की वायरल हो रही तस्वीर की सत्यता जानने के लिए हमने पड़ताल शुरू की। Google Reverse Image Search की मदद से खंगालने पर हमें 22 मई 2018 को Kim A. Wagner नामक यूज़र का एक ट्वीट मिला। ट्विटर बायो के मुताबिक Kim A. Wagner लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी में ग्लोबल एंड इंपीरियल हिंस्ट्री के प्रोफेसर हैं। दो तस्वीरों को ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा, “पंजाब के कसूर में सार्वजनिक रूप से कोड़े मारे जा रहे हैं। बेंजामिन हॉर्निमैन ने 1920 में भारत से बाहर जाकर इस तस्वीर को प्रकाशित किया था।” 

पड़ताल के दौरान हमें बेंजामिन हॉरमन की अमृतसर एंड अवर ड्यूटी टू इंडिया’ (Amritsar and Our Duty to India) किताब का आर्काइव लिंक मिला। नीचे देखा जा सकता है कि पेज नंबर 128 पर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर को प्रकाशित किया गया है। इसका कैप्शन है, “भारत की एक और तस्वीर जिसमें एक शख्स को सीढ़ी से बांधकर कोड़े मारे जा रहे हैं।” लेकिन इस पूरे पेज पर कहीं भी भगत सिंह का नाम नहीं दिया गया है।”

भगत सिंह

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Google Keywords Search की मदद से खंगालने पर हमें Sabrangindia.in नामक वेबसाइट पर 17 अप्रैल 2019 को प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में वायरल तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है, जिसके कैप्शन में लिखा है, “1919 के पंजाब में सार्वजनिक सजा।” उस समय अंग्रेज सड़कों पर लोगों को सरेआम सजा देते थे। जलियांवाला बाग नरसंहार के सौ साल पूरे होने पर यह लेख प्रकाशित किया गया था।   

भगत सिंह

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमें भगत सिंह की किताब “The Jail Notebook Other Writings (द जेल नोटबुक एंड अदर  राइटिंग्स)”मिली। इस किताब में मिली जानकारी के मुताबिक, “अप्रैल 1919 में 12 साल की उम्र में भगत सिंह जलियांवाला बाग गए और वहां से खून से सनी मिट्टी लेकर घर आए थे।”  

भगत सिंह

Conclusion

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर का बारीकी से अध्ययन करने पर हमने पाया कि वायरल तस्वीर में शहीद भगत सिंह को कोड़े नहीं मारे जा रहे हैं। वायरल तस्वीर में नज़र आ रहा शख्स कोई नौजवान है। पड़ताल में हमने पाया कि वायरल तस्वीर 1919 में कसूर रेलवे स्टेशन पर ली गई थी। जिस समय यह तस्वीर ली गई थी उस समय भगत सिंह महज 12 साल के थे और स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे।


Result: False


Our Sources

Kim A. Wagner

अमृतसर एंड अवर ड्यूटी टू इंडिया’ (Amritsar and Our Duty to India)

Sabrangindia.in

The Jail Notebook Other Writings (द जेल नोटबुक एंड अदर  राइटिंग्स)”


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