‘ना योगी, ना मोदी और ना जय श्रीराम। देश पर राज करेगा मजदूर किसान।’ सोशल मीडिया पर इसी स्लोगन के साथ एक पोस्टर मौजूदा किसान आंदोलन का बताकर वायरल किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर यूजर्स इस पोस्टर को कई तरह से परिभाषित करते हुए देखे जा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर मौजूदा किसान आंदोलन को लेकर लगातार कई फेक दावे शेयर किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में एक पोस्टर भी वायरल हो गया। ट्विटर पर रितु सत्यसाधक नामक एक यूजर ने इस पोस्टर को आतंकी संगठन तथा पाकिस्तान से मिल रही फंडिंग का बताकर शेयर किया है। यूजर ने लिखा है कि यह कोई किसान आंदोलन नहीं बल्कि भारत माता पर हमला है। किसान आंदोलन को लेकर इस पोस्टर को शेयर करते हुए कई यूजर्स इसे आतंकी फंडिग बता रहे हैं तो कई यूजर्स इसे खालिस्तान का प्रदर्शन बताकर अलग अलग दावे के साथ शेयर कर रहे हैं। वायरल दावे का आर्काइव यहाँ देखा जा सकता है।
Fact Check/Verification
सोशल मीडिया पर मौजूदा किसान आंदोलन का बताकर वायरल हो रहे पोस्टर की पड़ताल के लिए गूगल रिवर्स करने पर कुछ सोशल मीडिया लिंक्स प्राप्त हुए। हालाँकि इन पोस्ट्स से तस्वीर के बारे में कोई ख़ास जानकारी नहीं मिल पाई।

वायरल हुए पोस्ट को रिवर्स करने के साथ कुछ कीवर्ड्स की मदद से खोजने पर एक फेसबुक पेज मिला। पेज पर वायरल हुई तस्वीर प्राप्त हुई। इस पोस्टर को पेज पर साल 2018 में अपलोड किया गया था। पोस्टर पर AIKM भी लिखा गया है। गौरतलब है कि यह पोस्टर All India Kisan Mahasabha नामक पेज पर पोस्ट किया गया है। तस्वीर को देखने पर लगता है कि यह किसी किसान आंदोलन की ही तस्वीर है, लेकिन मौजूदा किसान आंदोलन से ताल्लुक नहीं रखती।

किसान आंदोलन को लेकर वायरल हुए कई अन्य दावों का फैक्ट चेक
पड़ताल के दौरान Jan Gan Man Ki Baat नामक फेसबुक पेज पर वायरल पोस्ट प्राप्त हुई। इस पोस्टर को पेज पर दिसंबर 2018 में अपलोड किया गया था। पोस्टर के कैप्शन में लिखा गया है, ‘किसान आंदोलन अपने चरम पर, किसानों की माँग जायज है और सबको मानना होगा नही तो ये आंदोलन दिल्ली से भी आगे जा सकता है। ‘

प्राप्त फेसबुक पोस्ट्स से इतना तो पता चल चुका था कि वायरल तस्वीर इंटरनेट पर साल 2018 से ही मौजूद है इसलिए यह मौजूदा कृषक आंदोलन की तो नहीं हो सकती। साल साल 2018 में किसानों द्वारा किए गए आंदोलन की कई मीडिया रिपोर्ट्स इंटरनेट पर मौजूद हैं। उस दौरान भी दिल्ली के जंतर-मंतर पर कई किसान संगठनों ने सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया था। वायरल पोस्ट में AIKS का लाल झंडा भी दिखाई दे रहा है। ये झंडा CPIM की किसान यूनिट का है। इस आंदोलन को लेकर बीबीसी ने भी साल 2018 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी।

Conclusion
सोशल मीडिया पर जिस पोस्टर को मौजूदा आंदोलन का बताकर शेयर किया गया है असल में वह तस्वीर साल 2018 में हुए आंदोलन की है। इस पोस्टर का मौजूदा कृषक आंदोलन से कोई लेना देना नहीं है।
Result- Misleading
Sources
Facebook Posts
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