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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.
इस सप्ताह सोशल मीडिया पर कई फेक दावे सुर्ख़ियों में रहे। सुप्रीम कोर्ट के ध्येय वाक्य बदले जाने से लेकर कोरोना वैक्सीन के 73 दिनों में आम भारतीयों को लगाए जाने वाले दावे तेजी से शेयर किए गए। टीम newschecker ने इन सभी दावों की पड़ताल की है। सप्ताह की 5 बड़ी फेक खबरों की पड़ताल को यहाँ पढ़ा जा सकता है।
क्या सुप्रीम कोर्ट का ध्येय वाक्य बदल दिया गया है?
‘बहुजन शेर सुनिल अस्तेय सत्यमेव जयते’ नामक आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दावा किया गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने ध्येय वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ को बदलकर ‘यतो धर्मस्ततो जय:’ कर दिया है। हमारी पड़ताल में पता चला कि सुप्रीम कोर्ट का ध्येय वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ कभी था ही नहीं।
क्या स्वस्थ व्यक्तियों को अब नहीं होगी मास्क लगाने की जरूरत?
एक सरकारी विज्ञापन के माध्यम से सोशल पर दावा किया जा रहा था कि अब स्वस्थ मनुष्य को मास्क लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हमारी पड़ताल में पता चला कि यह एक पुराना विज्ञापन था। नए मानकों के हिसाब से हर व्यक्ति को कोरोना से बचाव हेतु मास्क लगाने की जरुरत है।
क्या यूएन के महासचिव ने अपने भाषण में उठाया भारतीय तब्लीगी जमात का मुद्दा?
सोशल मीडिया में दावा किया गया था कि यूएन के महासचिव ने भारत में तब्लीगी जमात से सम्बंधित मुद्दा अपने एक भाषण के दौरान उठाया था। हमारी पड़ताल में पता चला कि उन्होंने अपने भाषण में तब्लीगी जमात का नाम ही नहीं लिया था।
क्या भारत में अगले 73 दिनों में उपलब्ध हो जाएगी कोरोना की वैक्सीन?
सोशल मीडिया पर दावा किया गया था कि अगले कुछ दिनों में भारत में कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी और आम लोगों को फ्री में लगाई भी जाएगी। ऐसा दावा ‘आजतक’ और ‘न्यूज़ 18’ सहित कई समाचार माध्यमों ने किया था। हमारी पड़ताल में पता चला कि यह दावा फेक है।
क्या सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण के साथ हाल के दिनों में हुई मारपीट?
लेखिका शोभा डे ने प्रशांत भूषण के साथ मारपीट का वीडियो ट्विटर पर पोस्ट किया था। यह वीडियो साल 2011 का था जब कुछ युवकों ने प्रशांत भूषण की केबिन में घुसकर उनके साथ मारपीट की थी।
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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.