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क्या यूपी में मिड डे मील योजना के तहत बच्चों को रोज दिया जा रहा पनीर की सब्जी और सेब? यहां पढ़ें इस वायरल तस्वीर का सच

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An enthusiastic journalist, researcher and fact-checker, Shubham believes in maintaining the sanctity of facts and wants to create awareness about misinformation and its perils. Shubham has studied Mathematics at the Banaras Hindu University and holds a diploma in Hindi Journalism from the Indian Institute of Mass Communication. He has worked in The Print, UNI and Inshorts before joining Newschecker.

सोशल मीडिया पर जालौन के प्राथमिक स्कूल की तस्वीर वायरल है, जिसमें एक छात्र हाथ में खाने की थाली लिए नज़र आ रहा है। इस थाली में पनीर की सब्जी, पूरी, आईसक्रीम और सेब देखा जा सकता है। तस्वीर शेयर कर यूपी सरकार की तारीफ करते हुए दावा किया जा रहा है कि यूपी के स्कूलों में छात्रों को मिड डे मील योजना के तहत इसी तरह के भोजन परोसे जा रहे हैं। 

बीजेपी नेता और हरियाणा बीजेपी आईटी सेल के पूर्व प्रभारी अरुण यादव ने तस्वीर को ट्वीट कर दावा किया कि यह यूपी के सरकारी स्कूल का मिड डे मील है।

Courtesy: Twitter@beingarun28

इसके अलावा, सुदर्शन न्यूज के सागर कुमार और वकील आशुतोष दुबे ने भी इस तस्वीर को शेयर किया है।

दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा मिड डे मील योजना की शुरुआत 1995 में की गई थी। इसके तहत देश के सभी प्राथमिक सरकारी स्कूलों के छात्रों को दोपहर का भोजन निशुल्क दिया जाता है। हालांकि, इस योजना के मद्देनजर समय-समय पर कई स्कूलों से ऐसी भी खबरें भी सामने आई हैं, जहां मिड डे मील को सही से लागू नहीं किया गया है। तीन साल पहले यूपी के मिर्जापुर जिले के एक प्राथमिक स्‍कूल का वीडियो सामने आया था, जहां छात्रों को मिड-डे मील के नाम पर नमक और रोटी बांटा जा रहा था। वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन हरकत में आया और मामले की जांच के बाद दो शिक्षकों को सस्‍पेंड कर दिया गया।

इसी बीच एक तस्वीर शेयर कर यूपी सरकार की तारीफ करते हुए दावा किया जा रहा है कि यूपी में छात्रों को मिड डे मील योजना के तहत इसी तरह के भोजन परोसे जा रहे हैं। 

Fact Check/Verification

दावे की सत्यता जानने के लिए हमने यूपी सरकार की मिड डे मील की आधिकारिक वेबसाइट को खंगालना शुरू किया। वेबसाइट पर मौजूद भोजन का मेन्यू, वायरल तस्वीर में दिख रहे खाने से अलग है। जैसे प्लेट में आइसक्रीम और पनीर की सब्जी नज़र आ रही है, जबकि आधिकारिक मेन्यू में इसका कहीं भी जिक्र नहीं है। 

कुछ कीवर्ड्स को ट्विटर पर सर्च करने के दौरान हमें Shikhar Patel नामक एक यूजर का एक ट्वीट मिला। यूजर ने तस्वीर वायरल करने वाले सुदर्शन न्यूज के सागर कुमार को रिप्लाई करते हुए लिखा, “आपके द्वारा वायरल मिड डे मील MDM, यूपी सरकार द्वारा नहीं एक पत्रकार व मलकपुरा प्रधान अमित जी द्वारा दिया जाता है।”

इसके साथ ही यूजर ने एक फेसबुक पोस्ट का लिंक भी लगाया है। हमने जब उस लिंक पर क्लिक किया तो जालौन जिले के एक गांव के सरपंच अमित का फेसबुक पोस्ट मिला। पोस्ट में अमित ने लिखा है, “कल दोपहर से ग्राम-पंचायत मलकपुरा के स्कूल की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं। ये तस्वीरें तिथि भोजन के तहत बच्चों को दिए गए खाने की हैं। ये व्यवस्था हमारी ग्राम पंचायत में जुलाई-22 से चल रही है। जबकि इससे पहले शुरू की गई ऐड ऑन MDM की व्यवस्था 14 फरवरी 2022 से जारी है। कई बार लोग जिज्ञासावश विद्यालय में आते हैं, इसीलिए ऐड ऑन MDM व्यवस्था का नोटिस भी विद्यालय में लगाया गया है। (कोई कहे कि आज ही स्पेशल कराइए तो ऐसा नहीं किया जा सकता। सब एक व्यवस्था के तहत होता है।)।”

Newschecker ने सरपंच अमित से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, “वायरल तस्वीरें हमारे ही पंचायत में मौजूद एक विद्यालय की हैं। यह व्यवस्था बीते 14 फरवरी से चल रही है। मिड डे मील जब नब्बे के दशक में शुरू किया गया तो उसके दो उद्देश्य थे। ग्रामीण बच्चों में कुपोषण की समस्या दूर करना और दूसरा भोजन से विद्यालय के प्रति बच्चो में आकर्षण पैदा करना। ये मुद्दे हमारे हैं तो समय के साथ हमने इसे अपडेट कर लिया है। पिछले साल दिसंबर में मैं एक विद्यालय गया था। मैंने वहां के बच्चों पूछा कि आप बताओ आपको भोजन में क्या खाना है। तो बच्चों ने कहा कि कुछ अच्छा बनवाइएगा, जैसे मटर पनीर। तो मैंने कहा ठीक है अगली बार जब स्कूल खुलेगा तो बच्चों को अच्छा भोजन खिलाया जाएगा। फिर फरवरी में जब स्कूल खुला तो हमने इस तरह के भोजन का इंतजाम किया, जिसमें मटर पनीर की सब्जी, रसगुल्ला आदि था। हमने बच्चों का उत्साह देखते हुए यह निर्णय लिया कि इस व्यवस्था को पूरा सिस्टम बना देते हैं। इसी के तहत हमने एडऑन मिड डे मील का कॉन्सपेट बनाया, जिसमें महीने में एक दो दिन मटर पनीर की सब्जी, एक दो दिन मिठाई, महीने में दो दिन फल वगैरह बच्चों को दिए जाएंगे। ये अगले चार महीने तक चला और फिर विद्यालय बंद हो गए। अब जब एक जुलाई को विद्यालय खुले तो हमने इसे फिर से शुरू किया। ये कार्य जनभागीदारी से संभव हो पा रहा है।” 

उन्होंने हमारे साथ स्कूल में एडऑन मीड डे मील को लेकर लगे नोटिस को भी शेयर किया है। 

Courtesy: ग्राम प्रधान अमित द्वारा भेजी गई विद्यालय में लगी नोटिस की तस्वीर

Conclusion

इस तरह हमारी जांच में स्पष्ट हो जाता है कि यूपी के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना को लेकर जो दावा किया गया है वो भ्रामक है। राज्य के जालौन जिले के मलकपुरा ग्राम पंचायत में जनभागदारी से संपन्न कराए जा रहे कार्य को पूरे यूपी की तस्वीर बताकर भ्रम फैलाया जा रहा है। 

Result: Partly False

Our Sources

UP Mid Day Meal Website

Tweet by Shikhar Patel on September 3, 2022

Facebook Post by Gram Pradhan Amit on Sptember 2, 2022

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An enthusiastic journalist, researcher and fact-checker, Shubham believes in maintaining the sanctity of facts and wants to create awareness about misinformation and its perils. Shubham has studied Mathematics at the Banaras Hindu University and holds a diploma in Hindi Journalism from the Indian Institute of Mass Communication. He has worked in The Print, UNI and Inshorts before joining Newschecker.

Shubham Singh
An enthusiastic journalist, researcher and fact-checker, Shubham believes in maintaining the sanctity of facts and wants to create awareness about misinformation and its perils. Shubham has studied Mathematics at the Banaras Hindu University and holds a diploma in Hindi Journalism from the Indian Institute of Mass Communication. He has worked in The Print, UNI and Inshorts before joining Newschecker.

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