बुधवार, दिसम्बर 4, 2024
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अमेरिका और कनाडा ने अमित शाह, अजित डोभाल और गौतम अडानी की एंट्री पर नहीं लगाया बैन, फर्जी दावा वायरल

Authors

Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

Claim
अमेरिका और कनाडा ने अमित शाह, अजीत डोभाल और गौतम अदानी की एंट्री पर बैन लगा दिया है.

Fact Check
वायरल दावा गलत है.

सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिये कहा जा रहा है कि अमेरिका और कनाडा ने भारत के गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उद्योगपति गौतम अडानी की एंट्री पर बैन लगा दिया है.

हालांकि, हमने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा गलत है. इस दावे से जुड़ी रिपोर्ट किसी भी राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थान ने प्रकाशित नहीं की है. वहीं, भारत स्थित कनाडा उच्चायोग ने भी इस दावे का खंडन किया है.

यह दावा सोशल मीडिया पर इंडियन हेराल्ड नामक एक वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के हवाले से किया गया है. रिपोर्ट में लिखा गया है कि रिश्वत और धोखाखड़ी का आरोप लगाने के बाद अमेरिका ने बिजनेसमैन गौतम अडानी की एंट्री पर रोक लगा दी है. दावे के मुताबिक, कथित तौर पर मानवाधिकार का उल्लंघन करने को लेकर कनाडा ने अमित शाह की एंट्री पर बैन लगा दिया है. इसी तरह अमेरिका ने भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की एंट्री पर भी बैन लगाया है.

वायरल दावे को X पर शेयर करते हुए बतौर कैप्शन लिखा गया है, “ ये है असली खबर, जिसे छुपाने के लिए ये सर्वे सर्वे का खेल करके यू पी और देश को जलाया जा रहा है. अमेरिका और कनाडा ने अमित शाह, अजीत डोभाल और गौतम अडानी की एंट्री बैन कर दी है”. 


Courtesy: X/MunishKumarVe17

यह दावा फेसबुक पर भी इसी तरह के कैप्शन के साथ वायरल है.

Courtesy: fb/Mukesh Garg

Fact Check/Verification

वायरल दावे की पड़ताल के लिए संबंधित कीवर्ड को गूगल सर्च किया, लेकिन हमें कोई विश्वसनीय न्यूज रिपोर्ट नहीं मिली. हालांकि अमेरिका में भारतीय बिजनेसमैन गौतम अडानी पर लगे रिश्वत और धोखाखड़ी से जुड़ी कई रिपोर्ट्स सामने आई. हालाँकि, किसी भी रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया था कि अमेरिका ने इसके मद्देनजर गौतम अडानी की एंट्री पर बैन लगाया है.

अधिकांश रिपोर्टों में बताया गया था कि बीते दिनों अमेरिका की सरकारी संस्थाओं- डिपार्टमेंट ऑफ़ जस्टिस और यूएस सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी पर यह आरोप लगाया था कि वे और उनके साथियों ने अदानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के लिए ठेका हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 2,100 करोड़ रुपए की रिश्वत देने की साज़िश रची. इसके लिए उन्होंने अमेरिकी वित्तीय बाज़ार से दो अरब डॉलर जुटाए थे. 

इसी तरह हमें अमित शाह और कनाडा मुद्दे से जुड़ी कई न्यूज रिपोर्ट भी मिली. जिनमें कनाडा के कुछ मंत्रियों द्वारा कनाडाई नागरिकों को धमकी देने या हत्या करने की मंजूरी देने के आरोप में भारत के गृहमंत्री अमित शाह पर आरोप लगाए गए थे. हालांकि, इन सभी रिपोर्टों में भी यह जानकारी नहीं दी गई थी कि कनाडा ने अमित शाह की एंट्री पर रोक लगा दी है.

इन रिपोर्टों के अनुसार, साल 2023 के जून महीने में कनाडा के वैंकूवर में खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कुछ बंदूकधारियों ने गोली मारकर कर दी थी. इस हत्या के बाद हुए प्रदर्शनों के बाद कनाडा और भारत के रिश्ते में तल्खी आ गई थी. इसके बाद सितंबर 2023 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा की संसद में यह बयान दिया था कि कनाडा के पास इस अपराध में भारतीय अधिकारियों के शामिल होने के ‘ठोस सबूत’ हैं. इस साल मई महीने में ट्रूडो ने फिर से यह आरोप लगाया. 

इसके बाद अक्टूबर महीने में दोनों देशों के रिश्ते काफी तल्ख़ हो गए. कनाडा ने भारत के साथ साझा किए एक डिप्लोमैटिक कम्युनिकेशन में कनाडा में भारत के तत्कालीन उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और अन्य भारतीय राजनयिकों पर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में जुडे़ होने का आरोप लगाया. जिसके बाद भारत ने कड़ा रुख जताते हुए भारतीय राजनायिकों को वापस बुलाने का फैसला किया. हालांकि कनाडा ने इस दौरान भारत के शीर्ष राजनायिक को निष्काषित कर दिया. इसके बाद भारत ने भी दिल्ली में स्थित कनाडा के उच्चायोग के छह राजनायिकों को निष्काषित करने का फैसला किया.

इसी दौरान अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने 14 अक्टूबर को एक रिपोर्ट छापी, जिसमें उन्होंने सूत्रों के हवाले से लिखा कि भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने खालिस्तान समर्थंक कनाडाई नागरिकों को धमकी देने या हत्या करने की मंजूरी के ऑर्डर दिए थे. बाद में कनाडा के विदेश उप मंत्री डेविड मॉरिसन ने संसद की एक कमेटी के सवाल पर यह स्वीकार किया कि उन्होंने ही पत्रकार के सामने भारतीय गृहमंत्री अमित शाह का नाम लिया था.

हालांकि, भारत ने इन आरोपों को निराधार बताया था. कनाडा के विदेश उप मंत्री के इन आरोपों पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि भारत पर लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं.

इसी तरह हमें अमेरिकी नागरिक व खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कोशिश और अजीत डोभाल को समन दिए जाने से जुड़ी भी कई रिपोर्ट मिली. लेकिन किसी भी रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया था कि अमेरिका ने डोभाल की उनके देश में एंट्री पर रोक लगा दी है.

इन रिपोर्टों में बताया गया था कि 2023 में सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या करवाने की साज़िश का आरोप कथित तौर पर भारत सरकार पर लगा था. इसको लेकर पन्नू ने न्यूयार्क की अदालत में याचिका दाखिल की थी. जिसके बाद न्यूयार्क की अदालत ने भारत के कई लोगों को समन जारी किया, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, निखिल गुप्ता और पूर्व रॉ प्रमुख सामंत गोयल के नाम शामिल थे. हालांकि भारत के विदेश मंत्रालय ने इस समन को गैरजरूरी बताया था. 

बाद में भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता को इस मामले में अमेरिका ने हिरासत में लिया था. वहीं अमेरिका के न्याय मंत्रालय ने इस मामले एक अन्य भारतीय नागरिक विकास यादव के खिलाफ भी हत्या की साजिश रचने और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया.

जांच में हमने अमेरिकी सरकार के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर द्वारा अक्टूबर और नवंबर महीने में किए गए प्रेस ब्रीफिंग को देखा तो पाया कि उन्होंने 2 अक्टूबर, 15 अक्टूबर, 16 अक्टूबर, 29 अक्टूबर, 30 अक्टूबर, 18 नवंबर और 25 नवंबर 2024 को भारत से जुड़े मुद्दों पर बात की थी.

मैथ्यू मिलर ने 2 अक्टूबर और 15 अक्टूबर 2024 को कनाडा-भारत राजनायिक विवाद और अमेरिकी नागरिक की हत्या की कोशिश में भारतीय व्यक्ति की संलिप्तता पर अपनी बात रखी थी. उन्होंने कहा था कि हम इस मुद्दे पर भारतीय अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं.

वहीँ 16 अक्टूबर और 29 अक्टूबर को भी मैथ्यू मिलर ने गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या करवाने की साज़िश के मुद्दे पर पत्रकारों के सवाल का जवाब दिया था. उन्होंने कहा कि हमें इस मामले में भारत से अपडेट भी प्राप्त हुए हैं. इसके अलावा उन्होंने इस सवाल का भी जवाब दिया था, जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या कनाडा की तरह अमेरिका ने किसी भारतीय राजनायिक को निष्काषित किया है, तो उन्होंने इससे अनभिज्ञता जताई थी. 

इसके अलावा 30 अक्टूबर को मिलर ने कनाडा द्वारा हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में अमित शाह का नाम लिए जाने पर भी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था कि कनाडा की तरफ से लगाए गए आरोप गंभीर हैं और हम इस मामले में कनाडा सरकार से संपर्क करेंगे.

इसके अलावा हमने 18 नवंबर और 25 नवंबर 2024 की प्रेस ब्रीफिंग को भी देखा तो पाया कि उन्होंने 18 नवंबर को गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल बिश्नोई को प्रत्यर्पित किए जाने के सवाल पर कहा था कि इसपर आंतरिक सुरक्षा विभाग या एफबीआई ही जवाब दे सकता है.  

वहीं, 25 नवंबर को प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने गौतम अडानी के ऊपर लगे आरोपों से जुड़े सवाल पर कहा कि यह कानून से जुड़ा मामला है और इस पर डिपार्टमेंट ऑफ़ जस्टिस ही जवाब दे सकते हैं.

हमें दोनों महीनों के किसी भी प्रेस ब्रीफिंग में अमित शाह, गौतम अडानी और अजीत डोभाल की एंट्री बैन किए जाने से जुड़ा ज़िक्र नहीं मिला. इसलिए हमने अपनी जांच को बढ़ाते हुए भारत में स्थित अमेरिकी दूतावास से भी संपर्क किया तो उन्होंने हमारे ईमेल के जवाब में कहा कि “अमेरिकी सरकार की नीति के तहत किसी भी व्यक्ति के वीज़ा स्टेटस का खुलासा नहीं किया जा सकता है”.

इसके अलावा हमने वायरल दावे की पड़ताल के लिए canada immigration की वेबसाइट को भी खंगाला, लेकिन हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली, जिसमें भारत के प्रमुख व्यक्तियों की एंट्री बैन किए जाने का ज़िक्र हो. इसके बाद हमने भारत में स्थित कनाडा उच्चायोग से संपर्क किया. उन्होंने वायरल दावे का खंडन करते हुए साफ़ कहा कि यह खबर पूरी तरह से फर्जी है.

Conclusion

हमारी जांच में मिले साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि कनाडा और अमेरिका द्वारा भारतीय गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उद्योगपति गौतम अडानी की एंट्री बैन किए जाने का वायरल दावा फर्जी है.

Result: False

Our Sources
Several Reports by BBC Hindi
Press Briefings by Spokesperson for the United States Department of State Matthew Miller
Telephonic Conversation with the High Commission of Canada in India
Email Conversation with Spokesperson, U.S. Embassy in India

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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

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