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कोरोना वायरस महामारी को खत्म करने के लिए दुनियाभर में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन जितनी तेजी से इस टीकाकरण अभियान को बढ़ाया जा रहा है, उतनी ही तेजी से वैक्सीन को लेकर सोशल मीडिया पर भ्रामक दावे भी बढ़ रहे हैं। हर दिन वैक्सीन को लेकर सोशल मीडिया पर नए-नए दावे देखने को मिलते हैं। कभी दावा किया जाता है कि वैक्सीन लगाने से बांझपन हो जायेगा तो कभी दावा किया जाता है कि पीरियड्स के दौरान वैक्सीन लगवाना उल्टा असर कर सकता है।
इसी तरह का एक दावा एक बार फिर सोशल मीडिया पर तेजी से शेयर हो रहा है। कई WhatsAPP ग्रुप्स पर इस दावे को तेजी से शेयर किया गया है। फ्रेंच नोबेल विजेता ‘प्रोफेसर ल्यूक मॉन्टैग्नियर’ (Prof. Luc Montagnier) के हवाले से दावा किया जा रहा है कि कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले लोगों की दो साल के अंदर मौत हो जाएगी। वैक्सीन ले चुके लोगों का इलाज भी संभव नहीं है। हमें लाशों को दफनाने और जलाने के लिए तैयार रहना चाहिए।
Fact Check/Verification
वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। इस दौरान वायरल दावे से जुड़ी 18 मई 2021 को प्रकाशित एक रिपोर्ट Rair Foundation USA की वेबसाइट पर मिली। हमने रिपोर्ट को पूरा पढ़ा, लेकिन हमें वहां वायरल हो रही बातों का जिक्र नहीं मिला। रिपोर्ट में कहीं भी ये नहीं कहा गया है कि प्रोफेसर ल्यूक मॉन्टैग्नियर का कहना है कि कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले लोगों की दो साल के अंदर मौत हो जाएगी और उनके बचने की कोई संभावना भी नहीं बचेगी। लेकिन इस रिपोर्ट में कोरोना वैक्सीन को लेकर कई चौंकाने वाली बातें लिखी गई थी। ये रिपोर्ट प्रोफेसर ल्यूक मॉन्टैग्नियर (Prof. Luc Montagnier) के एक इंटरव्यू में दिए गए बयानों पर लिखी गई थी।
प्राप्त जानकारी के आधार पर हमने एक बार फिर से गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें फ्रांस की वेबसाइट planetes 360 पर प्रोफेसर ल्यूक मॉन्टैग्नियर का पूरा इंटरव्यू मिला। जिसमें उनसे एक सवाल पूछा जाता है, “कोरोना महामारी को रोकने के लिए टीकाकरण शुरू हो चुका है, आप इस पूरे टीकाकरण अभियान को किस तरह से देखते हैं? वैक्सीन इलाज के मुकाबले काफी सस्ती है और ये जल्दी काम भी करती है, इस बारे में आप क्या सोचते हैं?” इस पर प्रोफेसर ल्यूक मॉन्टैग्नियर जवाब देते हैं, “यह एक ऐसी वैज्ञानिक मेडिकल गलती है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इस गलती को इतिहास में दिखाया जाएगा। क्योंकि टीकाकरण ही नए वेरिएंट के उत्पन्न होने का एक अहम कारण हैं।
आगे वो नए वेरिएंट के पैदा होने की प्रक्रिया को समझाते हुए कहते हैं, “वैक्सीन एंटीबॉडी बनाती है। जो कि वायरस को मरने या फिर दूसरा रास्ता खोजने के लिए मजबूर करती है। इसी तरह वो रास्ता खोजते हैं और नए वेरिएंट बनाते हैं। ये सभी तरह के नए वेरिएंट टीकाकरण का ही परिणाम हैं।” इस इंटरव्यू में उन्होंने ऐसे कई चौंकाने वाले दावे किए हैं, लेकिन कहीं भी वायरल दावे वाली बात नहीं कही है। Amar Ujala द्वारा हिंदी में प्रकाशित इस रिपोर्ट को आप यहां पर पढ़ सकते हैं।
सर्च के दौरान हमें ABP News के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो मिला। जिसमें दिल्ली एम्स के सीनियर डॉक्टर से वैक्सीन को लेकर खास बातचीत की गई थी। इस वीडियो में उन्होंने वैक्सीन से जुड़ी कई अहम बातों के बारे में बताया है। दिल्ली एम्स के डॉक्टर संजय राय के मुताबिक, “हमारे शरीर में प्राकृतिक रूप से रोगों से लड़ने की जो क्षमता है, वैक्सीन उसी को बढ़ाती है। वो आने वाले वायरस के लिए शरीर को तैयार करती है। वैक्सीन शरीर में वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी यानी एंटीवायरल को तैयार करती है। वायरस जब शरीर में जाता है, तो वो खुद को कई गुना ज्यादा बढ़ाता चला जाता है, पूरे शरीर में फैलता चला जाता है। वैक्सीन बड़ी संख्या में शरीर में एंटीबॉडी बनाती है, जो कि वायरस को फैलने से रोकते हैं और शुरुआती स्टेज पर ही उससे लड़कर उसे मार देते हैं। वैक्सीन शरीर को मजबूत बनाती है, ताकि वो वायरस से लड़ सके।”
पड़ताल के दौरान हमें वायरल दावे से जुड़ा एक ट्वीट पीआईबी के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर भी मिला। पीआईबी ने ट्वीट करते हुए इस दावे को भ्रामक बताया है। पीआईबी ने ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘फ्रांस के प्रोफेसर ल्यूक मॉन्टैग्नियर द्वारा किया जा रहा दावा गलत है। वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है।’
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि HIV की खोज करने पर प्रोफेसर ल्यूक मॉन्टैग्नियर को 12 साल पहले यानी की साल 2008 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। गौरतलब है कि प्रोफेसर ल्यूक मॉन्टैग्नियर काफी विवादित रहे हैं। नोबेल पुरस्कार के नामांकन के समय भी एक बड़ा विवाद हुआ था। दरअसल नामांकन के समय प्रोफेसर ल्यूक मॉन्टैग्नियर पर रिसर्च को चोरी करने और धोखा करने के कई आरोप लगे थे।
फ्रांस की वेबसाइट The Connexion के मुताबिक प्रोफेसर ल्यूक मॉन्टैग्नियर ने नोबेल प्राइज जीतने के एक साल बाद कहा था कि एक अच्छा इम्यून सिस्टम एचआईवी से लड़ने के लिए काफी है। प्रोफेसर ल्यूक मॉन्टैग्नियर कोरोना वायरस को लेकर भी कई विवादित और गलत बयान दे चुके हैं। पिछले साल प्रोफेसर ल्यूक मॉन्टैग्नियर ने दावा किया था कि कोरोना वायरस को चीन की लैब में तैयार किया गया है। जिसकी जांच करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक टीम भी वुहान गई थी और जांच के बाद टीम ने इस दावे को गलत बताया था।
Conclusion
हमारी पड़ताल में मिले तथ्यों के मुताबिक वायरल दावा गलत है। कोरोना वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है। प्रोफेसर ल्यूक मॉन्टैग्नियर द्वारा यह नहीं कहा गया है कि कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद दो साल में ही लोगों की मौत हो जाएगी।
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Result: False
Claim Review: कोरोना वैक्सीन लगवाने के दो साल बाद हो जाएगी लोगों की मौत। Claimed By: Viral Post Fact Check: False |
Our Sources
Planetes360 – https://planetes360.fr/pr-luc-montagnier-les-variants-viennent-des-vaccinations/
Youtube –https://www.youtube.com/watch?v=vpLLTUgD8Ls
Rairfoundation –https://rairfoundation.com/bombshell-nobel-prize-winner-reveals-covid-vaccine-is-creating-variants/
Twiiter –https://twitter.com/PIBFactCheck/status/1397156705918537729
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