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Claim
किसान आंदोलन में चंदे के बंटवारे के मुद्दे पर दो नेता मीटिंग के दौरान सिंधु बार्डर पर बुरी तरह से भिड़ गए।
Fact
यह वीडियो किसान आंदोलन से जुड़ा हुआ नहीं है। वीडियो में दिख रही बहस एक सरकारी अधिकारी और किसान नेता गुरनाम सिंह चरुणी के बीच एक पुल को बनाने से जुड़े विषय पर हुई थी।
एक वीडियो को किसान आंदोलन में नेताओं के बीच चंदे के विषय पर हो रहे झगड़े का बताकर सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। 18 फरवरी 2024 को किये गए एक एक्स (पूर्व में ट्विटर) पोस्ट में 55 सेकंड की एक वीडियो शेयर की गयी है। इस वीडियो में भीड़ के बीच दो लोगों की बहस होती हुई नज़र आ रही है। वीडियो को किसान आंदोलन से जुड़ा हुआ होने का बताते हुए कैप्शन में लिखा गया है कि ‘किसान आंदोलन में चंदे के बंटवारे के मुद्दे पर दो नेता मीटिंग के दौरान सिंधु बार्डर पर बुरी तरह से भिड़ गए।‘
किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित 12 मुख्य मांगों को लेकर 13 फरवरी 2024 को पंजाब से दिल्ली के लिए कूच करने का ऐलान किया था। एक तरफ किसान अमृतसर दिल्ली-नेशनल हाईवे के रास्ते हरियाणा में घुसने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं अंबाला में शभुं बॉर्डर को पूरी तरह से सील कर दिया गया है, जिससे किसान अभी पंजाब-हरियाणा के बॉर्डर पर ही हैं। किसानों को काबू में करने और दिल्ली आने से रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस और रबड़ की गोलियां छोड़ी हैं, लेकिन दूसरी तरफ किसान भी दिल्ली जाने की मांग पर अड़े हुए हैं।
Fact Check/Verification
इस दावे की जांच के लिए सबसे पहले हमने वीडियो के की-फ्रेम्स को गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया। परिणाम में हमें दावे में दिख रही वीडियो के साथ कई सोशल मीडिया पोस्ट मिले। 14 फरवरी 2024 को Punjabi Page नामक फेसबुक पेज द्वारा इस वीडियो के साथ शेयर की गयी पोस्ट में बताया गया है कि यह तन्दवाल में NHAI के घोटाले से जुड़ी हुई है। इस कैप्शन में किसान नेता गुरनाम सिंह चरुणी का नाम भी आता है।
जांच में आगे हमें Lakshay Moun Matour नामक यूट्यूब चैनल पर पोस्ट की गयी 5 मिनट 33 सेकंड लम्बी वीडियो में भी दावे के साथ शेयर की गयी वीडियो का हिस्सा मिलता है। 31 जनवरी 2024 को शेयर की गयी इस वीडियो के कैप्शन में भी गुरनाम सिंह चरुणी का नाम लिखा हुआ है।
13 फरवरी को शुरू हुए किसान आंदोलन से पुरानी पोस्ट देखने से इतना स्पष्ट हो जाता है कि यह वीडियो किसान आंदोलन के दौरान की नहीं है।
जांच में आगे इस वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने गुरनाम सिंह चरुणी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर इस वीडियो के संदर्भ में जानकारी खोजी। जिसके परिणाम में हमें 31 जनवरी 2024 को ही शेयर की गयी 5 मिनट 33 सेकंड लंबी वीडियो मिली। इस वीडियो के कैप्शन में बताया गया है कि यह गुरनाम सिंह चरुणी की अधिकारियों के साथ हुई झड़प की वीडियो है। कैप्शन में अधिकारियों पर आरोप लगाया गया है कि यह बहस इसलिए हुई क्योंकि मिट्टी कम डालने के लिए उन्होंने किसी पुल को रास्ते से 1 मीटर नीचे खोद कर बना दिया था।
पूरी वीडियो को देखने पर समझ में आता है कि यह पूरा झगड़ा पुल से जुड़ा हुआ है। जहाँ एक ओर गुरनाम सिंह चरुणी पुल के निर्माण कार्य पर सवाल उठाते हैं वहीं दूसरी ओर अधिकारी उस पर स्पष्टीकरण देते हैं। गुरनाम सिंह चरुणी अधिकारी पर पुल निर्माण में एक मीटर मिट्टी बचाने के लिए भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाते हैं। जिसके बाद दोनों के बीच बहस शुरू हो जाती है। उस बहस के हिस्से की क्लिप को ही किसान आंदोलन के दौरान चंदे का झगड़ा बताकर शेयर किया गया है।
इस पर पूरी जानकारी लेने के लिए हमने गुरनाम सिंह चरुणी से फ़ोन पर बात की। उन्होंने बताया कि यह मामला अंबाला में तलवंडी गाँव से काले आम के बीच बने एक पुल का मामला है। जिसकी ऊंचाई साढ़े तीन मीटर होनी थी पर इसे ढाई मीटर ऊँचा बनाया गया और एक मीटर की मिट्टी बचा ली। उन्होंने बताया कि यह भ्रष्टाचार के मामले पर किया गया उनका धरना प्रदर्शन था। इसका किसान आंदोलन से संबंध नहीं है।
Conclusion
अपनी जांच से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि यह वीडियो सरकारी अधिकारी और किसान नेताओं के बीच एक पुल के निर्माण कार्य से जुड़ी बहस का है। यह वीडियो हालिया किसान आंदोलन से संबंधित नहीं है।
Result: False
Sources
Social Media Posts.
Post on official Facebook account of Gurnam Singh Charuni.
Phonic conversation with Gurnam Singh Charuni.
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