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पाकिस्तान का नहीं है जाली नोटों की छपाई वाला वायरल वीडियो, शेयर करने से पहले पढ़ें पूरी खबर

Authors

Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

Claim
भारतीय रुपये को पाकिस्तान में छापा जा रहा है। इसका इस्तेमाल भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए किया जाता है। 
Verification
एक वीडियो में भारतीय रुपये बनाने वाली मशीन को दिखाया गया है। इस मशीन से लगातार बन रहे रुपयों को एक व्यक्ति गड्डी बनाता नज़र आ रहा है। देखने पर पता चल रहा है कि 50 और 200 की करेंसी को फ़ैक्टरी में छापा जा रहा है। यह वीडियो तेजी से सोशल मीडिया में वायरल होते देखा जा सकता है।
दावा किया गया है कि नोटों की छपाई का यह वीडियो पाकिस्तान का है। पाकिस्तान के लघु उद्द्योग में भारतीय पैसों की छपाई करके इसका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में किया जाता है।
इस वीडियो का सच जानना जरुरी था लिहाजा खोज आरम्भ किया। पड़ताल के दौरान businesstoday  का एक लेख मिला। इस लेख में नोटबंदी के बाद जारी हुए 500 रूपए की नोटों के बारे में लिखा गया था। दरअसल देश के कुछ हिस्सों में कई एटीएम नकली नोट निकाल रहे थे। 500 की नोटों पर साफ लिखा गया है ‘भारतीय मनोरंजन बैंक’
समाचार एजेंसी ANI का एक ट्वीट भी मिला जिसने यूपी में एटीएम से फेक करेंसी निकलने की बात कही है। यह ट्वीट 23 अप्रैल 2018 को किया गया है।
वीडियो को गौर से देखने पर पता चलता है कि वास्तव में जिस जगह पर नोट छापे जा रहे हैं वहां की नोटों पर भारतीय मनोरंजन बैंक लिखा हुआ है।
बारीकी से खोजने पर 30 जून साल 2018 को यूट्यूब पर अपलोड हुआ वायरल वीडियो से मिलता हूबहू एक वीडियो प्राप्त हुआ।
इस वीडियो में बैठा व्यक्ति एक प्रिंटिंग मशीन से बच्चों के मनोरंजन वाले रुपयों की छपाई करता नज़र आ रहा है। वीडियो को देखने के बाद साफ़ हो जाता है कि यह कोई नकली नोटों की फैक्ट्री नहीं है बल्कि चूरन वाले पैसों को बनाने वाली एक प्रिंटिंग मशीन है। सोशल मीडिया में किया जा रहा दावा पूरी तरह से गलत है।
Tools Used
  • InVID
  • Twitter Advance Search
  • Google Keywords Search

Result

False

Authors

Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

JP Tripathi
Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

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