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An enthusiastic journalist, researcher and fact-checker, Shubham believes in maintaining the sanctity of facts and wants to create awareness about misinformation and its perils. Shubham has studied Mathematics at the Banaras Hindu University and holds a diploma in Hindi Journalism from the Indian Institute of Mass Communication. He has worked in The Print, UNI and Inshorts before joining Newschecker.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया गया है कि असम में बांग्लादेशी मुस्लिमों ने अलग देश की मांग की है जिसके बाद असम पुलिस ने मांग करने वालों के साथ मारपीट की। वायरल वीडियो में कुछ लोग बैनर व पोस्टर लेकर प्रदर्शन करते नज़र आ रहे हैं जिसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प को भी देखा जा सकता है।
ट्विटर यूजर्स ने भी वायरल वीडियो शेयर किया है।
(उपरोक्त ट्वीट का आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।)
दरअसल, बीते दिनों असम सरकार के एक पैनल ने राज्य में असमिया मुसलमानों को एक अलग समूह के रूप में पहचान के लिए नोटिफिकेशन पास करने की सिफारिश की है। एबीपी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस मुद्दे ने प्रदेश में एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या इससे समुदाय को फायदा होगा या मुसलमानों के बीच और फूट डालने को बढ़ावा मिलेगा? इसके अलावा यह भी सवाल है कि असम राज्य में फिर स्वदेशी का क्या मतलब है, जिसकी जनसंख्या को लंबे समय से ध्यान में रखकर नीति निर्धारण हुआ है।
इस पैनल का गठन असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने जुलाई 2021 में किया था। उन्होंने स्वदेशी असमिया मुसलमानों की विशिष्टता को संरक्षित किए जाने को रेखांकित किया था। पैनल ने बीते 21 अप्रैल को अपनी रिपोर्ट सौंपी और इसकी सिफारिशों को स्वीकार करते हुए सीएम हिमंत ने इसे लागू करने योग्य बताया है।
इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया गया है कि असम में बांग्लादेशी मुस्लिमों ने अलग देश की मांग की है।
Fact Check/Verification
क्या असम में बांग्लादेशी मुस्लिमों ने अलग देश की मांग की है? वायरल दावे का सच जानने के लिए हमने यूट्यूब पर ‘Assam Police Firing’ कीवर्ड डालकर सर्च किया। इस दौरान हमें Times of Dhubri नामक यूट्यूब चैनल द्वारा 2 जुलाई 2017 को अपलोड किया गया एक वीडियो प्राप्त हुआ।
Times of Dhubri द्वारा अपलोड किया गया वीडियो और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो दोनों एक है। वीडियो में दिए गए डिस्क्रिप्शन के अनुसार, “असम पुलिस द्वारा अल्पसंख्यकों पर फासीवादी क्रूरता और उत्पीड़न किया जाना अब आम बात हो गई है। इस बार यह असम के गोवालपारा जिले के खरबुजा में ‘संदिग्ध नागरिक मतदाता टैग’ को हटाने की मांग कर रहे नागरिकों के शांतिपूर्ण विरोध पर पुलिस ने लाठीचार्ज और अंधाधुंध गोलियां चलाईं। इस दौरान गोवालपाड़ा थाना के अंतर्गत खुटामारी गांव के रहने वाले 22 वर्षीय याकूब अली की मौत हो गई।” इससे स्पष्ट है कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो पांच साल पुराना है।
पड़ताल के दौरान हमें The Wire पर 1 जुलाई 2017 को प्रकाशित एक रिपोर्ट प्राप्त हुई। रिपोर्ट के अनुसार, असम में ‘डी वोटर (संदिग्ध मतदाताओं) की सूची में कई भारतीय नागरिकों के कथित रूप से शामिल किए जाने के विरोध में 30 जून 2017 को राज्य के गोलपारा जिले में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में एक 22 वर्षीय व्यक्ति याकूब अली की मौत हो गई।
बतौर रिपोर्ट, प्रदर्शन कर रहे लोगों ने आरोप लगाया था कि राज्य में मुसलमानों का कथित रूप से उत्पीड़न किया जा रहा है। उन पर झूठे आरोप मढ़कर उन्हें ‘डी वोटर’ लिस्ट में शामिल किया जा रहा है।
इसके अलावा हमें डेली न्यूज नामक वेबसाइट द्वारा 3 जुलाई 2017 को प्र्काशित एक रिपोर्ट प्राप्त हुई। रिपोर्ट के अनुसार, असम के अखिल अल्पसंख्यक छात्र संघ ने गोवालापाड़ा में प्रदर्शन के दौरान हुई पुलिस द्वारा हुई फायरिंग के मामले में थाना प्रभारी और कांस्टेबल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। बतौर रिपोर्ट, असम माइनोरिटी स्टूडेंट्स यूनियन ने पुलिस फायरिंग के विरोध में 10 घंटे गोवालापाड़ा बंद का भी ऐलान किया था।
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बता दें, जिस वक्त की ये घटना है उस समय असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल थे। असम में अप्रैल- मई 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में हिमंता बिस्वा शर्मा मुख्यमंत्री चुने गए थे।
Conclusion
इस तरह हमारी पड़ताल में यह साफ़ हो गया कि असम में बांग्लादेशी मुस्लिमों ने अलग देश की मांग नहीं की है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो 5 साल पुराना है जिसे भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
Result: False Context/False
Our Sources
Video Uploaded by Times of Dhubri on 02 July 2017
Report Published by The Wire on 01 July 2017
Report Published by The Daily News on 03 July 2017
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