Authors
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.
Claim
हाईकोर्ट के आदेशानुसार अब गर्मियों के छुट्टी वाले महीनों के दौरान कोई भी प्राइवेट स्कूल छात्रों से फीस नहीं ले सकते अन्यथा कोर्ट के फैसले की अवहेलना करने पर उक्त संस्थान के ख़िलाफ़ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
जानिए वायरल दावा क्या है- भारत में COVID-19 के बढ़ते मामले देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने देश में लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ा दिया है। इस बीच सोशल मीडिया पर हाईकोर्ट के नाम पर एक नोटिस वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि हाईकोर्ट का आदेश है कि गर्मियों के छुट्टी वाले महीनों(अप्रैल या मई या जून या जुलाई ) के दौरान किसी भी प्राइवेट स्कूल को छात्रों से फीस लेने की अनुमति नहीं है। यदि कोई स्कूल किसी छात्र से फीस वसूल चुका है तो जल्द से जल्द उन्हें वापस करें अन्यथा संस्थानों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
Verification
हाईकोर्ट के इस आदेश को सोशल मीडिया पर केस संख्या Cp. no 5812 of 2015_so(G-111) SE 2L/PS/HC/3-859/18 और दिनांक 05-03-2018 के साथ शेयर किया जा रहा है। Newschecker के एक पाठक ने इस वायरल संदेश को Whatsapp पर फैक्ट चेक के लिए भेजा है।
वायरल संदेश की सत्यता जानने के लिए हमने अपनी पड़ताल शुरू की। पड़ताल के दौरान हमने वायरल संदेश को कुछ कीवर्ड्स के माध्यम से Google पर खोजा। इस दौरान हमें ट्विटर और फेसबुक की कई अलग-अलग पोस्ट में यह संदेश मिला जिसे साल 2018 में शेयर किया गया था। साथ ही हाल में शेयर किए गए पोस्ट भी हमें मिले।
@DelhiGovtLive Is this a true message that is moving around on WhatsApp that parents will not have to pay fees for June and july fees as per High court orderhttps://t.co/lojcNt22yp 5812 of 2015_
So (G-111) SE 2L / PS / HC / 3-859 / 18
Date 05-03-2018 pic.twitter.com/lHSEQPTdUJ— KUMAR GAURAV (@kumar252725) May 10, 2018
Dear sir pls confirm
High court orderhttps://t.co/qcolCgiDsF 5812 of 2015_
So( G-111)SE 2L/PS/HC/3-859/18
Date 05-03-2018
कोई भी प्राइवेट स्कूल छुट्टियों के दिनों की यानी जून जुलाई महीने की फीस नहीं ले सकेगा। अगर उस स्कूल ने मना करने बाद फीस वसूली तो उसके खिलाफ @msisodia— Dharam Singh (@Dharmen95360497) May 13, 2018
High court orderhttps://t.co/wRY11ThINb 5812 of 2015_
So( G-111)SE 2L/PS/HC/3-859/18
Date 05-03-2018कोई भी प्राइवेट स्कूल छुट्टियों के दिनों की यानी जून जुलाई महीने की फीस नहीं ले सकेगा। अगर उस स्कूल ने… https://t.co/hoAL8jMPjJ
— vikram singh (@vikrambusiness) May 9, 2018
खोज के दौरान हमने ‘Cp. no 5812 of 2015_’ कीवर्ड्स से Google पर खोजना शुरू किया। इस दौरान Cp. no 5812 of 2015 से मिलती हुई एक केस संख्या दिखी जो कि पाकिस्तान के सिंध हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर डाली गई थी।
जिसके बाद हमने वायरल संदेश से संबंधित कीवर्ड्स के माध्यम से गूगल पर बारीकी से खोजा। इस दौरान mynation.net नामक वेबसाइट पर हमें जानकारी प्राप्त हुई कि Cp. no 5812 of 2015_ संख्या के केस पर सिंध हाईकोर्ट के न्यायाधीश अरशद हुसैन खान और मुनीब अख्तर ने फैसला सुनाया था।
पड़ताल के दौरान हमने एक बार और सिंध कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर मामले को केस संख्या के माध्यम से खोजा। इस दौरान हमें वेबसाइट के News&Notification के अंतर्गत आने वाले Cases नामक शीर्षक के नीचे दिए गए लिंक में वायरल संदेश की केस संख्या का आदेश प्राप्त हुआ। फैसले की आर्काइव PDF फाइल को इस लिंक में देखा जा सकता है।
प्राप्त PDF के मुताबिक केस संख्या (Cp. no 5812 of 2015) को शाहरुख शकील खान व अन्य ने 2015 में सिंध प्रांत के मुख्य सचिव के खिलाफ दायर किया था, जिसका फैसला 7 अक्टूबर 2016 को सुनाया गया।
साल 2019 में भी यह दावा अपराध ख़ुफ़िया जासूस के लेटर हेड के साथ वायरल हुआ था जिस पर Newschecker की टीम ने फैक्ट चेक किया था। इस फैक्ट चेक को आप नीचे पढ़ सकते हैं।
क्या वाकई नहीं चुकानी होगी जून-जुलाई की फीस?
कई टूल्स और कीवर्ड्स का उपयोग करते हुए वायरल दावे का बारीकी से अध्ययन करने पर हमें पता चला कि वायरल हो रहा हाईकोर्ट के नाम से स्कूलों की फीस माफ़ करने वाला संदेश भ्रामक है। बता दें कि वायरल संदेश का भारत से कोई संबंध नहीं है। इस आदेश को पाकिस्तान के सिंध हाईकोर्ट ने 7 अक्टूबर 2016 को पारित किया था।
Tools Used
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Result-Misleading
(किसी संदिग्ध ख़बर की पड़ताल, संशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044 या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in)
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