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Fact Sheets
बात अगर भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंधों की करें तो यह गाँव में प्रचलित उस बनारसी लड्डू की तरह है जिसे खाने वाले और ना खाने वाले दोनों ही पछताते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि अरबों डॉलर्स के लेन-देन को हम बनारसी लड्डू की संज्ञा क्यों दे रहें हैं तो बता दें ऐसा हम नहीं आंकड़े कह रहें हैं. अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में से अगर आप कुछ सोशल मीडिया को देते हैं तो कोई कारण नहीं बनता कि आपने #BoycottChineseGoods हैशटैग ना देखा हो. भारत और चीन के बीच व्यापारिक रिश्ते ऐसे हैं जिन्हे हर कोई अपने नज़रिए से देख सकता है और हर किसी के नज़रिए में इसके अलग-अलग मायने निकलकर सामने आते हैं. मसलन स्वदेशी वस्तुओं की वकालत करने वाले लोगों को भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्ते काफी कष्टकारी लग सकते हैं तो वहीं भारत को एक मज़बूत और स्वावलम्बी अर्थव्यवस्था के रूप में देखने वाले लोगों को इस द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्ते से अलग अपेक्षाएँ हो सकती हैं. खैर हम चीजों के मायने नहीं बदल सकते लेकिन इस द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्ते से जुड़े तथ्यों को आपके सामने लाकर आपको सोचने, समझने या एक वैचारिक निर्णय पर पहुंचने में सहायता ज़रूर कर सकते हैं.
हमने 2001 से लेकर 2010 तक भारत और चीन के बीच हुए कुल आयात और निर्यात को लेकर अपनी पड़ताल की और आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस बीच चीन से आयात 1.83 बिलियन डॉलर्स से 41.25 बिलियन डॉलर्स तक पहुँच गया जबकि निर्यात 0.92 बिलियन डॉलर्स से सिर्फ 17.44 बिलियन डॉलर्स तक ही पहुंच पाया. इसका मतलब यह हुआ कि इस बीच भारत में चीन से आने वाले सामान का आना तो बढ़ गया पर भारत से चीन जाने वाले सामानों में अपेक्षाकृत कम बढ़ोतरी हुई. भारत में अक्सर चीन से आई वस्तुओं के बहिष्कार की बात कही जाती है पर भारतीय अर्थव्यवस्था पर चीन का क्या प्रभाव है यह देखने के लिए आप नीचे साल 2001 से लेकर 2010 तक चीन और भारत के बीच हुए कुल आयात-निर्यात के ग्राफ़ को देख सकते हैं.
साल 2010 से लेकर 2019 तक भारत और चीन के बीच हुए कुल व्यापार का वही हाल है जो पिछले दशक में रहा है. इस दौरान भी आयात निरंतर बढ़ता रहा तथा निर्यात घटता रहा. विस्तृत जानकारी के लिए आप नीचे दर्शाया हुआ ग्राफ़ देख सकते हैं.
Bilateral Trade Profile | |||
Period | Exports* | Imports* | Trade Balance* |
Apr-Dec 2007 | 23.7 | 57.1 | 84.5 |
Apr-Dec 2008 | -3.6 | 32.2 | 51.9 |
Apr-Dec 2009 | 11.5 | -14.1 | -23 |
Apr-Dec 2010 | 39.1 | 46.2 | 49.7 |
Apr-Dec 2011 | 22.5 | 29.8 | 33.2 |
Apr-Dec 2012 | -24.7 | -7.7 | -0.4 |
Apr-Dec 2013 | 9.9 | -2.2 | -6.1 |
Apr-Dec 2014 | -14.2 | 18.7 | 31.3 |
Apr-Dec 2015 | -24.3 | 1.5 | 7.9 |
Apr-Dec 2016 | -0.7 | -2.3 | -2.5 |
Apr-Dec 2017 | 36.1 | 23.6 | 21.3 |
Apr-Dec 2018 | 34 | -4.5 | -12.1 |
(* % Change over Previous Year) |
आइए अब आपको बताते हैं भारत और चीन के बीच सबसे ज्यादा आयातित या निर्यातित वस्तुओं के बारे में, चीन इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स या गैजेट्स के निर्माण में एक अग्रणी देश है इसीलिए चीन से भारत आने वाली वस्तुओं में इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स 26.12% है इसी प्रकार इलेक्ट्रिकल उत्पाद, जैविक रसायन, प्लास्टिक और खाद भी काफी मात्रा में शामिल हैं. इस सूची को अगर विस्तृत रूप से लिखा जाए तो चीन से भारत आने वाली वस्तुओं में मुख्यतः निम्न चीजें शामिल हैं:
भारत चीन को मुख्य रूप से कपास, ताम्बा, हीरे और अन्य रत्न, कार्बनिक रसायन, खनिज ईंधन, कॉफ़ी, चाय, मसाले निर्यात करता है. बताते चलें इस वर्ष अभी तक चाय, कॉफ़ी और मसालों के निर्यात में करीब 654.22% वृद्धि हुई है और इसी के साथ इनका कारोबार करीब 168.42 मिलियन हो चुका है तो वहीं कपास के निर्यात में भी 50.73% की वृद्धि हुई है जो कि इसके पूरे निर्यात मूल्य को करीब 838 मिलियन डॉलर्स तक के स्तर तक पहुँचाती है.
हाल ही में भारत दौरे पर आये चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ भारतीय प्रधानमंत्री ने कई मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की है. भारत और चीन दोनों ही देशों ने भारत को हो रहे व्यापारिक घाटे को लेकर चिंता व्यक्त की है तथा इस विषय पर निर्णायक कदम उठाने पर अपनी सहमति भी व्यक्त की है. भारत चाहता है कि दवाइयों और IT सेक्टर के भारतीय उत्पादों के लिए चीन अपना दरवाज़ा खोले. गौरतलब है कि चीन के साथ व्यापारिक रिश्ते में भारत को शुरू से ही आयात और निर्यात की इस पूरी प्रक्रिया में घाटा होता रहा है. अब भारत और चीन दोनों मिलकर इसी व्यापारिक घाटे को कम करने के लिए प्रयासरत हैं. पीएम मोदी और जिनपिंग की हालिया मुलाकात में दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने पर जोर दिया है. हम अपने पाठकों को बताना चाहते हैं कि आज के हालात देख कर भारत द्वारा चीन के साथ व्यापारिक रिश्ते खत्म करने की बात महज अफ़वाह लगती है यद्यपि सरकार स्वेच्छा एवं स्वविवेक से कभी भी इस तरह का कोई भी निर्णय ले सकती है लेकिन अगर देश की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए संभावनाओं का मूल्यांकन किया जाए तो द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्ते खत्म करने की स्थिति काल्पनिक सी लगती है.
(किसी भी संदिग्ध ख़बर की जानकारी आप Newschecker को ई-मेल के जरिए भेज सकते हैं: checkthis@newschecker.in)
Prashant Sharma
February 9, 2023
Saurabh Pandey
December 19, 2022
Arjun Deodia
September 22, 2022