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Human Rights Day 2019: हर साल आज ही के दिन दुनिया मानवता के अधिकारों की बात करती है। ये याद दिलाने के लिए कि इंसानों के कुछ अधिकार हैं जो उन्हें मिलने ही चाहिए और इंसान होने के नाते हमें इन अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा खड़े होना चाहिए। क्या होते हैं ये मानवता के अधिकार? कौन देता है ये अधिकार?
क्यों मनाया जाता है मानवाधिकार दिवस (Human Rights Day)?
1948 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने Universal Declaration of Human Rights यानि मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा को अपनाया था। UDHR वो दस्तावेज जो कुछ जरूरी अधिकारों की घोषणा करता है, जो सभी को स्वाभाविक रूप से एक इंसान के रूप में प्राप्त होता है। जाति, रंग, धर्म, लिंग, भाषा, राजनीतिक या अन्य राय, राष्ट्रीय या सामाजिक मूल, संपत्ति, जन्म या अन्य स्थिति की परवाह किए बिना। ये दस्तावेज 500 से अधिक भाषाओं में उपलब्ध है। हालांकि आधिकारिक तौर पर इस दिन की घोषणा 1950 में हुई जब अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस‘ (International Human Rights Day) मनाने के लिए असेंबली ने सभी देशों को आमंत्रित किया और असेंबली ने 423 (V) रेज़्योलुशन पास कर सभी देशों और संबंधित संगठनों को इस दिन को मनाने की सूचना जारी की। इस साल Human Rights Day के लिए UN ने थी रखी है, ‘स्टैंड अप फॉर ह्यूमन राइट्स’ (Stand Up For Human Rights)।
क्या होता है मानवता का अधिकार?
UDHR के मुताबिक मानवाधिकार में स्वास्थ्य, आर्थिक सामाजिक, और शिक्षा का अधिकार भी शामिल है। मानवाधिकार वे मूलभूत नैसर्गिक अधिकार हैं जिनसे मनुष्य को नस्ल, जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग आदि के आधार पर वंचित या प्रताड़ित नहीं किया जा सकता। इन्हीं अधिकारों के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस (Human Rights Day) मनाया जाता है।
भारत में मानवाधिकार
संयुक्त राष्ट्र ने भले ही 1948 में मानवाधिकार को अपनाया हो लेकिन भारत में इस कानून को 28 सितंबर 1993 में लागू किया गया। 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का गठन किया गया। मानवाधिकार आयोग राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्षेत्रों में भी काम करता है जैसे मज़दूरी, HIV एड्स, हेल्थ, बाल विवाह, महिला अधिकार। मानवाधिकार आयोग का काम ज्यादा से ज्यादा लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है।
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