शुक्रवार, मार्च 29, 2024
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JNSU अध्यक्षा आइशी घोष के चोटिल हाथ हो लेकर सोशल मीडिया में भ्रामक दावा वायरल

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Claim

ये क्या है भाई ….पहले दाहिना हाथ टूटा …. फिर बायां

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Riniti Chattergee नामक ट्विटर हैंडल पर
JNSU की अध्यक्षा आईशी घोष की दो तस्वीरें शेयर की गई है। इन तस्वीरों को लेकर दावा किया गया है कि कभी आईशी के दाहिने हाथ में चोट दिखती है तो कभी बाएं हाथ में। इन तस्वीरों को देखकर लगता है कि आईशी की चोट नकली है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में 5-6 जनवरी को नकाबपोश गुंडों ने छात्रों पर हमला किया था। इस हिंसा के दौरान आईशी भी घायल हुई। इसके बाद उनकी यह दोनों तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हो रही  हैं।
क्या आईशी घोष की चोट नकली है यह सवाल पूछने वाले कई ट्विट्स हमें देखने को मिले।
हालांकि इन ट्विटस् में शेयर हुई तस्वीरों से पता नहीं चल रहा था कि आईशी के किस हाथ में चोट आई है, या उसने नकली चोट पर ही प्लास्टर लगाया है। लिहाज़ा हमनें पड़ताल को आगे बढ़ाया तो हमे हिंदुस्तान टाइम्स का एक ट्विट मिला। इस ट्वीट में शेयर तस्वीर के बाएं हाथ में चोट पर प्लास्टर लगाया गया है।
हमने वायरल तस्वीर और हिंदुस्तान टाइम्स के ट्वीट में शेयर की गई तस्वीर का मिलान किया तो पता चला कि वायरल तस्वीर मिरर इमेज है। आप नीचे देख सकते हैं।
1. आईशी के चोट वाले हाथ के पास का शख्स।
2. आईशी के पीछे ब्लैक जैकेट पहना शख्स
3. ब्लैक जैकेट पहने शख्स के साइड में लाल स्वेटर वाली महिला।
इन तीनों की जगह दोनों तस्वीर में अलग-अलग है। इससे साफ होता है कि यह मिरर इमेज है।
इसके अलावा हमें एएनआई का भी ट्विट मिला जिसमें कनिमोझी आईशी से मिलीन थीं।
इस ट्वीट में भी शेयर की गई तस्वीर में आईशी के बाएं हाथ में प्लास्टर लगाया हुआ दिख रहा है। वहीं हमले में घायल होने के बाद आईशी घोष और छात्रों ने जेएनयू में प्रेस कांफ्रेस की थी। इसकी एक वीडियो भी हमें मिली इसमें भी आईशी के बाएं हाथ में प्लास्टर लगा हुआ दिख रहा है।
इससे साफ होता है कि जेएनयू छात्र संगठन की अध्यक्ष आईशी घोष के बाएं हाथ में चोट लगी थी और उसने अपने हाथ का प्लास्टर चेंज कर दूसरे हाथ में नहीं लगाया था। सोशल मीडिया में उसकी मिरर इमेज शेयर कर भ्रामक दावा किया जा रहा है।
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Result- Misleading
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After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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