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JNU छात्रों के प्रदर्शन को लेकर फैलाया जा रहा है भ्रम, पुरानी और असंबंधित तस्वीरें हुईं वायरल

Authors

After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

Claim

JNU में युवतियों ने बालों में रबर बैंड की जगह कंडोम लगाकर और शाॅर्ट कपडे पहनकर किया प्रदर्शन। 

Verification
करुणा गोपाल नामक ट्टिवर हैंडले से प्रदशर्न कर रही युवतियों की तीन फोटो शेयर की गई है। इसमे पहली फोटो में एक युवती ने अपने बालों में रबर बैंड की जगह कंडोम लगाया है। वहीं दूसरी और तीसरी फोटो में शाॅर्ट कपडे पहनी हुई युवतियां प्रोटेस्ट करते हुए दिख रही है। ट्वीट में दावा किया गया है। यह तस्वीरें जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की है। यह तीनों फोटो सें यूनिवर्सिटी की गिरावट बयां होती है। 
ट्विट में शेयर किए गए फोटो को लेकर हमनें पड़ताल शुरू की तो इसी दावे वाला कई टवीट हमें देखने को मिले।
हमनें वायरल फोटो के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की। इसके लिए गूगल रिवर्स इमेज की सहायता ली। तो इस पहली फोटो को लेकर कई रिजल्ट सामने आए। 
वहीं खोज के दौरान हमें यह फोटो दो साल पहले शेयर किए गए एक ट्वीट में मिली। इससे साफ हुआ कि इस फोटो का हाल के जेएनयू छात्र आंदोलन से संबंध नहीं लेकिन इस तस्वीर के बारे में पूरी जानकारी भी नहीं मिल पाई। 
वही हमनें खोज को आगे बढ़ाया तो यह तस्वीर फेसबुक पर भी एक साल पहले शेयर की हुई पाई गई। लेकिन वहां पर भी इसकी डिटेल्स नहीं मिल पाई। 
हमनें दूसरी फोटो के बारे में भी खोज की तो पता चला कि यह फोटो JNU की है लेकिन वह हाल की नहीं बल्कि एक सा पुरानी है। इस बारे पूरी खबर यहां पढ़ सकते हैं।
वहीं तीसरी फोटो को लेकर खोज की लेकिन इसके बारे में हमें डिटेल्स नही मिल पाई। 
हमारी पड़ताल से साफ होता है कि JNU की छात्रा ने बालों में रबर बैंड की जगह कंडोम लगाकर प्रदर्शन नहीं किया था। सोशल मीडिया मे दो साल पुरानी तस्वीर वायरल की जा रही है।
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(किसी संदिग्ध ख़बर की पड़तालसंशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें ई-मेल करेंcheckthis@newschecker.in)

Authors

After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

Yash Kshirsagar
After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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