Claim
सोशल मीडिया में सरदार पटेल की मूर्ति को लेकर एक सन्देश वायरल हो रहा है। सन्देश में ‘स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी’ पर आई लागत को ‘3500 करोड़’ बताया गया है ,साथ ही दिल्ली के ओखला में बने पानी के ट्रीटमेंट प्लांट की कीमत को 1161 करोड़ बताया गया है।तस्वीर में यह भी दावा किया गया है कि भारत की 50% आबादी जल संकट से जूझ रही है।
Verification
‘स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी’ और दिल्ली के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर सोशल मीडिया में एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। सन्देश के मुताबिक़ गुजरात के ‘स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी’ में आयी लागत को 3500 करोड़ रुपए और दिल्ली में बने पानी के ट्रीटमेंट प्लांट की लागत को 1161 करोड़ बताया गया है।
वायरल तस्वीर में यह भी दावा किया गया कि भारत की 50 फ़ीसदी आबादी जल संकट से जूझ रही है। वायरल सन्देश का सच जानने के लिए गूगल खंगालना शुरू किया। खोज के दौरान
‘DownTo Earth’ नामक ब्लॉग में जल संकट के बारे में एक लेख प्राप्त हुआ। ब्लॉग में इस बात पर जोर दिया गया है कि वाकई देश की करीब आधी आबादी जल संकट से जूझ रही है।
ब्लॉग में लिखे तथ्यों से पता चल चुका था कि वास्तव में भारत जैसे विशाल देश में लगातार पीने के पानी का संकट गहराता जा रहा है।
खोज के दौरान हमें
‘इंडिया टुडे’ का एक लेख प्राप्त हुआ। इस लेख ने वायरल सन्देश में कही गई बात की पुष्टि की है। लेख में साफ़ कहा गया है कि भारत की एक बड़ी आबादी जल संकट से त्राहि कर रही है।
अब बारी थी वायरल चित्र में दिए दूसरे तथ्य को जांचने की। दिल्ली के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की लागत जानने के लिए बारीकी से खोज आरम्भ की। खोज के दौरान
इकोनॉमिक्स टाइम्स का लेख प्राप्त हुआ। इस लेख ने बताया है कि देश के सबसे बड़े वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 1661 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं।
वायरल हो रहे चित्र में दिए गए 2 दावे सही निकले। हालांकि तीसरा दावा जो स्टैच्यू
ऑफ़ यूनिटी के बारे में किया गया था वह गलत साबित हुआ। खोज के दौरान
इकोनॉमिक्स टाइम्स का एक लेख प्राप्त हुआ। इस लेख में ‘स्टेचू ऑफ़ यूनिटी’ की पूरी जानकारी साझा की गई है। यहाँ पर ‘स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी’ की लागत
2989 करोड़ बताया गया है। वायरल हो रही तस्वीर में स्टैच्यू की लागत 3500 करोड़ बताया गया है जो गलत है।
हमारी पड़ताल में आये आंकड़ों से साफ़ होता है कि वायरल चित्र में दिए सारे आंकड़े सही नहीं है।
Tools used
Google search
Result–
Partially False