A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.
Claim-
Morarji Desai playing dandiya! Love the energy!
(हिंदी अनुवाद)
मोरारजी देसाई अपने पूरे जोश के साथ डांडिया खेलते हुए।
Verification:
ट्विटर पर एक वीडियो बड़ी तेजी से शेयर किया जा रहा है। वीडियो में एक बुजुर्ग अपने सिर पर नेहरू जी वाली सफ़ेद टोपी लगाए हुए डांडिया नृत्य करते दिखाई दे रहा है। वीडियो शेयर करने वाले का दावा है कि नृत्य करने वाले बुजुर्ग, प्रधान मंत्री मोराजी देसाई हैं। हमने वीडियो की सत्यता जानने के लिए क्लिप के कुछ स्क्रीनशॉट्स के माध्यम से गूगल पर खोजना आरम्भ किया। लेकिन वीडियो की प्रमाणिकता साबित करने वाला कोई परिणाम प्राप्त नहीं हुआ।
वीडियो से सम्बंधित कोई ख़बर प्राप्त न होने पर हमने वायरल क्लिप को एक बार दोबारा देखा। नृत्य कर रहे बुजुर्ग को गौर से देखने पर हमारा ध्यान उनकी कद- काठी और उनके द्वारा पहने हुए सफ़ेद पायजामे पर गया जहां हमें उनके मोरारजी देसाई न होने का अंदेशा हुआ।
इसकी खोज के लिए हमने मोरारजी देसाई की तस्वीरों को खंगालना शुरू किया।
इन सभी तस्वीरों को देखने के बाद हमें इस बात का पता चला कि पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ज्यादातर मौके पर चूड़ीदार पायजामा या फिर धोती-कुर्ता पहनते थे।
हमने सबसे पहले वायरल क्लिप में दिख रहे डांडिया नृत्य का मूल संबंध किस राज्य से है इस बात की जानकारी गूगल से प्राप्त की। गूगल के मुताबिक डांडिया नृत्य का मूल संबंध गुजरात राज्य से है।
पड़ताल की अगली कड़ी में हमने गुजराती भाषा में प्रकाशित कई वेबसाइटों को खंगाला। इस दौरान गुजराती भाषा में
Divya Bhaskar की वेबसाइट पर साल 2018 में प्रकाशित एक लेख मिला। इसमें वायरल वीडियो प्राप्त हुआ। लेख के मुताबिक क्लिप में दिख रहे बुजुर्ग मोरारजी देसाई नहीं बल्कि स्व. कुंवरजी नरशी और उनके भाई मुलजी जर्सी शाह हैं जहां वह गरबा नृत्य कर रहे हैं।
इसके साथ ही
Desh Gujrat की वेबसाइट पर मामले की पुष्टि करता हुआ एक लेख प्रकाशित हुआ है। जिसमें बताया गया है कि यह वीडियो एक शादी समारोह का है।
newschecker.in टीम की पड़ताल में वायरल वीडियो में किया जा रहा दावा गलत साबित हुआ।
Tools Used
Result: False
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.