A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.
Claim-
चाचा नेहरू एकमात्र भारतीय नेता है जिनका interview संस्कारी पुस्तिका PlayBoy में छपा था !! # NawabNehru #TharkiDiwas
Verification–
आज 14 नवंबर को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्म दिन है। इस दिन को हम बालदिवस के रूप में भी मनाते हैं। इसी बीच ट्विटर पर हमें जवाहरलाल नेहरू पर कटाक्ष करता हुआ एक ट्वीट प्राप्त हुआ। ट्वीट करने वाले यूज़र ने एक मैगज़ीन के एक हिस्से की तस्वीर शेयर की है। तस्वीर में जवाहरलाल नेहरू के एक चित्र का हवाला देते हुए यूज़र ने दावा किया है कि अक्टूबर साल 1963 को उन्होंने प्लेबॉय जैसी पत्रिका को इंटरव्यू दिया था।
हमने वायरल दावे का सच जानने के लिए गूगल पर खोजा। खोज में पता चला कि वायरल दावा साल 2018 में भी वायरल हुआ था।
वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने गूगल पर बारीकी से खोजा। इस दौरान
news18 की वेबसाइट पर साल 2017 को प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ।
लेख के मुताबिक अक्टूबर साल 1963 को प्लेबॉय पत्रिका ने एक लेख में जवाहर लाल नेहरू का इंटरव्यू प्रकाशित किया था। जहां इस बात का जिक्र है कि उन्होंने यह साक्षात्कार अपने 10, तीन मूर्ति मार्ग, नई दिल्ली आवास के गुड़हल की सुगंध से भरे परिसर में दिया था। पत्रिका में लेख लिखने वाले का नाम हेनरी स्लेसर है। हेनरी स्लेसर एक अमेरिकी नाटककार, लेखक और कॉपी राइटर थे, जिनका साल 2002 में निधन हो गया। लेख के मुताबिक़ जवाहर लाल नेहरू ने गाँधी जी से लेकर रविंद्र नाथ टैगोर ,चीनी हमला, गुट निरपेक्ष आंदोलन जैसे तमाम मुद्दों पर बात की थी।
news 18 के लेख में भारतीय दूतावास के हवाले से यह बताया गया है कि प्लेबॉय पत्रिका द्वारा प्रकाशित पीएम नेहरू का इंटरव्यू कभी हुआ ही नहीं। असल में यह भारत के प्रमुख के साथ एक्सक्लूसिव, व्यक्तिगत बातचीत पर आधारित नहीं था। बल्कि प्रधानमंत्री द्वारा पिछले वर्षो में दिए गए तमाम भाषणों ,बयानों आदि का संकलन ही था।
इसका अर्थ यह है, कि भारतीय दूतावास के मुताबिक पंडित नेहरू ने प्लेबॉय पत्रिका को कभी इंटरव्यू दिया ही नहीं।
news 18 के लेख को पढ़ने के उपरान्त
नवभारतटाइम्स की वेबसाइट पर साल 2018 को प्रकाशित एक लेख से भी मामले की पुष्टि हो जाती है।
newschecker.in टीम की पड़ताल में वायरल दावा 2 साल पुराना होने के साथ-साथ भ्रामक साबित हुआ।
Tools used
- Google Search
- Google Translator
Result- Misleading
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.