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क्या कोरोना वायरस के डर से खाली हो गया मक्का-मदीना हज परिसर? पढ़ें वायरल दावे पर हमारी विशेष पड़ताल

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A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Claim-
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए मक्का मदीना जाने पर रोक लगा दी है लेकिन सनातन धर्म के लोग कशी विश्वनाथ के शमशान पर चिता की भस्म से होली खेल रहें हैं।
जानिये क्या है वायरल दावा-  दुनिया भर में अपने प्रकोप से कोहराम मचाने वाला कोरोना वायरस सैकड़ो की जान ले चुका है।  वायरस की चपेट में अब-तक पुरे विश्व के सभी देश जैसे चीन, भारत, ईरान, सऊदी अरब, इटली और यूएस जैसे कई अन्य देश आचुकें हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है। पोस्ट में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस के डर से मुस्लिम समुदाय के लोग अपने पवित्र स्थल मक्का मदीना जाना छोर दिया है, लेकिन भारत  में सनातन धर्म के लोग एक साथ हो कर होली खेल रहें हैं।
Verification
चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना वायरस के प्रकोप ने अब तक 4000  लोगों की जान ली है। इसके साथ ही विश्व में वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 1 लाख से पार हो चुकी है। वायरस से बचने तथा इस पर नसीहत देने वाले सोशल मीडिया पर हज़ारों पोस्ट वायरल हो रहे है। इसी बीच ट्विटर पर एक होली महोत्सव का वीडियो अपलोड कर दावा किया जा रहा है कि कोरोना वायरस के डर से मुस्लिम समुदाय के पवित्र स्थल मक्का मदीना में लोगों ने जाना बंद कर दिया है वहीं वीडियो का हवाला देते हुए कहा जा रहा है कि सनातन धर्म के लोग निडर हो कर कशी विश्वनाथ के शमशान घाट में चित की भस्म से होली खेल रहे है।
वायरल वीडियो की जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने अपनी पड़ताल आरम्भ की।  इस दौरान सबसे पहले वीडियो को कुछ स्क्रीनशॉट के माध्यम से गूगल पर खोजा। खोज के दौरान हमें यूट्यूब के एक चैनल दैनिक जागरण पर वायरल वीडियो से मेल खाता हुए एक वीडियो प्राप्त हुआ।  वीडियो को चैनल पर 5 मार्च 2020 को अपलोड किया गया था साथ ही शीर्षक के माध्यम से यह बताया गया था कि बनारस में लोग शमशान घाट पर चिता भस्म से परंपरागत तौर तरीके से होली खेल रहें हैं।
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इसके साथ हमें यूट्यूब पर ही एक बनारस के लोकल यूट्यूब चैनल पर वायरल वीडियो से मेल खाता एक और वीडियो प्राप्त हुआ जहां इस बात की जानकरी दी गयी थी कि चिता भस्म की होली मणिकर्णिका शमशान घाट पर खेली जा रही है।
इन वीडियो को देखने पर इस बात कि पुष्टि हो गयी कि बनारस में होली चिता भस्म से खेली जा रही है ।
इसके बाद वायरल हो रहे पोस्ट में ‘कोरोना वायरस के डर से मुस्लिम समुदाय के लोगें के मक्का मदीना न जाने’ वाले दावे की पुष्टि के लिए हमने गूगल पर खोजन आरम्भ किया। इस दौरान जनसत्ता नामक वेबसाइट पर एक लेख प्राप्त हुआ जहां इस बात की जानकारी दी गयी है कि सऊदी अरब में मक्का मदीना की यात्रा पर रोक लगायी है।
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इसके साथ ही हमने ट्विटर पर मक्का मदीना की वायरल हो रही तस्वीर को भी गूगल पर खंगाला।
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जिसके बाद हमें यूट्यूब पर खाली मक्का मदीना का वीडियो इस(Saudi Arabia’s Mecca Empty of Pilgrims Amid Coronavirus) शीर्षक के साथ प्राप्त हुआ।
यूट्यूब पर प्राप्त वीडियो की सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने गूगल पर बारीकी से खोजा।  इस दौरान हमें फेसबुक पर एक वीडियो प्राप्त हुआ जहां वायरल हो रही खबर को गलत ठहराते हुए यह बताया गया है कि मक्का मदीना को कोरोना वायरस के चलते खाली नहीं करवाया गया है बल्कि वहाँ हो रही मरमत के कारण लोगों को अंदर-तक जाने के लिए रोका गया है। लेकिन मस्जिद में लोग किनारे किनारे वहाँ के चक्कर लगा सकते हैं।
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इसके बाद गूगल पर बारीकी से खोजने पर  news18 urdu की वेबसाइट पर 6 मार्च को अपलोड हुआ एक वीडियो प्राप्त जहां इस बात की जानकारी दी गयी है कि सऊदी अरबा ने  प्रकोप से बचने के लिए 5 मार्च 2020 को दावा का छिड़काव करने के कारण लोगों के अंदर जाने पर रोक लगयी थी लेकिन 6 मार्च 2020 को रोक हटा दी गयी है। इसके साथ ही वीडियो में यह भी बताया गया है कि सऊदी अरब ने  मक्का मदीना में दाखिल होने के लिए 25 देशों के यात्रियों पर कुछ वक्त के लिए रोक लगाई है।
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पड़ताल के दौरान कई टूल्स और कीवर्ड्स का उपयोग करते हुए तथ्यों का बारीकी से अध्ययन किया। इस दौरान पता चला कि सऊदी अरब के मक्का मदीना को वायरस के डर से न तो बंद किया गया था न तो मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जाना बंद किया सिर्फ कुछ सावधानी बरतने के लिए वहां कुछ देशों के यात्रियों के आने पर रोक लगायी गयी थी और साथ मस्जिद में दावा का छिड़काव करने के लिए 5 मार्च को लोगों को अंदर जाने से रोका गया था जो बाद में 6 मार्च को छिड़काव के बाद रोक हटा दी गयी।
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Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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