रविवार, नवम्बर 24, 2024
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क्या मौजूदा किसान आंदोलन की है पुलिस द्वारा महिला के साथ बदसलूकी किए जाने की यह वायरल तस्वीर?

देश में एक तरफ, जहां कोरोना की दूसरी लहर धीमी पड़ चुकी है तो वहीं, किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे होते ही आंदोलन की रफ्तार तेज हो गई है। देश के हर कोने से हजारों किसान, दिल्ली पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। बीते शनिवार को किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे होने पर, किसान नेताओं ने एक बार फिर से आंदोलन को पहले की तरह तेज करने का आह्रान किया है। इसी के तहत, पंजाब व हरियाणा के हजारों किसानों ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के लिए राजभवन का घेराव करने की कोशिश की। जिसके कारण पुलिस और किसानों के बीच हिंसक झड़प हो गई। किसानों ने हंगामा करते हुए पुलिस के कई बैरिकेट तोड़ डाले। जिसके बाद पुलिस ने परिस्थिति को काबू करने के लिए, प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछारें की और लाठीचार्ज किया। 

किसानों और पुलिस के बीच हुई इस हिंसक झड़प के बाद से ही सोशल मीडिया साइट्स पर, पुलिस के खिलाफ कई हैशटैग्स ट्रेंड कर रहे हैं। लोग तरह-तरह के हैशटैग्स का इस्तेमाल कर पुलिस के बर्ताव के खिलाफ अपना विरोध जता रहे हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर, चडीगढ़ पुलिस को लेकर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। तस्वीर में कुछ पुलिसकर्मियों ने एक बुजुर्ग महिला को पकड़ा हुआ है। जबकि महिला खुद को छुड़ाने का प्रयास करती हुई नजर आ रही है। इस तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि, ये तस्वीर हालिया किसान आंदोलन की है। साथ ही कहा जा रहा है कि इस तस्वीर में पुलिसकर्मियों द्वारा किसानों पर किए जा रहे अमानवीय बर्ताव को साफ तौर पर देखा जा सकता है।

पोस्ट से जुड़े आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है।

पोस्ट से जुड़े आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है।

Fact Check/Verification

वायरल तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए, जब हमने फोटो को गौर से देखा, तो पाया कि तस्वीर में किसी ने भी मास्क नहीं लगाया हुआ है। जिसके बाद हमें इस बात का अंदाजा हुआ कि शायद ये तस्वीर पुरानी है। इसके बाद हमने वायरल तस्वीर का सच को जानने के लिए छानबीन शुरू की। हमने तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल तस्वीर से जुड़ी एक मीडिया रिपोर्ट Hindustan Times की वेबसाइट पर मिली। जिसे 7 अगस्त 2015 को प्रकाशित किया गया था। रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, वायरल तस्वीर एक जमीनी विवाद के बाद हुई झड़प की है।

किसान आंदोलन

प्राप्त जानकारी के आधार पर, हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल तस्वीर से जुड़ी एक रिपोर्ट, पंजाबी वेबसाइट Tribuneindia पर मिली। रिपोर्ट को 6 अगस्त 2015 को प्रकाशित किया गया था। रिपोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार, पंजाब के पटरन जिले के एक गांव में कुछ लोगों ने जबरन पंचायत जमीन पर कब्जा जमा लिया था। जिसे खाली कराने के लिए जब पुलिस वहां पहुंची, तो लोगों ने जमीन खाली करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद पुलिस और वहां रह रहे लोगों में हिंसक झड़प हो गई। इस झड़प में 12 लोग घायल हो गए थे। साथ ही पुलिस ने जमीन पर जबरन कब्जा करने वाले लोगों को गिरफ्तार किया था।

किसान आंदोलन

पड़ताल के दौरान, हमें वायरल दावे से जुड़ी एक और मीडिया रिपोर्ट Hindustan Times की वेबसाइट पर मिली। जिसे 9 अगस्त 2015 को प्रकाशित किया गया था। रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, पुलिस के लाठीचार्ज करने और लोगों को गिरफ्तार करने के बाद, भारतीय किसान यूनियन ने इस पूरे मामलों को लेकर अपना गुस्सा जाहिर किया था। साथ ही लोगों को जेल से रिहा करने की मांग करते हुए, किसान यूनियन ने डिप्टी कमिश्नर के घर के सामने भूख हड़ताल की थी। 

भारतीय किसान यूनियन के स्टेट जनरल सेक्रेटरी, जगमोहन सिंह ने इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, “जिन्हें गिरफ्तार किया गया है, वो सीधे-साधे किसान है उनपर जबरन निशाना साधा जा रहा है। पुलिस को लाठीचार्ज कर उन्हें गिरफ्तार नहीं करना चाहिए था, किसान सिर्फ अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। किसानों की गिरफ्तारी गलत है।” तो वहीं, एसपी सरनजीत सिंह का ने कहा था, “हाईकोर्ट के ऑर्डर के बाद ये कार्रवाई की गई है। पुलिसकर्मियों और पंचायत विभाग के ऑफिस के काफी समझाने के बाद भी, लोग जमीन खाली करने के लिए तैयार नहीं हुए थे। जिसके बाद ये कार्रवाई की गई है।”

किसान आंदोलन

बात यदि कृषक कानून की करें तो, तीनों कृषि कानूनों को सितंबर 2020 में लोकसभा और राज्यसभा में पास किया गया था। जिसके बाद सितंबर में ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने, विधेयक पर हस्ताक्षर कर, इसे कानून बना दिया था। फिर किसानों द्वारा इस कानून का विरोध करने के लिए नवंबर 2020 से अंदोलन शुरू किया गया।

Conclusion

हमारी पड़ताल में मिले तथ्यों के मुताबिक, वायरल तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। वायरल तस्वीर हाल-फिलहाल की नहीं, बल्कि साल 2015 की है। जिसे अब किसान आंदोलन से जोड़कर शेयर किया जा रहा है। वायरल तस्वीर का हालिया किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है।

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Result: False

Claim Review: किसान आंदोलन में पुलिस ने की बुजुर्ग के साथ बदसलूकी।
Claimed By: Navneet Kaur Dhillion
Fact Check: False

Our Sources

Hindustan Times –https://www.hindustantimes.com/punjab/bku-activists-demand-release-of-arrested-farmers/story-qchY5yyzptAXsDvvGYKr7M.html

Hindustan Times –https://www.hindustantimes.com/punjab/cops-lathicharge-farmers-in-patiala/story-cJ5HVgtJuW2c5QUu5UWNaO.html

Tribune India –https://www.tribuneindia.com/news/archive/features/story-116732


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