Wednesday, December 24, 2025

Fact Check

तमिलनाडु में मस्जिदों के मुकाबले मंदिरों से नहीं लिया जाता ज्यादा बिजली का बिल, फेक दावा हुआ वायरल

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उत्तर प्रदेश के नूरपुर गांव में डीजे वाली बारात को लेकर दो गुटों में शुरू हुआ तनाव अब बढ़ता ही जा रहा है। दरअसल 26 मई को नूरपुर गांव में एक हिंदू शख्स की बारात डीजे बजाते हुए मस्जिद के सामने से होकर गुजरी थी। जिस पर आपत्ति जताते हुए मुस्लिम समुदाय ने बारात पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। इस हमले के कारण कई लोग घायल हो गए और डर की वजह से कथित तौर पर पलायन करना शुरू कर दिया। इस घटना के बाद इस मुद्दे को लेकर हिंदूवादी संगठनों में काफी आक्रोश है। हाल ही में हिंदूवादी संगठनों के कुछ कार्यकर्ताओं ने गांव के पास जाकर हनुमान चालीसा पढ़ी थी और जय श्री राम के नारे भी लगाए थे। इस गर्मा-गर्मी के माहौल के बीच मंदिर और मस्जिद के नाम पर एक पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से शेयर की जा रही है। दावा किया जा रहा है, “तमिलनाडु सरकार मस्जिदों के मुकाबले मंदिरों से बिजली का बिल ज्यादा वसूल रही है। मंदिर बिजली के बिल का भुगतान 8 रुपए प्रति यूनिट की दर से कर रहे हैं। जबकि दूसरी तरफ मस्जिद से बिजली का बिल 2 रुपए प्रति यूनिट की दर से लिया जा रहा है।” 

पोस्ट से जुड़े आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है।

https://twitter.com/smes_india/status/1401906171041124354
https://twitter.com/juststockmarket/status/1401922043650535430

पोस्ट से जुड़े आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है।

Fact Check/Verification

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने पड़ताल शुरू की। सबसे पहले हम तमिलनाडु Electricity Regulatory Commission की वेबसाइट पर गए। इस दौरान पता चला कि मंदिर और मस्जिद का बिजली बिल अलग-अलग भागों में नहीं बांटा गया है। सभी धार्मिक स्थलों के बिजली बिल भुगतान का तरीका और कीमत एक जैसा ही है। दरअसल तमिलनाडु सरकार द्वारा बिजली के बिल को यूनिट के आधार पर दो भागों में बांटा गया है और उसी के हिसाब से सरकार द्वारा भुगतान लिया जाता है। 

पहली कैटेगरी के हिसाब से अगर धार्मिक स्थलों पर बिजली की खपत 0 से लेकर 120 यूनिट तक होती है, तो उन्हें 2.85 रुपए यूनिट की दर से भुगतान करना पड़ता। तो वहीं दूसरी कैटेगरी के हिसाब से अगर यूनिट की खपत 120 से ज्यादा है, तो उन्हें 5.57 रुपए प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना पड़ता है। इसी के साथ धार्मिक स्थलों को दो महीने पर 120 रुपए प्रति किलोवाट का अतिरिक्त चार्ज भी देना पड़ता है।

बिजली का बिल

पड़ताल के दौरान हमें पता चला कि ऐसे धार्मिक स्थल जहां पर आम जनता का जाना वर्जित है और जो अनाधिकृत जमीन पर बिना राजस्व विभाग की सूचना के बने हुए हैं उन्हें सरकार ने कमर्शियल कैटेगरी में रखा हुआ है। उनके भुगतान का तरीका भी अलग है। ऐसे धार्मिक स्थलों पर बिजली की खपत यदि 100 यूनिट से कम है, तो उन्हें 5 रुपए प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना पड़ता है। अगर बिजली की खपत 100 यूनिट से ज्यादा है, तो उन्हें 8.05 रुपए प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना पड़ता है। इसी के साथ उन्हें दो महीने पर 140 रुपए प्रति किलोवाट का अतिरिक्त चार्ज भी देना पड़ता है। 

बिजली का बिल

Conclusion

हमारी पड़ताल में मिले तथ्यों के मुताबिक वायरल दावा गलत है। तमिलनाडु सरकार मस्जिद और मंदिरों से बिजली का बिल अलग-अलग दर से नहीं लेती है। सरकार द्वारा सभी धार्मिक स्थलों से बराबर कीमत पर बिजली का बिल वसूल किया जाता है।

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Result: Misleading

Claim Review: तमिलनाडु में मस्जिदों के मुकाबले मंदिरों से ज्यादा बिजली बिल वसूला जा रहा है।
Claimed By: Roop Darak BHARTIYA
Fact Check: Misleading

Our Sources

Tangedco-https://www.tangedco.gov.in/linkpdf/ONE_PAGE_STATEMENT.pdf

Tangedco-https://www.tangedco.gov.in/tariff.html


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