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हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतदान कल, जानें क्या हैं इस बार के प्रमुख मुद्दे

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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

5 अक्टूबर को हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों के लिए मतदान किए जाएंगे और 8 अक्टूबर को नतीजे घोषित होंगे. पहले मतदान 1 अक्टूबर को होना था और मतगणना 4 अक्टूबर को लेकिन भाजपा ने छुट्टियों और सामाजिक कार्यक्रमों का हवाला देते हुए वोटिंग की तारीख बदलने की मांग की थी. जिसके बाद चुनाव आयोग ने चुनाव और मतगणना की नई तारीखों का ऐलान किया.

इस चुनाव में वैसे तो मुख्य मुकाबला सत्ताधारी बीजेपी और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के बीच माना जा रहा है, लेकिन पूर्व में बीजेपी की सहयोगी रही जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) और अभय चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) जैसी क्षेत्रीय पार्टियां भी मजबूती से चुनाव लड़ रही है. आइए जानते हैं कि इस चुनाव में मुख्य मुद्दे क्या हो सकते हैं.

विपक्षी पार्टियाँ उठा रही हैं “अग्निवीर” का मुद्दा

बीते लोकसभा चुनाव के परिणामों से ऐसा प्रतीत होता है कि इस विधानसभा चुनाव में भाजपा एंटी इनकम्बेंसी से जूझ रही है. लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसे मुद्दे हैं जो इस चुनाव के केंद्र में हैं. इन्हीं में से एक मुद्दा है “अग्निवीर योजना”. दरअसल जून 2022 में केंद्र सरकार ने सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना का ऐलान किया था और इसके तहत सेना में शामिल होने वाले जवानों को अग्निवीर कहा गया. इस योजना के अनुसार, सेना में भर्ती किए गए जवानों का कार्यकाल चार साल का ही होता है .

दरअसल दक्षिणी हरियाणा के भिवानी, दादरी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी जैसे जिलों से युवा बड़ी संख्या में सेना में शामिल होते रहे हैं. इसलिए इन जिलों में अग्निवीर योजना से युवाओं में थोड़ी नाराजगी है और सत्ताधारी भाजपा को भी इसका अंदेशा है. इसलिए भाजपा ने राज्य की कई सरकारी नौकरियों में अग्निवीरों को दस प्रतिशत आरक्षण और सरकारी नौकरी की गारंटी का वायदा किया है. वहीं, विपक्ष भी इस मुद्दे को लगातार भुनाने की कोशिश कर रहा है. राहुल गांधी तो इस योजना को सरकार बनने के बाद ‘कूड़े’ में फेकने तक की बात कर चुके हैं. इसके अलावा हरियाणा की कांग्रेस लीडरशिप भी इस मुद्दे को जोर शोर से उठा रही है. बीते दिनों कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हूड्डा ने बापड़ौली में आयोजित एक जनसभा में कहा कि अग्निवीर योजना का सबसे ज्यादा नुकसान दक्षिण हरियाणा को हुआ है. पहले राज्य से हर साल 5 हजार युवा फौज में भर्ती होते थे, लेकिन अब केवल 250 ही भर्ती हो रहे हैं.

चुनाव परिणाम में दिखेगा किसान आंदोलन का प्रभाव?

2020-2021 में दिल्ली की सीमाओं पर चले किसान आंदोलन का असर भी इस चुनाव में दिख रहा है. उस दौरान किसानों पर लाठीचार्ज, मुकदमे और आंदोलनकारी किसानों की मौत से एक बड़ा किसान वर्ग सत्ताधारी भाजपा से नाराज है. इसका असर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला. 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने वाली भाजपा 5 सीटों पर सिमटकर रह गई, वहीं कांग्रेस को इसका फायदा हुआ और पार्टी ने पांच सीटें जीती. 

इसके अलावा, वर्तमान में पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर भी किसान धरना दे रहे हैं और वे न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी की मांग कर रहे हैं. इन दोनों किसान आंदोलन का असर हरियाणा के कई विधानसभा सीटों पर देखने को मिल रहा है, जहां भाजपा नेताओं को किसान वर्ग के गुस्से का भी शिकार होना पड़ रहा है. भाजपा भी इस स्थिति को भांप चुकी है, इसलिए पार्टी ने हाल ही में मंडी से भाजपा सांसद कंगना रनौत द्वारा दिए गए बयान से किनारा कर लिया.

बेरोजगारी और ‘dunki’ पर हो रही है सियासत  

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी भाजपा से नाराज किसानों को अपने पक्ष में लाने की तमाम कोशिशें कर रही है. इसलिए कांग्रेस ने किसानों की प्रमुख मांग एमएसपी की लीगल गारंटी को अपने प्रमुख सात वादों में जगह दी है. इसके अलावा, भाजपा भी नाराज किसानों को मनाने की कोशिश में जुटी है और पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में 24 फसलों को घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का वायदा किया है.

इस चुनाव में बेरोजगारी भी बड़ा मुद्दा है. सेंटर फॉर मोनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी (CMIE) की मई महीने की रिपोर्ट के अनुसार, बेरोजगारी में हरियाणा 37.4 प्रतिशत दर के साथ नंबर 1 पर था. लेकिन हरियाणा की भाजपा सरकार इस आंकड़े को ख़ारिज करती रहती है. विधानसभा चुनाव के बीच आई सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट के आंकड़े थोड़े अलग हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार 2023-24 में हरियाणा में बेरोजगारी दर 3.4 फीसदी है, जबकि पिछले वर्ष यह दर 9.2 प्रतिशत थी.  

बीते दिनों हिंदी न्यूज चैनल आजतक द्वारा किए गए सर्वे “मूड ऑफ़ द नेशन” में भी बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरी. सर्वे में शामिल करीब 45% लोगों ने माना कि बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. बेरोजगारी की वजह से हरियाणा के युवाओं के बीच अवैध रूप से विदेश जाने का चलन भी काफी बढ़ा है, जिसे बोलचाल की भाषा में डंकी कहा जाता है.

बीते दिनों जारी किए गए कांग्रेस पार्टी के संकल्प पत्र में पार्टी ने सरकार बनने पर भर्ती विधान के तहत 2 लाख पक्की नौकरी का वायदा किया है. वहीं, भाजपा ने भी दो लाख युवाओं को पक्की सरकारी नौकरी और पांच लाख युवाओं को अन्य रोजगार के अवसर एवं नेशनल अप्रेंटिशिप प्रमोशन योजना से मासिक स्टाइपेंड देने की घोषणा की है.

विपक्षी पार्टियां उठा रही हैं कानून व्यवस्था और बढ़ते ड्रग्स का मुद्दा

इस चुनाव में कानून व्यवस्था भी एक बड़ा मुद्दा है. हत्याएं, वसूली, गैंगस्टर्स जैसी समस्याओं से जुड़ी घटनाएं आए दिन राज्यों में देखने को मिलती है. बीते कुछ सालों में देश के अलग-अलग हिस्सों में घटी घटनाओं में हरियाणा के अपराधियों के नाम सामने आए, चाहे पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या हो या फिर राजस्थान में गैंगस्टर राजू ठेहठ या करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी हत्याकांड. इन सब में हरियाणा के अपराधियों के नाम सामने आए हैं.

इसके अलावा, महिलाओं के खिलाफ अपराध भी राज्य में पिछले कुछ सालों में बढ़े हैं. NCRB की साल 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में राज्य में महिलाओं के साथ आपराधिक घटनाओं के 16,742 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2021 में यह संख्या 16,658 थी. इसके अलावा साल 2021 के मुकाबले 2022 में बुजुर्गों पर अत्याचार के मामले करीब 50 फ़ीसदी बढ़े. 

अपराध के साथ ही बढ़ता नशा भी एक अहम मुद्दा है. रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा के 22 में से करीब 10 जिले नशे के चपेट में हैं. इनमें अधिकांश जिले या तो पंजाब की सीमा से लगते हैं या फिर आसपास हैं. इन जिलों में सिंथेटिक नशे का चलन भी काफी है. एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में राज्य में करीब 73 मौतें ड्रग्स के ओवरडोज से हुई थी.

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