Claim
मुसलमानों के लिए अम्बेडकर जी के शब्द थे कि “ये जहरीले एक दिन बहुसंख्यक होकर भारत को नए जख्म देंगे, ये कौम किसी दुसरे धर्म के साथ नही रह सकते लाख मानवता की दुहाई दे लेकिन इनके सामने मानवता भी हार मान चुकी है” ये शब्द आज भी उतने ही खरे है जितने 1947 में थे, मजहबी जहिलता।
Verification
देश के नीति नियंता बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के बारे में एक सन्देश सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। सन्देश में कहा गया है कि अम्बेडकर ने मुसलमानों को जहरीला और जाहिल कहा था।
भारतीय संविधान निर्माता अम्बेडकर द्वारा क्या वाकई ऐसा कहा गया था, हमारी टीम ने इसकी पड़ताल शुरू की। खोज के दौरान हमें
बीबीसी का एक लेख प्राप्त हुआ। इस लेख में बाबा भीमराव ने इस्लाम क्यों स्वीकार नहीं किया इस बात पर विस्तार से चर्चा की गई है। लेख के मुताबिक़ अम्बेडकर ने हिन्दू धर्म छोड़ने से पहले कई धर्मों के बारे में जानकारी लेनी चाही थी। उन्होंने इस्लाम के बारे में भी काफी अध्ययन किया था। अंबेडकर का मानना था कि इस्लाम में भी वर्णीय भेद ठीक उसी तरह कायम है जैसा कि हिन्दू धर्म में मनुवाद का है। बीबीसी ने अपने लेख में कुछ इतिहासकारों की टिप्पणियां शामिल करते हुए बताया है कि बाबा साहब ने वर्णीय भेदभाव की वजह से ही इस्लाम स्वीकार नहीं किया बल्कि बौद्ध धर्म अपना लिया था। वो मानते थे कि इस्लाम में भी हिंदू धर्म की तरह ऊंची जातियों का बोलाबाला है और यहां भी दलित हाशिये पर हैं। हालांकि इस पूरे लेख में उनके द्वारा मुसलमानों को लेकर या इस्लाम को लेकर ऐसी कोई बात नहीं दर्शाई गई है जैसा कि वायरल सन्देश में कहा गया है।
बारीकी से खोजने के बाद हमें अवध प्रहरी नमक एक वेबसाइट का लिंक प्राप्त हुआ। इस वेबसाइट में अम्बेडकर द्वारा इस्लाम के बारे में उनके द्वारा लिखी किताबों के कुछ अंश को दर्शाया गया है। ज्यादा जानकारी
यहाँ से ली जा सकती है।
गूगल खंगालने पर हमें
नवभारत टाइम्स का एक ब्लॉग प्राप्त हुआ। इस ब्लॉग में उनकी किताब
पार्टीशन ऑफ़ इंडिया के हवाले से इस्लाम के बारे में कई जानकारियां दी गई हैं। इस ब्लॉग में साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए हिन्दुओं और मुसलमानों को पाकिस्तान बन जाने के बाद अदला-बदली की बात कही गई है जो दोनों राष्ट्रों के लिए सबसे उत्तम बताया गया है। ब्लॉग के मुताबिक़ साम्प्रदायिक शान्ति के लिए अलपसंखयकों की अदला-बदली ही एक मात्र हल-”यह बात निश्चित है कि साम्प्रदायिक शांति स्थापित करने का टिकाऊ तरीका अल्पसंखयकों की अदला-बदली ही हैं।यदि यही बात है तो फिर वह व्यर्थ होगा कि हिन्दू और मुसलमान संरक्षण के ऐसे उपाय खोजने में लगे रहें जो इतने असुरक्षित पाए गए हैं। यदि यूनान,तुर्की और बुल्गारिया जैसे सीमित साधनों वाले छोटे-छोटे देश भी यह काम पूरा कर सके तो यह मानने का कोई कारण नहीं है कि हिन्दुस्तानी ऐसा नहीं कर सकते।
काफी खोजने के बाद कहीं भी इस बात की पुष्टि नहीं होती कि बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने कभी भी वायरल हो रहा वक्तव्य दिया था।
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Result- False