सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर कर यह दावा किया गया कि जिस देश का प्रधानमंत्री साढ़े आठ हजार करोड़ के विमान से चलता हो वहां नक्सली हमले में घायल जवानों को ले जाने के लिए एम्बुलेंस के बजाय ट्रैक्टर-ट्रॉली का इस्तेमाल किया जा रहा है.
देश की सुरक्षा के दृष्टिकोण से भारत की सबसे बड़ी समस्या नक्सली तथा आतंकवादी हमले हैं. गृह मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2004 से 2019 के बीच भारत में नक्सलवाद तथा कट्टर माओवादी विचारधारा की वजह से होने वाले हमलों में कुल 8,197 लोगों की मौत हो चुकी है. मृतकों में अधिकांश आदिवासी, सेना के जवान तथा आम नागरिक शामिल हैं. राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन द्वारा आतंकवादी हमलों में मारे गए जवानों की संख्या के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए 26 जून 2019 को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री G Kishan Reddy ने यह जानकारी दी थी कि देश में 2016 से 2018 के बीच आतंकवादी तथा अलगाववादी हमलों से कहीं अधिक जवान कट्टर माओवादी विचारधारा के परिणामस्वरूप होने वाली हिंसा तथा नक्सली हमले में मारे गए थे.
बीते रविवार यानि 4 अप्रैल 2021 को छत्तीसगढ़ के बीजापुर में एक नक्सली हमले में 23 जवान शहीद हो गए थे. ऐसे ही तमाम हमलों में देश के हजारों जवान अपनी कुर्बानी दे चुके हैं. देश में सुरक्षा बलों पर जब भी ऐसे हमले होते हैं तब जवानों की दुर्दशा तथा उनको दी जाने वाली सुविधाओं पर भी विस्तृत चर्चा होती है. भारत की विभिन्न सरकारें समय-समय पर जवानों को सर्वोत्तम सुविधायें देने का वादा करती रहती हैं. हालांकि इन बड़े-बड़े दावों के बाद भी सुरक्षा बलों को पर्याप्त सुविधायें मुहैया नहीं कराई जाती हैं तथा अत्याधुनिक हथियारों एवं उत्तम गुणवत्ता के बुलेटप्रूफ जैकेट्स के अभाव में देश के हजारों जवान वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं. इसी क्रम में बीते रविवार को हुए हमले के बाद कई सोशल मीडिया यूजर्स ने ट्रॉली पर लदे घायल एवं मृत जवानों की एक तस्वीर शेयर कर यह दावा किया कि देश के प्रधानमंत्री खुद तो उत्तम सुविधाओं का लाभ उठाते हैं. लेकिन जवानों को ढंग की सुविधायें मुहैया नहीं करवाते हैं.
इसी तरह के अन्य दावे यहां देखे जा सकते हैं.
Fact Check/Verification
नक्सली हमले में मारे गए जवानों को ट्रैक्टर-ट्रॉली से ले जाने का दावा करने के लिए शेयर की गई इस तस्वीर की पड़ताल के लिए हमने, सबसे पहले वायरल तस्वीर को गूगल पर ढूंढा. इस प्रक्रिया में हमें यह जानकारी मिली कि वायरल तस्वीर 2016 से ही इंटरनेट पर मौजूद है तथा हाल ही में छत्तीसगढ़ के बीजापुर में एक नक्सली हमले में 23 जवानों के शहीद होने से संबंधित नहीं है.

इसके बाद कुछ अन्य कीवर्ड्स की सहायता से गूगल सर्च करने पर हमें DNA द्वारा 5 मार्च 2016 को प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ. जिसमें यह जानकारी दी गई है कि वायरल तस्वीर 2016 में सुकमा में जवानों द्वारा एनकाउंटर के दौरान हुए नक्सली हमले से संबंधित है. जिसमें कई जवान घायल हो गए थे.

बीजापुर में हुए हालिया नक्सली हमले के नाम पर शेयर की जा रही वायरल तस्वीर पुरानी है
इसके बाद हमें The Quint द्वारा 5 मार्च 2016 को शेयर किया गया एक ट्वीट प्राप्त हुआ. जिसमें वायरल तस्वीर को शेयर कर यह जानकारी दी गई है कि नक्सलरोधी ऑपरेशन में 3 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए तथा 13 जवान जख्मी हो गए.
इसके बाद हमें ABP News के Associate Editor नीरज राजपूत द्वारा 5 मार्च 2016 को शेयर किये गए दो ट्वीट्स प्राप्त हुए। जहाँ वायरल तस्वीर तथा इससे संबंधित कुछ अन्य तस्वीरें भी मौजूद हैं.
इसके बाद हमें समाचार एजेंसी ANI द्वारा 4 मार्च 2016 को शेयर किया गया एक ट्वीट भी प्राप्त हुआ. जिसमें जवानों को एम्बुलेंस से अस्पताल पहुंचाने की जानकारी दी गई है.
हालांकि हमें कोई ऐसी मीडिया रिपोर्ट नहीं प्राप्त हुई, जहाँ यह जानकारी दी गई हो कि हालिया घटना में जवानों को ट्रैक्टर ट्रॉली से ले जाया गया हो. लेकिन मामले से वाकिफ हमारी टीम के एक सदस्य ने हमें जानकारी दी कि कई बार नक्सली हमले के दौरान सुरक्षा बल कुछ ऐसी जगहों पर पहुंच जाते हैं जहां सड़क मार्ग नहीं होता है तो वहीं कई बार किसी नक्सली हमले में गंभीर रूप से घायल जवानों की जान बचाने के लिए आसानी से उपलब्ध किसी भी साधन का प्रयोग कर लिया जाता है. हालांकि हमारे पास इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि उक्त घटना के वक्त किन परिस्थितियों के बीच जवानों को ट्रैक्टर से ले जाया गया.
Conclusion
इस प्रकार हमारी पड़ताल में यह बात साफ हो जाती है कि सोशल मीडिया पर छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए नक्सली हमले में घायल जवानों को ट्रैक्टर-ट्रॉली से ले जाने का दावा करने के लिए शेयर की गई यह तस्वीर हालिया नक्सली हमले से संबंधित नहीं है तथा वायरल तस्वीर 2016 में सुरक्षा बलों द्वारा किये जा रहे एनकाउंटर ऑपरेशन के दौरान घायल जवानों की है.
Correction:
उक्त लेख में हाल ही में हुए नक्सली हमले के घटनास्थल को भूलवश बस्तर लिख दिया गया था जो कि असल में बीजापुर है. गलती की जानकारी के बाद इसमें सुधार कर लिया गया है तथा लेख में हमले के स्थान को ‘बस्तर’ से ‘बीजापुर’ कर सुधार किया गया है.
Result: Misleading
Our Sources
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