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सोशल मीडिया पर दो फोटो का एक कोलाज काफी ज्यादा वायरल हो रहा है। पहली तस्वीर ब्लैक एंड व्हाइट है। जिसमें 4 औरतें बंदूक लिए हुए एक गाड़ी में बैठी हुई हैं। जबकि दूसरी तस्वीर कलर्ड है, इसमें कुछ बूढ़ी औरतें हिजाब पहने हुए बंदूक लेकर हूबहू तरीके से गाड़ी में बैठी हुई हैं।
इन तस्वीरों को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि ये चारों औरतें बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानी हैं। जिन्होंने 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ हुए आंदोलन में भाग लिया था। जबकि दूसरी तस्वीर 50 साल बाद उन्हीं औरतों द्वारा उसी जगह पर ली गई है। तो वहीं कई यूजर्स इस तस्वीर को शेयर कर दावा कर रहे हैं कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है। ऊपर की तस्वीर 1971 के बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन के समय की है, जब वे हिन्दू थीं, लेकिन आज जब इन महिलाओं ने उसी जीप पर बैठकर फोटो खिंचवाई तो वो मुस्लिम बन चुकी थी।
CrowdTangle पर मिले डाटा के मुताबिक अभी तक सैकड़ों लोग इस तस्वीर को ट्विटर और फेसबुक पर शेयर कर चुके हैं। डाटा के मुताबिक अभी तक विश्व हिन्दू परिषद के प्रवक्ता @snshriraj की पोस्ट को सबसे ज्यादा रीट्वीट और लाइक्स मिले हैं। लेख लिखे जाने तक @snshriraj की ट्विटर पोस्ट पर 109 रिट्वीट और 273 लाइक्स थे। जबकि फेसबुक पर We support yogi की पोस्ट को सबसे ज्यादा लाइक और शेयर मिले हैं। पोस्ट से जुड़े अर्काइव लिंक को यहां और यहां देखा जा सकता है।
फेसबुक पर वायरल इस पोस्ट को आप यहां पर देख सकते हैं। जबकि ट्विटर पर वायरल इस पोस्ट को यहां पर देखा जा सकता है।
Fact Check/Verification
वायरल तस्वीर का सच जानने के लिए हमने फोटो को गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें Bangladesh Old Photo Archive नाम के एक फेज पर ब्लैक एंड व्हाइट वाली तस्वीर मिली। जिसे 19 जुलाई 2013 को पोस्ट किया गया था। इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा गया है, गांव की एक ट्रिप के दौरान बंदूक के साथ पोज देती हुई कुछ महिलाएं। साथ ही इस तस्वीर को 1971 का नहीं बल्कि 1965 का बताया गया है।
वायरल तस्वीर का पूरा सच जानने के लिए हमने बांग्लादेश के एक पत्रकार SALIM REZA से इस वायरल तस्वीर के बारे में बातचीत की। उन्होंने हमें बताया कि कुछ हफ्तों पहले ये तस्वीर बांग्लादेश में भी गलत दावे के साथ वायरल थी। लेकिन ये सच नहीं है, ये औरतें न ही बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानी हैं और न ही इन्होंने 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ हुए आंदोलन में हिस्सा लिया था। ये सारी बातें सिर्फ एक अफवाह है। ये औरतें शुरू से ही मुस्लिम थी और अब भी मुस्लिम हैं।
SALIM REZA ने हमारे साथ एक फेसबुक पोस्ट भी शेयर की। जिसमें इनके परिवार द्वारा इस दावे को गलत बताया गया था। Afrina Haque फेसबुक पेज द्वारा इस तस्वीर को लेकर किए जा रहे सभी दावे को गलत बताया गया था। Afrina Haque ने इस तस्वीर को शेयर कर बंगाली में लिखा है कि चारों में से तीन मेरी चाची हैं। जबकि एक मेरी मौसी हैं।
अफ्रीना लिखती हैं कि ये तस्वीर साल 1965 की है, जब उनका परिवार शिकार करने के लिए गया था। इन चारों में से अब उनकी दो चाची इस दुनिया में नहीं हैं। कुछ लोग लाइक और शेयर पाने के लिए गलत अफवाहें फैला रहे हैं और इन्हें बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानी बता रहे हैं, जो की गलत है। इन सभी बातों पर भरोसा न करें।
बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानी नहीं हैं यह महिलाएं
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमनें Afrina Haque के फेसबुक पेज को खंगाला। तो हमें इस तस्वीर से जुड़ी कई और तस्वीरें मिलीं। Afrina Haque द्वारा इन औरतों की कई और तस्वीरों को शेयर किया गया था। जिनमें से एक पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर है। इस तस्वीर में चारों औरतें कार के बाहर आकर सामने बैठकर फोटो खिंचवाती हुई नजर आ रही हैं। जबकि दूसरी फिलहाल के समय की है। जिसमें तीन औरतें चेयर पर बैठी हुई नजर आ रही हैं।
Conclusion
हमारी पड़ताल में मिले तथ्यों के मुताबिक वायरल तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। वायरल तस्वीर में दिख रही औरते न तो हिंदू से मुस्लिम बनी हैं। न ही ये औरते बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानी हैं और न ही इन औरतों ने पाकिस्तान के खिलाफ हुए आंदोलन में भाग लिया था। गलत दावे के साथ तस्वीर को सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।
Result: False
Claim Review: बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानी रही महिलाओं ने अपनाया इस्लाम Claimed By: श्रीराज नायर, प्रवक्ता, विश्व हिंदू परिषद Fact Check: False |
Our Sources
Facebook – https://www.facebook.com/afrina1/posts/10218719585569248
Facebook – https://www.facebook.com/bd.old.photo.archive/photos/a.160831750663584/499776336769122/?type=3
Facebook – https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10218720951563397&set=p.10218720951563397&type=3
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