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क्या वायरल तस्वीर में दिख रहा व्यक्ति स्वतंत्रता सेनानी बांके चमार है?

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A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति की तस्वीर वायरल हो रही है दावा किया जा रहा है कि तस्वीर में दिख रहा व्यक्ति स्वतंत्रता सेनानी बांके चमार हैं। यूज़र्स ने यह तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है “यह स्वतंत्रता सेनानी बांके चमार हैं। 1857 की जौनपुर क्रांति के नेता हैं ये। अंग्रेजों ने उस समय सबसे बड़ा ₹50000 का इनाम रखा था जबकि उस वक़्त एक आना में 2 गाय मिलती थी। मुखबिर ने पकड़वा दिया और 18 साथियों समेत फांसी पर लटका दिए गए थे।”

वायरल पोस्ट का आर्काइव लिंक यहाँ देखें।

इसके अलावा, हमारे आधिकारिक व्हाट्सएप नंबर पर एक यूज़र ने यह तस्वीर भेज कर पूछा है कि क्या यह स्वतंत्रता सेनानी बांके चमार हैं?

इसके साथ ही हमने पाया कि कांग्रेस पार्टी के अनुसूचित जाति के राष्ट्रीय संयोजक प्रदीप नरवाल ने भी इस तस्वीर को साल 2020 में साझा करते हुए दावा किया था कि तस्वीर में दिख रहा व्यक्ति दलित नाइक उदईया चमार है।

Fact check / Verification

सोशल मीडिया पर अलग-अलग दावे के साथ वायरल हुई इस तस्वीर का सच जानने के लिए हमने पड़ताल शुरू की।पड़ताल के पहले चरण में हमने इस तस्वीर को Google Reverse Image की मदद से ढूंढा।

खोज के दौरान हमें विकिपीडिया का एक लिंक मिला जिसके अनुसार यह तस्वीर वर्ष 1860 की है और तस्वीर में दिख रहा व्यक्ति पूर्वी बंगाल का एक हिन्दू मछुआरा है। विकिपीडिया के मुताबिक यह चित्र ब्रिटिश लाइब्रेरी से लिया गया है।

स्वतंत्रता सेनानी बांके चमार

जिसके बाद हमने ब्रिटिश लाइब्रेरी पर इस तस्वीर को खोजना शुरू किया। ब्रिटिश लाइब्रेरी के मुताबिक यह तस्वीर पूर्वी बंगाल में रहने वाले हिंदू मछुआरों के कैवर्त(केवट)समाज से संबंधित है। ब्रिटिश लाइब्रेरी की वेबसाइट के मुताबिक भी यह तस्वीर 1860 के दौरान की है।

स्वतंत्रता सेनानी बांके चमार

वायरल तस्वीर की सटीक जानकारी के लिए हमने बारीकी से खोजना शुरू किया। जिसके बाद खोज के दौरान हमें वायरल तस्वीर एक अन्य वेबसाइट Oldindianphotos पर मिली। वेबसाइट के अनुसार तस्वीर में दिख रहा व्यक्ति पूर्वी बंगाल में रहने वाले हिंदू मछुआरों के कैवर्त समाज से संबंधित जनजाति का है।

बांके चमार स्वतंत्रा सेनानी

उपरोक्त मिले तथ्यों से यह साफ़ हो गया कि तस्वीर में दिख रहा व्यक्ति स्वंतंत्रा सेनानी बांके चमार नहीं बल्कि एक मछुआरा है। इसके बाद हमने यह जानने के लिए गूगल खंगाला कि बांके और उदईया चमार कौन थे।

स्वतंत्रता सेनानी बांके चमार कौन थे?

बांके चमार एक स्वतंत्रता सेनानी थे। बांके चमार जौनपुर जिले के मछली तहसील के गांव कुंवरपुर के निवासी थे।बांके चमार और उनके 18 सहयोगियों को ब्रिटिश सरकार ने विद्रोही घोषित कर दिया था। बांके चमार को गिरफ्तार कर फाँसी दे दी गई।

बांके चमार स्वतंत्रा सेनानी

एक लेख के अनुसार 1857 के जौनपुर क्रांति में विद्रोही घोषित 18 क्रांतिकारियों में बांके चमार सबसे प्रसिद्ध थे। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने वाले के लिए 50,000 तक के इनाम की घोषणा की थी। इंटरनेट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक 1857 में उन्हें गिरफ्तार कर फांसी दे दी गई थी। हालांकि इसकी पुष्टि Newschecker नहीं कर पाया है।

बांके चमार स्वतंत्रा सेनानी

स्वतंत्रता सेनानी उदईया चमार कौन थे?

उदईया चमार भी एक स्वतंत्रता सेनानी थे। नवोदय टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उदईया चमार, छतारी के नवाब के एक वफादार और प्रिय योद्धा थे, अंग्रेजों की गलत नीतियों से नाराज हो कर इन्होंने सैकड़ों अंग्रेजों को मार डाला। अंत में उन्हें 1807 में ब्रिटिश सरकार ने पकड़ लिया और फांसी दे दी।

बांके चमार स्वतंत्रा सेनानी

हालाँकि खोज के दौरान हमें कहीं भी स्वतंत्रता सेनानी बांके चमार और उदईया चमार की कोई भी तस्वीर नहीं मिली।

Conclusion

हमारी पड़ताल के दौरान मिले तथ्यों से हमें पता चला कि जिस व्यक्ति की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है वह दरअसल स्वतंत्रता सेनानी बांके चमार नहीं है बल्कि ईस्ट बंगाल फिशिंग टीम के सदस्य की है।

Result-Misleading

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Our Sources

https://www.oldindianphotos.in/2011/05/portrait-of-man-from-kaibartha-caste.html

http://www.bl.uk/onlinegallery/onlineex/apac/photocoll/k/019pho000000124u00010000.html?_ga=2.155013244.57769555.1614847472-325264794.1614847472

https://www.navodayatimes.in/news/national/dalit-freedom-fighters/132774/

https://www.dalitdastak.com/dalit-heroes-of-freedom-fighter-1912/


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A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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