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Fact Check
देशभर में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए कई राज्य सरकारों ने प्रदेश में सख्त लॉकडाउन की घोषणा करते हुए कई कड़े नियम बनाए थे। ज्यादातर राज्यों ने ये कानून बनाया कि एक साथ 100 से ज्यादा लोग किसी भी शादी समारोह, जुलूस और जनाजे में शामिल नहीं हो सकते। लेकिन कई जगहों पर लोग इन नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाते हुए देखे गए। लोगों ने सरकार के नियमों को ताक पर रखकर धूमधाम से शादी की और हजारों लोग जनाजे में भी शामिल हुए। यदि कोरोना संक्रमण की संख्या पर नजर डाली जाए तो देश में बीते 24 घंटे के भीतर कोरोना के 1,34,154 नए मामले सामने आए हैं। जबकि 2887 की संक्रमण के कारण मौत हो चुकी है।
इन दिनों सोशल मीडिया पर एक अख़बार की कटिंग तेजी से शेयर हो रही है। अखबार में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में मुस्लिमों ने तिरंगे के साथ एक जुलूस निकाला। इस जुलूस में तिरंगे में अशोक चक्र की जगह मस्जिद के चित्र का इस्तेमाल किया गया।
अख़बार की कटिंग को शेयर करते हुए सोशल मीडिया पर यूजर्स मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधते हुए कह रहे हैं कि मुस्लिमों द्वारा तिरंगे का अपमान किया गया। ट्विटर यूजर्स इस कटिंग को हालिया दिनों का बताते हुए कैप्शन में लिख रहे हैं, “तिरंगे में अशोक चक्र की जगह मस्जिद चिन्ह लगाने वालों पर क्या कोई कार्यवाही नहीं होगी। ऐसी खबरों पर आखिर सबका मुंह क्यों बंद हो जाता है, कोई क्यों कुछ भी नहीं बोलता?”
पोस्ट से जुड़े आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है।
वायरल तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए हमने इसे गौर से देखा। गौर करने पर हमने पाया कि अखबार की कटिंग में दिख रहे कुछ लोगों ने मास्क नहीं लगाया है। तस्वीर धुंधली थी लिहाजा पूरी तरह से भीड़ के चेहरे को देखना लगभग नामुमकिन था, लेकिन गौर करने कुछ चेहरे दिख रहे थे। इससे हमें अंदाजा हुआ कि हो सकता है ये खबर पुरानी हो। इसके बाद हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल तस्वीर से जुड़ी Jansatta द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। जिसे 21 दिसंबर 2018 को प्रकाशित किया गया था।
रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के पीलीभीत स्थित पूरनपुर कस्बे में ‘जुलूस-ए-गौसिया’ निकाला गया था। इस जुलूस में तिरंगे में अशोक चक्र की जगह मस्जिद की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था। जुलूस निकलने के बाद झंडे की तस्वीरें और वीडियोज वायरल हो गए थे। इस पर हिंदू संगठनों में आक्रोश पैदा हो गया था और वो पुलिस से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे थे। पत्रिका ने भी इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया था।
पड़ताल के दौरान हमें Local News नाम के यूट्यूब चैनल पर वायरल तस्वीर से जुड़ा एक वीडियो मिला। जिसे 20 दिसंबर 2018 को अपलोड किया गया था। साथ ही यह बताया गया था कि जुलूस-ए-गौसिया का वीडियो सामने आने के बाद तिरंगे के अपमान पर हिंदू संगठनों में रोष। उनका आरोप है कि जुलूस में पुलिस के मौजूद होने के बाद भी पुलिस द्वारा इस जुलूस को नहीं रोका गया और तिरंगे का अपमान होने दिया गया।
प्राप्त जानकारी के आधार पर हमने एक बार फिर से गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल तस्वीर से जुड़ी NBT की एक रिपोर्ट मिली। जिसे 23 दिसंबर 2018 को प्रकाशित किया गया था। इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार हिंदू संगठन के हंगामे के बाद पुलिस ने जुलूस के आयोजकों पर एफआईआर दर्ज करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। इस गिरफ्तारी को लेकर मुस्लिम समुदाय का कहना था, “हमने तिरंगे का अपमान नहीं किया है। हमारे द्वारा फहराया गया झंडा सिर्फ तीन रंग का था, जैसा कि कांग्रेस का झंडा है।”
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने मामले की पूरी सच्चाई जानने के लिए पीलीभीत पुलिस से बातचीत की। पुलिस का कहना है, “ऐसा कोई मामला फिलहाल हमारे संज्ञान में नहीं आया है। हम नियमों को लेकर काफी सतर्क हैं। हम इस तरह का जुलूस निकालने की इजाजत फिलहाल किसी को नहीं देंगे। अगर कोई ऐसा जुलूस निकालता है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।” जिसके बाद ये साफ होता है कि ये घटना हालिया दिनों की नहीं है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में कोरोना का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को केरल में सामने आया था। जबकि 12 मार्च 2020 को कोरोना वायरस से संक्रमित पहले शख्स की मौत हुई थी। देश में कोरोना के कुल 2,84,41,986 मामले सामने आए हैं। जबकि अभी भी एक्टिव मरीजों की कुल संख्या 17,13,413 है।
हमारी पड़ताल में मिले तथ्यों के मुताबिक, वायरल तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। वायरल तस्वीर तकरीबन दो साल पुरानी है, जिसे अब गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
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| Claim Review: कोरोना काल में उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों द्वारा जुलूस निकालकर तिरंगे का किया गया अपमान। Claimed By: Mahesh chander Pant Fact Check: False |
Youtube –https://www.youtube.com/watch?v=AuDE-hugKRk
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