A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.
Claim
विनायक दामोदर सावरकर को जेल में पहनने पड़े जूट के कपड़े तो जवाहर लाल नेहरू आगा खान पैलेस में बनाए गए थे विशेष कैदी।
This is the jute dress that Savarkar used to wear in cellular jail
Given the humidity near sea, jute will byte your skin every second!
Also, he was kept in solitary confinement &
Made to grind 100 kg of Copra manually!
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया में एक पोस्ट तेजी से शेयर की जा रही है। दावा किया गया है कि विनायक दामोदर सावरकर जेल में जूट के कपड़े पहनते थे। साथ ही एक अन्य दावा कि ब्रिटिश हुकूमत के दौरान पंडित जवाहर लाल नेहरू, आगा खान पैलेस में एक विशेष कैदी थे। वायरल पोस्ट को ट्विटर पर 1500 से ज्यादा लोगों ने लाइक किया है और 100 से भी ज़्यादा लोगों ने शेयर किया है।
हमने पड़ताल की शुरुआत ‘विनायक दामोदर सावरकर’ की आत्मकथा से की। पता चला कि सावरकर को नासिक जिले के कलेक्टर की हत्या के जुर्म में 8 अप्रैल साल 1911 को काला पानी की सजा सुनाई गई थी जहाँ उन्होंने अपने जीवन के करीब 10 साल (1911-1921) गुज़ारे। बीबीसीके एक लेख के मुताबिक़ उस दौरान कैदियों को काला पानी की सजा के लिए अंडमान-निकोबार की जेल भेज दिया जाता था। इस जेल में कैदियों को बेहद दर्दनाक यातनाएं दी जाती थीं, बाथरूम जाने तक के लिए उन्हें इजाजत लेनी पड़ती थी और कैदियों से नारियल का तेल भी निकलवाया जाता था।
सोशल मीडिया पर एक ‘Rups blog‘ हमें मिला। ब्लॉग में सेल्युलर जेल की तस्वीरों को चित्रित किया गया है। तस्वीरों में एक जूट के सूट वाली तस्वीर भी है जिस पर लिखा है ‘Punishment dress‘। खोजने के दौरान हमें सेल्युलर जेल का एक यूट्यूब वीडियो भी मिला। इस वीडियो में जेल के अंदर की तस्वीरों को दर्शाया गया है।
वीडियो में 2:42 मिनट पर जूट वाले सूट की तस्वीर को देखा जा सकता है। इससे यह साबित होता है कि जूट की पोशाक ‘विनायक दामोदर सावरकर’ ने भी पहनी होगी। वायरल पोस्ट का पहला दावा सही निकला। एक अन्य दावे में कहा गया है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू आगा खान पैलेस के विशेष कैदी थे, हमने अपनी पड़ताल को जारी रखा। इस दौरान हमें इंडियन एक्सप्रेसका भी एक लेख मिला। 8 अगस्त 1942 को ‘इंडिया कांग्रेस कमिटी’ ने ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन की शुरुआत की थी। इस आंदोलन में महात्मा गाँधी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया था। इस आंदोलन के दौरान अंग्रेजी पुलिस ने महात्मा गाँधी के साथ उनकी पत्नी और सेक्रेट्री को भी गिरफ्तार किया था।
नज़रबन्द करने के दौरान महात्मा गांधी सहित कुछ अन्य आंदोलनकारियों को आगा खान पैलेस में रखा गया था। आंदोलन में हिस्सा ले रहे जवाहर लाल नेहरू सहित कुछ अन्य को अहमदनगर जेल भेज दिया गया था। इस बारे में भारत सरकार की एक वेबसाइट पूरी तस्वीर साफ कर देती है। Nehru Portalनाम की इस वेबसाइट में नेहरू कहाँ और कब कैदी रहे इसकी सारी जानकारी दी गई है।
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.