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Fact Check
असम में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हिंदुओं को छठ पूजा करने से रोका.
वायरल दावा ग़लत है. यह मामला जनजातीय और गैर-जनजातीय समुदायों के बीच ज़मीन विवाद से जुड़ा है और इसमें कोई हिंदू-मुस्लिम एंगल नहीं है.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि असम में मुसलमानों ने हिंदुओं को छठ पूजा करने से रोक दिया.
वायरल वीडियो में लोगों की भीड़ के बीच एक व्यक्ति छठ पूजा को लेकर सवाल करता हुआ सुना जा सकता है. वह कहता है कि आप लोगों को छठ पूजा चाहिए, छठ पूजा करने दे रहे हैं, क्या बिहार में आप लोग हमें करने दोगे, एक गांव दोगे, आप लोगों को तकलीफ़ हुई इसलिए मैं यहां आया…”
हालांकि, हमारी जांच में सामने आया कि यह वीडियो असम के कार्बी आंगलोंग ज़िले के खेरोनी गांव का है, जो छठी अनुसूची (Sixth Schedule) के अंतर्गत आने वाला जनजातीय क्षेत्र है. यह मामला जनजातीय और गैर-जनजातीय समुदायों के बीच ज़मीन विवाद से जुड़ा है और इसमें कोई हिंदू-मुस्लिम एंगल नहीं है.
एक्स पर एक यूज़र ने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, “असम 📍 छठ पूजा के दौरान दो समुदायों में विवाद हो गया। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कहा तुम लोग भजन-कीर्तन करते हो, माथे पर तिलक लगाते हो, इससे हमें दिक्कत होती है। यहां पूजा मत करो, हमने ज़मीन रहने के लिए दी है, पूजा करने के लिए नहीं!” अब सवाल ये है — क्या अब हिंदू अपने देश में अपने तीज-त्योहार भी नहीं मना सकते? क्या सेकुलरिज़्म सिर्फ़ एक ही धर्म पर लागू होता है? कब से किसी ने ज़मीन देकर आस्था पर कब्ज़ा कर लिया? हिंदू शांत है, लेकिन बेबस नहीं… #असम #छठपूजा #सनातन #सेकुलरिज़्म.” पोस्ट का आर्काइव लिंक यहां देखें.

वहीं, कुछ यूज़र्स इसे इस दावे के साथ शेयर कर रहे हैं कि स्थानीय लोगों ने बिहार के लोगों के साथ छठ पूजा मनाने पर मारपीट की.
वायरल वीडियो के कीफ़्रेम्स को गूगल लेंस के ज़रिए सर्च करने पर हमें 25 अक्टूबर 2025 के कई फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पोस्ट्स मिले, जिनमें वीडियो का लंबा वर्ज़न मौजूद था. इन पोस्ट्स में वीडियो को असम के कार्बी आंगलोंग ज़िले के खेरोनी गांव का बताया गया था और इसे एक दिमासा जनजातीय परिवार और बिहार के एक परिवार के बीच हुए ज़मीन विवाद से जुड़ा बताया गया था.
वीडियो में “I love Sixth Schedule” टी-शर्ट पहने नज़र आने वाले व्यक्ति की पहचान पीपल्स पार्टी के फाउंडर डेनियल लैंगथासा के रूप में की गई है. सितंबर में, पूर्व कांग्रेस नेता डेनियल लैंगथासा ने पीपुल्स पार्टी नाम से एक नई क्षेत्रीय पार्टी की घोषणा की थी.
गुवाहाटी डिजिटल नाम के फ़ेसबुक पेज पर 26 अक्टूबर को की गई एक पोस्ट में बताया गया था कि कार्बी आंगलोंग ज़िले के खेरोनी गांव में एक दिमासा जनजातीय परिवार और बिहार के एक परिवार के बीच ज़मीन को लेकर विवाद हुआ था, जिसमें एक दिमासा लड़की की पिटाई की गई थी. इस घटना के बाद स्थानीय नेता डेनियल लैंगथासा ने हस्तक्षेप किया और विवाद में मध्यस्थता कराई.
हमने पाया कि यही वीडियो डेनियल लैंगथासा ने अपने फ़ेसबुक पेज पर 25 अक्टूबर को पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने #ProtectSixthSchedule के साथ एकजुट होने की अपील की थी.
इसके अलावा, हमें कार्बी आंगलोंग टुडे नाम के फ़ेसबुक पेज पर डेनियल लैंगथासा का पत्रकारों से बातचीत का एक वीडियो भी मिला, जिसमें वह बताते हैं कि एक दिमासा लड़की के साथ मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद वे खेरोनी गए थे. उन्होंने कहा कि ज़मीन की ख़रीद को लेकर दिमासा परिवार और गैर-जनजातीय परिवार के बीच विवाद हुआ था. यह इलाक़ा छठी अनुसूची (Sixth Schedule) के अंतर्गत आता है, जहां कोई भी गैर-जनजातीय व्यक्ति भूमि नहीं खरीद सकता.
इसके बाद, हमने डेनियल लैंगथासा से संपर्क किया और पूछा कि क्या इस मामले में किसी तरह का सांप्रदायिक एंगल है. इस पर उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह दावा पूरी तरह ग़लत है. उन्होंने बताया कि यह विवाद केवल दिमासा जनजातीय परिवार और बिहार के एक गैर-जनजातीय परिवार के बीच ज़मीन को लेकर हुआ था, जिसके दौरान दिमासा लड़की के साथ मारपीट की गई थी. वे इस मामले में मध्यस्थता के लिए वहां पहुंचे थे.
डेनियल लैंगथासा ने कहा कि कार्बी आंगलोंग छठी अनुसूची के अंतर्गत आता है और यहां दिमासा जनजातीय लोग रहते हैं, जो हिंदू हैं. उन्होंने यह भी बताया कि वे ख़ुद दिमासा जनजातीय समुदाय से हैं और हिंदू हैं. इस पूरे मामले में न तो कोई मुस्लिम और न ही कोई ईसाई समुदाय शामिल था.
उन्होंने सोशल मीडिया के उस दावे को भी ख़ारिज किया, जिसमें कहा गया था कि स्थानीय लोगों ने छठ पूजा करने पर बिहार के लोगों के साथ मारपीट की. डेनियल ने इसको लेकर फ़ेसबुक पर एक पोस्ट भी किया है.
इस मामले को लेकर हमने खेरोनी पुलिस स्टेशन इंचार्ज विधान दास से भी संपर्क किया. उन्होंने बताया कि यह एक ज़मीन विवाद का मामला था, जिसे आपसी सहमति से सुलझा लिया गया था और इस पर कोई पुलिस केस दर्ज नहीं हुआ था.
विधान दास ने वायरल दावे को ख़ारिज करते हुए कहा कि इसमें मुसलमानों द्वारा हिंदुओं को छठ पूजा करने से रोकने जैसा कोई मामला नहीं है.
भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के कुछ जनजातीय इलाकों में स्वायत्त जिला परिषदों (Autonomous District Councils) का प्रावधान है. इसका उद्देश्य जनजातीय समुदायों को स्थानीय स्वशासन देना और उनकी भूमि, संसाधन और संस्कृति की रक्षा करना है.
इनको ज़मीन, जंगल, पानी, ग्राम प्रशासन और पारंपरिक रीति-रिवाजों जैसे मामलों में कानूनी और प्रशासनिक अधिकार दिए गए हैं, ताकि बाहरी लोग जनजातीय क्षेत्रों की ज़मीन पर कब्ज़ा न कर सकें और उनकी पहचान सुरक्षित रहे.
दिमासा जनजाति असम की प्रमुख आदिवासी जनजातियों में से एक है, जो मुख्य रूप से कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ के इलाकों में रहती है. दिमासा समुदाय के अधिकतर लोग हिंदू धर्म का पालन करते हैं और दिमासा काचारी समूह से संबंध रखते हैं. छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले इलाकों में दिमासा समुदाय को भूमि और संसाधनों पर पारंपरिक अधिकार प्राप्त हैं, ताकि उनकी पहचान और सांस्कृतिक विरासत सुरक्षित रह सके.
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स्पष्ट है कि असम के कार्बी आंगलोंग ज़िले के खेरोनी गांव के इस मामले में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है और इसमें किसी भी मुस्लिम व्यक्ति की संलिप्तता नहीं थी.
Sources
Facebook Post by Pradip Ronghang, Oct 25, 2025
Instagram Post by Guwahati Digital, Oct 26, 2025
Facebook Post by Guwahati Digital, Oct 26, 2025
Facebook Posts by Daniel Langthasa, Oct 25 & Oct 27, 2025
Facebook Post by Karbi Anglong Today, Oct 26, 2025
Report by India Today NE, Sep 16, 2025
Sixth Schedule, Ministry of External Affairs
Article by Northeast Development Agency (NEDA)
Telephonic conversation with Daniel Langthasa
Telephonic conversation with Kheroni Police Station Incharge Vidhan Das
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