रविवार, दिसम्बर 22, 2024
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सुप्रीम कोर्ट के जजों के पास नहीं है कोरोना वैक्सीन चुनने का अधिकार, NDTV ने शेयर किया फेक दावा

पीएम मोदी ने सोमवार को वैक्सीन लगवाकर कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन के दूसरे चरण की शुरूआत की है। इसी के साथ आज यानि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा और पूर्व जजों को कोरोना वैक्सीन लगाई जायेगी। सुप्रीम कोर्ट के 30 जजों में से 29 जजों का आज टीकाकरण किया जायेगा। सिर्फ जस्टिस सूर्यकांत को वैक्सीन नहीं लगाई जायेगी। 

इसी बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। जिसमें दावा किया गया है कि जजों को इस चयन का अधिकार है कि वे कोविशील्ड या फिर कोवैक्सीन का टीका लगवाएंगे। NDTV ने सबसे पहले इस खबर को ब्रेकिंग न्यूज के तौर पर अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट किया था। जिसके बाद देखते ही देखते ये खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। NDTV ने अपनी वेबसाइट पर भी इस खबर को पोस्ट किया है।

NDTV
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पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है।

Fact Check/Verification

वायरल दावे का सच जानने के लिए हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें The Hindu की एडिटर द्वारा किया गया एक ट्वीट मिला। जिसमें उन्होंने Cowin portal, और CGHS का हवाला देते हुए इस खबर को गलत बताया है। साथ ही लिखा था कि जजों के पास ये अधिकार नहीं है, टीकाकरण के नियम सभी के लिए एक जैसे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि CoWin एक ऐप है, जिसके जरिए कोरोना वायरस वैक्सीन के लिए पंजीकरण किया जा सकता है। 

पड़ताल के दौरान हमें India Today की एक रिपोर्ट मिली। जिसे 1 मार्च 2020 को प्रकाशित किया गया था। इस रिपोर्ट के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय ने NDTV द्वारा इन सभी खबरों को गलत बताया है। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि किसी के पास भी वैक्सीन चुनने के अधिकार नहीं है। सभी के लिए टीकाकरण की प्रकिया एक जैसी है।

सर्च के दौरान हमें न्यूज एजेंसी ANI का एक ट्वीट मिला। जिसमें बताया गया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय  ने स्पष्ट किया है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को कोवैक्सिन और कोविशील्ड  के बीच चयन करने की अनुमति नहीं है। यह पूरी तरह से Co-Win सिस्टम के जरिए होगा। 

भारत में इस समय बायोटेक की कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड वैक्सीन से टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है। कोवैक्सिन को भारत बायोटेक कंपनी और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने मिलकर बनाया है। जबकि कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है। 

कोविशील्ड के ट्रायल में अब तक 23,745 लोग और कोवैक्सीन के ट्रायल में अब तक 22,500 लोग शामिल हुए हैं। कोविशील्ड को ट्रायल में 70 से 90 फीसदी तक असरदार पाया गया है। जबकि कोवैक्सीन को ट्रायल में 100 फीसदी तक असरदार पाया गया है। हालांकि दोनों ही वैक्सीन का अभी तीसरे चरण का ट्रायल जारी है।

Conclusion

हमारी पड़ताल में मिले तथ्यों के मुताबिक NDTV की न्यूज रिपोर्ट गलत है। कोवैक्सिन और कोविशील्ड में से एक वैक्सीन चुनने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के पास नहीं है। सभी के लिए टीकाकरण के नियम एक जैसे हैं। सोशल मीडिया पर गलत दावा वायरल हो रहा है।

Result: False

Our Sources

Twitter – https://twitter.com/nistula/status/1366346166963593221

India today – https://www.indiatoday.in/coronavirus-outbreak/vaccine-updates/story/supreme-court-judges-coronavirus-covid19-vaccine-choice-health-ministry-clarification-1774452-2021-03-01

Twitter – https://twitter.com/ANI/status/1366355979990757378


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