सोशल मीडिया पर अखबार की एक क्लिपिंग के जरिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की आलोचना की जा रही है. क्लिपिंग की हेडलाइन में लिखा है, “राष्ट्रपति ने पूछा- ओबीसी, एससी, एसटी, महिला जज इतने कम क्यों?”.
यूजर्स इसे शेयर करते हुए लिख रहे हैं कि पांच साल कोविंद बीजेपी सरकार और संघ विचारधारा के साथ मजबूती से खड़े रहे, लेकिन जब कार्यकाल खत्म होने का वक्त आया तो उन्हें दलित और ओबीसी याद आ गए. यह पोस्ट फेसबुक और ट्विटर पर तेजी से शेयर हो रहा है।

दरअसल, रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है. देश में 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं. 21 जुलाई को नतीजों के बाद देश को नया राष्ट्रपति मिलेगा. रामनाथ कोविंद ने 25 जुलाई 2017 को भारत के राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी. वह बीजेपी की अगुआई वाले एनडीए गठबंधन की तरफ से उम्मीदवार थे. अपने कार्यकाल में कोविंद ने संसद द्वारा पारित किए गए कई बिल और संशोधनों को हरी झंडी दी. इनमें किसान बिल और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया जाना भी शामिल था.
Fact Check/Verification
गूगल सर्च करने पर हमें 26 नवंबर 2017 का एक फेसबुक पोस्ट मिला, जिसमें वायरल क्लिपिंग मौजूद है. इतनी बात तो यहीं साफ हो गई कि यह क्लिपिंग लगभग 5 साल पुरानी है, न कि हाल फिलहाल की.

उस समय रामनाथ कोविंद के इस बयान पर कई खबरें भी प्रकाशित हुईं थीं. दैनिक भास्कर की एक खबर के अनुसार, कोविंद ने यह बयान 25 नवंबर 2017 को राष्ट्रीय विधि दिवस के मौके पर दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में दिया था.
उन्होंने कहा था कि न्यायपालिका में महिला, एससी-एसटी और ओबीसी जजों की कम संख्या चिंताजनक है. देश की अदालतों के 17 हजार जजों में सिर्फ 4700 ही महिलाएं हैं, यानी चार में से सिर्फ एक महिला जज. हालांकि, यह कहते हुए कोविंद ने इस बात पर भी जोर दिया था कि जजों की नियुक्ति में गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाना चाहिए. इसको लेकर द प्रिंट और फर्स्टपोस्ट ने भी खबरें छापी थीं.
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Conclusion
कुल मिलाकर निष्कर्ष यह निकलता है कि कोविंद का ओबीसी, एससी, एसटी और महिला जजों की कमी पर दिया गया यह बयान पांच साल पुराना है. इसे अभी का बताकर सोशल मीडिया पर भ्रम फैलाया जा रहा है.
Result: Partly False
Our Sources
Facebook Post of November 26, 2017
Reports of Dainik Bhaskar, The Print and First Post, published on November 25, 2017
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