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समय-समय पर आरक्षण को लेकर देश में सियासत गरमाती रहती है। गुजरात में पाटीदार आंदोलन, राजस्थान में गुर्जर आंदोलन, महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन और हरियाणा में जाट आंदोलन के अलावा, अन्य राज्यों में भी आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन होते रहते हैं। भारत में आरक्षण शुरू से ही बहस का मुद्दा रहा है। देश का एक बड़ा वर्ग जहां आरक्षण के समर्थन में है, तो वहीं इसका विरोध करने वाले लोगों की भी कमी नहीं है। युवा पीढ़ी अक्सर आरक्षण को लेकर सोशल मीडिया पर सवाल पूछती नजर आती है कि आखिर किसी भी वर्ग को जाति के आधार पर कब तक लाभ दिया जाएगा।
आरक्षण के मुद्दे पर देश का उच्चतम न्यायालय भी अपनी नाराजगी जाहिर कर चुका है। एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर तीखी टिप्पणी करते हुए पूछा कि आखिर कितनी पीढ़ियों तक आरक्षण चलेगा। आरक्षण को लेकर छिड़ी इसी बहस के बीच, एक पोस्ट तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। पोस्ट में दावा किया गया है, ‘गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य से आरक्षण खत्म करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। गुजरात देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है, जहाँ पर आरक्षण को पूर्ण रूप से हटा दिया गया है। सरकारी नौकरी हो या पढ़ाई सभी में आरक्षण को पूर्ण रूप से समाप्त घोषित कर दिया गया है।’
पोस्ट से जुड़े आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है। आरक्षण को पूरी तरह समाप्त करने वाला पहला राज्य बना गुजरात ये दावा व्हाट्सएप पर तेजी से शेयर किया जा रहा है।
Fact Check/Verification
क्या गुजरात में जातीय आरक्षण (Reservation In Gujarat) पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है, इस दावे का सच जानने के लिए हमने गूगल पर कई कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया, लेकिन हमें ऐसी कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली, जिससे इस वायरल दावे का सच पता चल पाता। अगर सच में गुजरात हाई कोर्ट ने प्रदेश से आरक्षण खत्म करने का फैसला दिया होता, तो यह एक राष्ट्रीय मुद्दा होता और तमाम मीडिया संस्थान इसे रिपोर्ट जरूर करते, लेकिन हमें ऐसी कोई प्रमाणिक रिपोर्ट नहीं मिली, जो कि इस दावे की पुष्टि करती हो।
पड़ताल के दौरान हमें जो न्यूज रिपोर्ट्स प्राप्त हुई, वह वायरल दावे के विपरीत थीं। 19 सितंबर 2021 को प्रकाशित Patrika की न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात के सीएम भूपेन्द्र पटेल ने सरकारी नौकरियों में दिव्यांगों को 4 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया है।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने गुजरात हाई कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट को भी खंगालना शुरू किया। इस प्रक्रिया में हमें प्राइवेट सेक्रेटरी के पदों की भर्ती से जुड़ी एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट में 27 पदों को आरक्षण की अलग-अलग श्रेणियों के हिसाब से विभाजित किया गया है। इसके बाद ये साफ होता है कि गुजरात में सरकारी भर्तियों के लिए आरक्षण नियमों का पालन किया जा रहा है।
हमने शिक्षा में मिलने वाले आरक्षण के बारे में जानने के लिए careers360 और गुजरात यूनिवर्सिटी gtu-in की वेबसाइट पर जाकर सर्च किया। यहां पर भी अलग-अलग पाठयक्रम में प्रवेश लेने के लिए, अंकों के हिसाब से एससी, एसटी और ओबीसी के लिए सीटें आरक्षित हैं।
14 जनवरी 2019 को NDTV द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात देश का ऐसा पहला राज्य है, जिसने सामान्य श्रेणी के लोगों को आरक्षण (Reservation In Gujarat) दिया था। दरअसल साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने आरक्षण बिल में कुछ संवैधानिक संशोधन किए थे। नए नियमों के मुताबिक, सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा में सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को, 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा। जिसे सबसे पहले गुजरात सरकार ने लागू किया था। राज्य में इन नए नियमों को 14 जनवरी 2019 से लागू किया गया है। Navbharat Times ने भी इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया था।
Conclusion
हमारी पड़ताल में मिले तथ्यों के मुताबिक, वायरल पोस्ट को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। गुजरात हाई कोर्ट ने प्रदेश से आरक्षण खत्म (Reservation In Gujarat) करने का आदेश नहीं दिया है। सूबे में सरकारी नौकरियों से लेकर शिक्षा तक में आरक्षण दिया जा रहा है।
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Result: False
Claim Review: आरक्षण को पूरी तरह समाप्त करने वाला पहला राज्य बना गुजरात। Claimed By: Viral social media post Fact Check: False |
Our Sources
Gujurat High Court –https://gujarathighcourt.nic.in/hccms/sites/default/files/Recruitment_files/89_202122_2021_6_25_511.pdf
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