Newchecker.in is an independent fact-checking initiative of NC Media Networks Pvt. Ltd. We welcome our readers to send us claims to fact check. If you believe a story or statement deserves a fact check, or an error has been made with a published fact check
Contact Us: checkthis@newschecker.in
Fact Check
सोशल मीडिया पर एक इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए महिलाओं को लेकर एक चौंकाने वाला दावा किया जा रहा है. पोस्ट में लिखा है कि भारतीय अदालत के नियम के तहत, देश में यौन उत्पीड़न से पीड़ित महिला की शिकायत दर्ज नहीं हो सकती, अगर घटना के समय उसने ‘यौन उत्तेजक पोशाक’ पहनी हुई थी.

रोचक तथ्य नाम के एक इंस्टाग्राम अकाउंट द्वारा शेयर किए गए इस पोस्ट को अभी तक 7000 से ज्यादा लोग लाइक कर चुके हैं. कुछ फेसबुक यूजर्स ने भी इसे साझा किया है. पोस्ट में लिखी बात को सच मानते हुए कुछ लोग भारत की कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं.
वायरल दावे को कुछ कीवर्ड्स की मदद से खोजने पर हमें इससे मिलती-जुलती कुछ खबरें मिलीं. दरअसल, हाल ही में केरल के एक सत्र न्यायालय के यौन उत्पीड़न के एक मामले में दिए गए फैसले से काफी बवाल हो गया था. कोझिकोड़ सत्र न्यायालय ने 12 अगस्त को एक आदेश पारित करते हुए लेखक और एक्टिविस्ट सिविक चंद्रन को यौन उत्पीड़न के मामले में अग्रिम जमानत दे दी थी.
न्यायालय का कहना था कि शिकायतकर्ता महिला ने खुद ‘यौन उत्तेजक’ पोशाक पहन रखी थी, जिस वजह से आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 354-A के तहत अपराध का केस प्रथम दृष्टया नहीं बनता. यह फैसला कोर्ट ने महिला की कुछ तस्वीरें देखने के बाद दिया था. फैसले के बाद इस सत्र न्यायालय की कड़ी आलोचना हुई. जिस जज ने यह फैसला दिया था, उनका कुछ दिनों बाद ट्रांसफर भी कर दिया गया.
साथी ही, केरल हाईकोर्ट ने सत्र न्यायालय के अग्रिम जमानत वाले फैसले पर रोक भी लगा दी है. हाईकोर्ट का कहना है कि सत्र न्यायालय की ‘यौन उत्तेजक कपड़े’ वाले फैसले को जस्टिफाई नहीं किया जा सकता.
सत्र न्यायालय का फैसला काफी विवादित था, लेकिन इससे जुड़ी खबरों में हमें इस बात का जिक्र कहीं नहीं मिला कि भारतीय अदालत का ऐसा कोई नियम है जिसके तहत महिला यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज नहीं करा सकती, अगर उसने घटना के वक्त ‘यौन उत्तेजक’ पोशाक पहनी हुई थी, जैसा कि वायरल पोस्ट में लिखा हुआ है.
इस बारे में हमने दिल्ली हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज आरएस सोढ़ी से भी बात की. रिटायर्ड जस्टिस सोढ़ी का भी यही कहना था कि वायरल पोस्ट में लिखी बात एकदम गलत है. भारतीय कानून में ऐसा कोई नियम नहीं है. हमने जस्टिस सोढ़ी से कोझिकोड सत्र न्यायालय के फैसले पर भी उनकी राय जानी. इस बारे में उनका कहना था कि इस तरह के फैसले ऊपरी अदालतों में पलट दिए जाते हैं.
इसके अलावा, वायरल पोस्ट में किए गए दावे की सच्चाई जानने के लिए Newschecker ने सुप्रीम कोर्ट के एक सीनियर वकील राजू रामचंद्रन से भी बात की. रामचंद्रन ने भी वायरल दावे को गलत बताया.
यहां हमारी पड़ताल में साफ हो जाता है कि वयरल पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत है. भारतीय कानून में ऐसा कोई नियम नहीं है कि ‘यौन उत्तेजक कपड़े’ पहनने पर यौन उत्पीड़न से पीड़ित महिला शिकायत दर्ज नहीं करा सकती.
Our Sources
Report of Live Law, published on August 17, 2022
Report of The Indian Express, published on August 24, 2022
Quote of Retired Justice RS Sodhi & Senior Supreme Court lawyer Raju Ramachandran
किसी संदिग्ध ख़बर की पड़ताल, संशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044 या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in