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क्या अफगानी महिलाओं के संघर्ष को दर्शाती है ये वायरल तस्वीर?

अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद, महिलाओं से एक-एक कर सभी अधिकार छीने जा रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान सरकार ने महिला मामलों के मंत्रालय में, महिला कर्मचारियों को ही जाने से रोक दिया है। तालिबान के नए फैसले के मुताबिक, वहां पर सिर्फ पुरुषों को ही काम करने की इजाजत है। हालांकि, महिलाएं हिम्मत दिखाते हुए लगातार अपने हक के लिए प्रदर्शन कर रही हैं, लेकिन इसका बहुत ज्यादा असर तालिबान सरकार पर पड़ता नजर नहीं आ रहा है। इसी बीच सोशल मीडिया पर बुर्का पहने महिलाओं की कलाकृति की एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। दावा है कि इस तस्वीर को अफगान कलाकार शमसिया हसनी (Shamsia Hassani) ने बनाया है, जो अफगानी महिलाओं के संघर्ष की कहानी बयां करती है।

Crowdtangle की सहायता से किए गए विश्लेषण के मुताबिक, वायरल तस्वीर अफगानी महिलाओं के संघर्ष का बताकर सोशल मीडिया पर सैकड़ों लोगों ने शेयर किया है। ट्विटर पर कांग्रेस नेता @ShashiTharoor की पोस्ट को सबसे ज्यादा, शेयर और लाइक किया गया है। लेख लिखे जाने तक इस पोस्ट पर 3.7K शेयर और 17.4K लाइक थे।

पोस्ट से जुड़े आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है।

Fact Check/Verification

वायरल पेटिंग का सच जानने के लिए हमने तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया, इस दौरान हमें वायरल तस्वीर Clios नामक एक वेबसाइट पर मिली। वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, इस तस्वीर को अमेरिकी विज्ञापन एजेंसी यंग एंड रूबिकम (Young & Rubicam) ने साल 2018 में रिपोर्टर मैगजीन के लिए बनाया था। विज्ञापन एजेंसी यंग एंड रूबिकम (Young & Rubicam) ने अपना नजरिया बदलें, कट्टरवाद पर सवाल और फासिज्म पर सवाल, नाम से इस तरह की 3 तस्वीरों को बनाया था. ये तस्वीर उन्हीं में से एक है। असली तस्वीर की तुलना वायरल तस्वीर से करने पर हमने पाया कि वायरल तस्वीर में एडिटिंग सॉफ्टवेयर के जरिए कई बदलाव किए गए हैं। असली तस्वीर में महिला एक पत्रिका पकड़े हुए है, जिस पर रिपोर्टर लिखा हुआ है। जबकि वायरल तस्वीर में लड़की ने लाल पुस्तक पकड़ा हुआ है। 

अफगानी महिलाओं के संघर्ष
अफगानी महिलाओं के संघर्ष

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने शमसिया हसनी (Shamsia Hassani) के सोशल मीडिया अकाउंट्स को खंगालना शुरू किया। इस प्रक्रिया में हमें वायरल तस्वीर से जुड़ा एक ट्वीट, शमसिया हसनी (Shamsia Hassani) के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर मिला। वायरल तस्वीर को पोस्ट करते हुए शमसिया ने कैप्शन में लिखा है, “मुझे पता है कि आप सभी लोग मेरे आर्ट को सपोर्ट करना चाहते हैं, लेकिन ये आर्ट मैंने नहीं बनाया है। सभी कलाकारों की इज्जत करें और उन्हें उनके काम का श्रेय दें।”

अफगानी महिलाओं के संघर्ष को नहीं दर्शाती है ये वायरल तस्वीर

गौरतलब है कि शमसिया हसनी अफगानिस्तान की एक Graffiti कलाकार हैं। अब तक वह अफगानिस्तान और वहां की महिलाओं पर तालिबान के अत्याचारों को लेकर कई कलाकृतियां बना चुकी हैं, जिन्हें काफी सराहा गया है। शमसिया हसनी अफगानिस्तान की पहली कलाकृति (Graffiti) महिला कलाकार हैं। वह काफी समय से अपनी कला के जरिए महिलाओं के अधिकारों के लिए खड़ी होती आ रही हैं। बीते 10 अगस्त को उन्होंने एक कलाकृति प्रकाशित की थी। कलाकृति में एक महिला अपने हाथों में संगीत यंत्र लिए, हथियारों से घिरे पुरुषों के बीच में खड़ी है। इस कलाकृति को काफी पसंद किया गया था।

Conclusion

हमारी पड़ताल में मिले तथ्यों के मुताबिक, वायरल तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। वायरल कलाकृति को शम्सिया हसनी ने नहीं, बल्कि विज्ञापन एजेंसी यंग एंड रूबिकम ने साल 2018 में बनाया था। जिसे अब गलत दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। 

Result :- Manipulated Media

Claim Review: अफगानी महिलाओं के संघर्ष को दर्शाती वायरल तस्वीर।
Claimed By: Viral social media post
Fact Check: Manipulated Media

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Our Sources

Clios-https://clios.com/awards/winner/45740

Twitter –https://twitter.com/ShamsiaHassani/status/1437514920602472449/photo/1


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