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Fact Check
Claim
बांग्लादेश में अपने लापता बेटे की तलाश में विरोध प्रदर्शन कर रहे हिन्दू समुदाय के एक वृद्ध का वीडियो।
Fact
यह दावा फ़र्ज़ी है। वीडियो में नजर आ रहा व्यक्ति मुस्लिम है।
बांग्लादेश में हो रही हिंसा में अल्पसंख्यकों और पुरानी सरकार के समर्थकों पर हमले की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। भारत सरकार ने भी बांग्लादेश में हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए अंतरिम सरकार से अपील की है। इस बीच सोशल मीडिया पर एक वृद्ध व्यक्ति का वीडियो वायरल है। दावा किया गया है की यह व्यक्ति हिन्दू है जो अपने लापता बेटे के पोस्टर के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहा है।
13 अगस्त 2024 को एनडीटीवी इंडिया ने अपने वेरिफाइड फेसबुक पेज से यह वीडियो शेयर किया। वीडियो में एक बूढ़ा आदमी गले में एक तस्वीर टांगें सड़क पर धरना करता नजर आता है। पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, “मेरा बच्चा कहां है?” बांग्लादेशः अपने लापता बेटे के पोस्टर के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे हिंदू समुदाय के एक शख्स की पीड़ा “मैं अपनी जान दे दूंगा लेकिन मुझे अपने बच्चे के लिए न्याय चाहिए, मेरा बच्चा कहां है? मैं अपने बच्चे के बारे में जानने के लिए घर-घर जा रहा हूं। लेकिन कोई मेरी बात नहीं सुन रहा है। “ कैप्शन में ‘बांग्लादेश’ और ‘हिन्दू’ हैशटैग जोड़े गए हैं। फेसबुक पोस्ट का यहाँ देखें।

Fact Check/Verification
दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले हमने वायरल वीडियो के की-फ्रेम्स और ‘गुमशुदा’, ‘बांग्लादेश’, ‘तलाश’, ‘धरना-प्रदर्शन ‘, ‘पिता’, ‘पुत्र’ जैसे की-वर्ड्स को गूगल पर सर्च किया। इस दौरान हमें 13 अगस्त 2024 को बांग्ला ट्रिब्यून द्वारा ‘लापता लोगों के परिजनों ने यमुना के सामने सड़क पर बैठकर प्रदर्शन किया’ कैप्शन के साथ प्रकाशित वीडियो रिपोर्ट मिली। वीडियो में वायरल वीडियो वाले वृद्ध नजर आये। दोनों ही तस्वीरों में वृद्ध के हाथ में एक ही तस्वीर है।

संबंधित की-वर्ड सर्च करने पर हमें इस घटना से संबंधित कई वीडियो रिपोर्ट्स मिलीं। 13 अगस्त 2024 को ‘देश रूपांतर’ द्वारा बांग्लादेश में लापता हुए लोगों के परिजनों द्वारा किये जा रहे प्रदर्शन को दर्शाते वीडियो में हमें सीने से तस्वीर को लगाकर सड़क पर लेटे वायरल वीडियो वाले वृद्ध नजर आये। वीडियो में बहुत सी महिलाएं और बच्चे भी अपने-अपने परिवारजनों की तस्वीर पकड़े सड़क पर धरना प्रदर्शन करते नजर आये। वीडियो में हमने देखा की धरने पर बैठी अधिकांश महिलाओं ने बुर्क़ा पहना हुआ है, ऐसे में हिन्दू समुदाय द्वारा किये गए धरने के दावे पर हमें संशय हुआ।

जांच के दौरान हमें 13 और 14 अगस्त 2024 को इस धरने पर प्रकाशित ‘प्रोथोम अलो ‘, ‘ढाका टाइम्स‘ और ‘आजकर सतखीरा’ की रिपोर्ट्स मिलीं। बांग्ला में प्रकशित इन रिपोर्ट्स का अनुवाद करने पर हमने पाया कि यह धरना पिछले 15 वर्षों में अवामी लीग सरकार के शासनकाल के दौरान सौ से अधिक परिवारों के लापता रिश्तेदारों को खोजने की मांग को लेकर है। यह धरना 10 अगस्त, शनिवार की रात करीब 11 बजे बांग्लादेश की राजधानी ढाका के तोपखाना रोड पर नेशनल प्रेस क्लब के सामने शुरू हुआ। जहाँ लापता लोगों के परिजन, लापता लोगों की तस्वीरें, बैनर और तख्तियां लेकर खड़े हो गये।
इसी क्रम में मंगलवार को गुमशुदा लोगों के परिवारजनों ने दोपहर करीब तीन बजे हेयर रोड पर राष्ट्रीय गेस्ट हाउस यमुना के सामने धरना दिया। वे अपने लापता रिश्तेदारों की तस्वीरें और बैनर लेकर यमुना के बगल वाली सड़क पर बैठ गए। उस समय उन्होंने आवामी लीग सरकार के दौरान लापता हुए रिश्तेदारों की वापसी की मांग की। साथ ही, उन्होंने उन लोगों की शीघ्र रिहाई की भी मांग की जो अभी भी गुप्त जेल में बंद हैं।
इस मांग को लेकर गुमशुदा लोगों के परिजनों ने सड़क को जाम कर दिया। उन्होंने सरकार से मांग की कि वे अपने लापता परिजनों की जीवित या मृत स्थिति का पता चाहते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि किस प्रकार एक मां शाहेरा खातून अपने बेटे सैफुल इस्लाम की वापसी की मांग करने आई हैं, जिनका बेटा 10 फरवरी 2013 को लापता हो गया था। वहीं शहनाज मोहन अपने पति को वापस पाना चाहती है, जो 10 जून 2018 से लापता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि मंगलवार शाम को संजीदा इस्लाम सहित लापता व्यक्तियों के परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने राज्य अतिथि गृह यमुना में मोहम्मद यूनुस से मुलाकात की।
इस प्रदर्शन से जुड़े वीडियो को यहाँ और यहाँ भी देखा जा सकता है।


जांच के दौरान हमें इस प्रदर्शन से जुड़े एक वीडियो में वायरल वीडियो में नजर आ रहे वृद्ध का वीडियो मिला। Kaler Kantho द्वारा शेयर किये गए इस वीडियो में वे बताते हैं कि “उनका बेटा लापता हो गया है। जब उन्होंने संपर्क किया था तो पुलिस या आरएबी ने उन्हें कोई जानकारी नहीं दी। इसलिए वह नई सरकार के मुख्य सलाहकार के घर के सामने बैठे हैं और उन सभी लोगों की वापसी की मांग कर रहे हैं जो अयानाघर (बांग्लादेशी सुरक्षा बलों के लिए एक गुप्त हिरासत केंद्र) के कारण गायब हो गए हैं।”

जांच में आगे हमने प्रदर्शन में शामिल वृद्ध की पहचान को जानने के लिए उनके इंटरव्यू खंगाले। इस दौरान हमें समकाल न्यूज़ द्वारा 13 अगस्त 2024 को शेयर किया गया इंटरव्यू मिला। यहाँ वे कैमरे की तरफ अपने बेटे, अपना और बीवी का नाम लिखा लिफ़ाफ़ा दिखाते हैं। लिफाफे पर “মো’ সানি হাঃ পিতা মোঃ বাবুল হবং মাতা সাহিদা বেগমঃ” लिखा होता है। गूगल ट्रांसलेट की मदद से हमें इस पर मां का नाम महिदा बेगम पता चला। अनुवाद के लिए हमने बांग्लादेश स्थित न्यूज़चेकर टीम की मदद ली। उन्होंने बताया कि लिफ़ाफ़े पर गुमशुदा बेटे का नाम मोहम्मद सनी हवलदार लिखा है, पिता का नाम मोहम्मद बाबुल हवलदार और माँ का नाम साहिदा बेगम लिखा है। जिससे स्पष्ट हो जाता है कि उक्त व्यक्ति हिन्दू नहीं बल्कि मुस्लिम है।


Conclusion
जांच से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि बांग्लादेश में अपने लापता बेटे की तलाश में विरोध प्रदर्शन कर रहे मुस्लिम व्यक्ति का वीडियो हिन्दू बताकर वायरल किया जा रहा है।
Result: False
Sources
Report published by Dhaka Tribune on 13th August 2024.
Report published by Prothomalo on 13th August 2024.
Youtube Video by on Kaler Kantho on 13th August 2024.
Youtube Video by Samakal News on 13th August 2024.
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