Authors
An Electronics & Communication engineer by training, Arjun switched to journalism to follow his passion. After completing a diploma in Broadcast Journalism at the India Today Media Institute, he has been debunking mis/disinformation for over three years. His areas of interest are politics and social media. Before joining Newschecker, he was working with the India Today Fact Check team.
Claim
चेन्नई में मदद के बहाने चोरी कर रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं को पकड़ा गया है.
Fact
तस्वीर 10 साल से ज्यादा पुरानी है और आगरा की है. फोटो का चेन्नई या चोरी की वारदात से कोई संबंध नहीं है.
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर के जरिए दावा किया जा रहा है कि चेन्नई में मदद के बहाने चोरी कर रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यकर्ताओं को पकड़ा गया है. वायरल तस्वीर में कुछ पुलिसकर्मी एक व्यक्ति को पकड़े हुए हैं और उस पर लाठी चला रहे हैं. व्यक्ति आरएसएस की ड्रेस जैसी खाकी हाफ पैंट और सफेद शर्ट पहने हुआ है.
वायरल पोस्ट में तस्वीर के साथ एबीपी न्यूज़ का लोगो है और हेडलाइन में लिखा है, “चेन्नई: मदद के बहाने जेवर चोरी करते पकड़े गए संघ के कार्यकर्ता”. यह पोस्ट फेसबुक पर जमकर शेयर किया जा रहा है. ट्विटर पर भी कुछ यूजर्स ने इसे शेयर किया है.
Fact Check/Verification
वायरल फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने पर हमें एबीपी न्यूज़ का एक ट्वीट मिला. 8 दिसंबर 2015 को पोस्ट किए गए इस ट्वीट में खंडन किया गया है कि एबीपी न्यूज़ ने ऐसी कोई खबर नहीं छापी या टीवी पर दिखाई है.
यानी कि यह पोस्ट हाल फिलहाल में नहीं बल्कि सालों से वायरल हो रहा है. एबीपी न्यूज़ में एडिटर पद पर रहे मिलिंद खांडेकर ने भी 8 दिसंबर 2015 को ट्वीट किया था कि संस्था ने ऐसी कोई रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की है.
तो फोटो की कहानी क्या है?
रिवर्स सर्च की मदद से ही हमें 9 दिसंबर 2015 को प्रकाशित हुई ‘जागरण’ की एक खबर मिली. इस खबर में बताया गया है कि वायरल फोटो तीन साल पहले यानी कि 2012 में ‘दैनिक जागरण आगरा’ में पहले पेज पर छपी थी, जिसे अब झूठी जानकारी के साथ शेयर किया जा रहा है.
जागरण की 2015 वाली खबर के अनुसार, 11 नवंबर 2012 को आगरा में आरएसएस के कार्यकर्ता साइकिल रैली निकाल रहे थे. इस बीच एक कार ने उन्हें टक्कर मार दी. इसका विरोध करने पर स्वयंसेवकों को ही पीट दिया गया. जब स्वयंसेवक इसका विरोध दर्ज कराने पुलिस के पास पहुंचे तो उन पर लाठीचार्ज कर दिया गया. वायरल फोटो इसी दौरान ली गई थी.
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18 नवंबर 2012 को इस मामले पर ‘अमर उजाला’ ने भी एक खबर छापी थी. दैनिक जागरण ने खुद भी 11 नवंबर 2012 को वायरल फोटो के साथ मामले पर खबर छापी थी. इसके साथ ही, हमें ऐसी कोई खबर भी नहीं मिली कि चेन्नई में मदद के बहाने चोरी कर रहे आरएसएस कार्यकर्ताओं को पकड़ा गया है.
Conclusion
कुल मिलाकर निष्कर्ष निकलता है कि वायरल पोस्ट भ्रामक है. तस्वीर 10 साल से ज्यादा पुरानी है और आगरा की है. फोटो का चेन्नई या चोरी की वारदात से कोई संबंध नहीं है.
Result: False
Our Sources
Tweet of ABP News, posted on December 8, 2015
Report of Dainik Jagran, published on December 9, 2015
Report of Amar Ujala, published on November 18, 2012
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An Electronics & Communication engineer by training, Arjun switched to journalism to follow his passion. After completing a diploma in Broadcast Journalism at the India Today Media Institute, he has been debunking mis/disinformation for over three years. His areas of interest are politics and social media. Before joining Newschecker, he was working with the India Today Fact Check team.