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कोरोना ने देशभर में कोहराम मचा रखा है। देशभर के अस्पतालों में मरीजों हेतु समुचित संख्या में बेड और ऑक्सीजन सिलेंडर की उपलब्धता नहीं है। जिसके चलते बड़ी संख्या में लोग असमय काल के गाल में समा जा रहे हैं। कोरोना मरीजों के साथ कई अन्य रोगों से पीड़ित मरीज भी संसाधनों के अभाव में अस्पताल के सामने ही दम तोड़ रहे हैं। ऐसे में इस सप्ताह कोरोना संक्रमण से जुड़े कई फेक दावे सोशल मीडिया की सुर्खियों में रहे। कोरोना के साथ ही कई ऐसे भी फेक दावे सोशल मीडिया पर शेयर किए गए जिनका सीधा सरोकार हमारे समाज से है। हमारी टीम ने ऐसे ही कई फेक दावों का सच दुनिया के सामने रखा है।
क्या दिल्ली मेट्रो द्वारा बुर्के पर लगाया गया बैन?
सोशल मीडिया पर दावा किया गया था कि कोरोना महामारी के बीच दिल्ली मेट्रो द्वारा बुर्के पर बैन लगा दिया गया है। जब हमने दावे की पड़ताल की तो पाया कि ये दावा फर्जी है।
क्या लखनऊ में कोरोना मरीजों के लिए लगाए गए 1550 बेडों की है ये वायरल तस्वीर?
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर को शेयर करते हुए दावा किया गया कि यह तस्वीर लखनऊ में कोरोना मरीजों के लिए लगाए गए 1550 बिस्तरों की है। जब हमने दावे की पड़ताल की तो पाया कि ये तस्वीर दिल्ली के एक सरकारी स्कूल की है।
क्या राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने लिखा कुंभ मेले को लेकर ये पत्र?
सोशल मीडिया पर एक पत्र की तस्वीर काफी वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने उत्तराखंड कुंभ मेले को बेहतर ढंग से कराने के लिए राज्य के मुख्य सचिव ओम प्रकाश को एक पत्र लिखा है। जब हमने दावे की पड़ताल की तो पाया कि ये दावा भ्रामक है।
क्या हैदराबाद में हुई इफ्तार पार्टी का है ये वायरल वीडियो?
सोशल मीडिया पर मस्जिद का एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि हजारों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग इस मस्जिद में मौजूद हैं। इस वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो हैदराबाद का है। जहां पर एक इफ्तार पार्टी में शामिल होने के लिए भीड़ इकट्ठा हुई है। जब हमने दावे की पड़ताल की तो पाया कि ये दावा भ्रामक है।
क्या कोरोना संक्रमित है सड़क पर ऑक्सीजन लगाकर बैठी यह महिला?
बीच सड़क पर ऑक्सीजन लगाकर बैठी महिला की तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है। इस तस्वीर को हालिया समय का बताया जा रहा है। साथ ही दावा किया जा रहा है कि इस तस्वीर के जरिए देश की बीमार व्यवस्था को देखा जा सकता है। जब हमने दावे की पड़ताल की तो पाया कि ये तस्वीर तकरीबन 3 साल पुरानी है।
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