After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.
Claim–
केरल के मल्लपुरम में 6 साल पहले सुब्रमण्या मंदिर था, आज इसे पझायंगड़ी(Pazhayangadi) मस्जिद के नाम से जाना जाता है।
Verification–
ट्विटर पर एक पोस्ट में दावा किया गया है कि केरल के मल्लापुरम में सुब्रमण्या मंदिर था वह 6 साल पहले मस्जिद में तब्दील कर दिया है। मंदिर के पुजारी ने दया करके मुसलमानों को जुम्मे के दिन मस्जिद में नमाज पढ़ने की अनुमति दी थी और अचानक यह मंदिर, मस्जिद में बदल गया। आज ये Pazhayangadi मस्जिद के नाम से जाना जाता है।
कोंडोटी , मल्लापुरम केरल ..मात्र 6 साल पहले ये सुब्रमण्या मन्दिर था ..आज ये Pazhayangadi मस्जिद के नाम से जाना जाता है .. मंदिर के पुजारी ने दया करके मुसलमानों को जुम्मे के दिन मस्जिद में नमाज पढ़ने की अनुमति दी थी और अचानक यह मंदिर अब मस्जिद में बदल गया । pic.twitter.com/YPR1V5Hr3Z
इस ट्वीट को लेकर हमनें पड़ताल शुरु की। इसके लिए हमनें गूगल में कुछ कीवर्ड्स की मदद से खोज की लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। बाद में ट्वीट में शेयर की गई मस्जिद की फोटो को गूगल रिवर्स इमेज सर्च और बिंग इमेज सर्च की मदद से ढूंढ़ा तो इस तस्वीर को लेकर कई रिजल्ट सामने आए। इस खोज के दौरान हमेें मल्लपुरम डिस्ट्रिक्ट पंचायत की वेबसाइट मिली जिसमें जिले के धार्मिक स्थलों के बारे में जानकारी दी गई है। इसमें पझायंगडी मस्जिद के बारे में बताया गया है।
पझायंगड़ी मस्जिद एक प्राचीन मस्जिद है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण 18 वीं शताब्दी के दौरान हुआ था। इसे कोंडोटी मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है। यह मुहम्मद शाह को समर्पित है, जिन्हें यहां पर एक पवित्र व्यक्ति माना जाता था, उन्हें कोंडोटी थंगल कहा जाता है। इस मस्जिद का निर्माण मुगल शैली की वास्तुकला में किया गया इसमें शानदार सफेद गुंबद है जो काफी आकर्षक है। कोंडोटी मस्जिद पूजा के लिए बनाई गई पहली मस्जिद है और हजारों भक्त मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए आते हैं। कोंडोट्टी नेरचा फरवरी/ मार्च के महीनों के दौरान यहां आयोजित किया जाने वाला प्रसिद्ध त्योहार है।
हमनें पड़ताल को आगे बढ़ाया गूगल खंगालने पर केरला टूरिज्म की वेबसाइट पर इस मस्जिद के बारे में जानकारी मिली।
वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार यह मस्जिद पांच सौ साल पुरानी है। वेबसाइट पर कहीं पर भी इस मस्जिद की जगह पर पहले सुब्रमण्या मंदिर होने का या मंदिर को मस्जिद में तब्दील करने का जिक्र नहीं है। बता दें कि पिछले साल भी इस मस्जिद को लेकर सोशल मीडिया में इसी प्रकार के दावे वायरल हुए थे। पड़ताल के दौरान कहीं पर भी सुब्रमण्या मंदिर को मस्जिद मे तब्दील करने का कोई जिक्र नहीं मिला। इससे साबित होता है कि मस्जिद को लेकर भ्रामक दावे किए जा रहे हैं।
After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.
After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.