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प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने इतिहासकार रामचंद्र गुहा को पंच मारने की नहीं की कोशिश, भ्रामक दावे वायरल

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सीएए के विरोध में प्रदर्शन कर रहे इतिहासकार रामचंद्र गुहा को पुलिसवाले ने पंच मारने की धमकी दी।

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कांग्रेस के सांसद तथा पूर्व मंत्री शशि थरूर ने ट्विट कर लिखा है कि क्या यह पुलिसवाला अपनी मुट्ठी से रामचंद्र गुहा को मारने की धमकी दे रहा है?  विरोध करने के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने वाले वरिष्ठ इतिहासकार को गिरफ्तार करना काफी बुरा है। लेकिन  ऐसा करना अपमानजनक है और पुलिस सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की हकदार है। क्या गृह मंत्री को परवाह है?
बता दें कि 19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए। देश भर में लोग सड़कों पर उतर गए, जबकि अधिकांश राज्यों में पुलिस ने विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने से इनकार कर दिया और धारा 144 लगा दी। बेंगलुरु के प्रदर्शनकारियों में कर्नाटक के इतिहासकार रामचंद्र गुहा थे, जिन्होंने कई अन्य लोगों के साथ पुलिस ने हिरासत में लिया था। गुहा को हिरासत में लेने वाली पुलिस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब घूम रहा है। हालांकि, सांसद शशि थरूर समेत कई लोगों ने इस दावे के साथ इसे प्रसारित किया कि एक पुलिस वाले ने उसे पंच करने की धमकी दी थी।
हमनें रामचंद्र गुहा के प्रदर्शन को लेकर पड़ताल शुरू की तो हमें गुहा को पुलिसवाले ने पंच मारने की धमकी देने के दावे वाले कई ट्विट्स देखने को मिले।
इंडियन एक्सप्रेस के यूट्यूब चैनल पर भी रामचंद्र गुहा को हिरासत में लेती पुलिस का वीडियो शेयर किया गया है। लेकिन इसमें कहीं पर भी पुलिसवाले ने पंच मारने की धमकी देने का उल्लेख नहीं है।
वीडियो में दिख रहा है कि एक पुलिसकर्मी रामचंद्र गुहा से बात करते कह रहा है कि यह प्रदर्शन गलत है। हमनें वीडियो को काफी स्लो कर देखा तो पता चला कि दूसरे पुलिसवाल ने गुहा की ओर मुठ्ठी की है तो ऐसा लगता है कि वह उन्हें मारने के लिए आगे की है लेकिन ऐसा नहीं है। वीडियो को स्लो करने पर पता चलता है कि पुलिसकर्मी मुट्ठी छाती पर वर्दी की जेब की ओर ले जा रहा है।
इससे साफ होता है कि पुलिस वाले ने इतिहासकार रामंचंद्र गुहा को पंच मारने की धमकी नहीं दी थी। सोशल मीडिया में आधी-अधूरी जानकारी के साथ यह वीडियो भ्रामक दावे के साथ शेयर हो रहा है।
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After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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