गुरूवार, मार्च 28, 2024
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न्यूयार्क में हुए चीनी बोधिसत्व नृत्य को भारत का बताकर सोशल मीडिया में किया गया शेयर

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दो बच्चों द्वारा गाए भजन की धुन पर विद्यार्थियों ने किया नृत्य का जादुई प्रदर्शन। 

Verification –
ट्विटर पर मधु किश्वर नामक हैंडल सें एक वीडियो शेयर किया गया है। इस वीडियो में बच्चों की आवाज में गाए जा रहे भजन पर छात्राएं मनमोहक नृत्य करती नजर आ रही हैं। ट्वीट में यही दावा किया गया है कि बच्चों द्वारा गाए भजन पर जादुई नृत्य का प्रदर्शन किया गया।
इस ट्वीट को लेकर पड़ताल शुरू की तो ट्विटर पर एक और पोस्ट मिला जिसमें यही वीडियो इसी दावे के साथ शेयर किया गया था।
इसके अलावा तारेक फ़तेह द्वारा ट्वीट किया गया यह वीडियो प्राप्त हुआ जिसमें  हिंदुस्तान के जादू जैसा  कैप्शन दिया गया है।
इस वीडियो को लेकर पूरी जानकारी नहीं मिल पा रही थी इसलिए हमनें गूगल में कुछ कीवर्ड्स की मदद के खोज की।  लेकिन कुछ खास हाथ नहीं लगा। इसके बाद वीडियों से कुछ स्क्रीनशाॅट्स निकाले और यांडेक्स की मदद से खोज की युट्यूब पर इसी तरह का वीडियो मिला जिसे दो साल पहले अपलोड किया गया था।  लेकिन इसमें भजन की जगह वंदे मातरम की धुन बज रही थी। और डांसर के स्टेज का बैकग्राउंड भी अलग था।
दोनों वीडियो एक जैसे लग रहे थे इसलिए हमने युट्यूब पर जो वंदे मातरम वाला वीडियो था उसको लेकर जानना चाहा। यह पता नहीं चल पा रहा था यह वीडियो किस जगह का है। वीडियो की शुुरूआत में कुछ कैप्शन चीनी भाषा में लिखे नजर आए इसलिए थोड़ा शक हुआ।
वीडियो से कुछ स्क्रीनशाॅट निकाल कर गूगल किया तो हमें ट्वीटर पर भजन के नाम पर वायरल हो रहा यही वीडियो मिला। दरअसल इस वीडियो को न्यू चाइना टीवी के युट्यूब चैनल पर नवंबर 2018 में अपलोड किया गया है।
वीडियो के डिस्क्रिप्शन में लिखा है- चीन के दिव्यांग जन प्रदर्शन कला मंडली के कलाकारों ने सोमवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हजार हाथों वाला बोधिसत्व नृत्य प्रस्तुत किया। इसकी खबर भी यहां पढ़ी जा सकती है।
इससे साफ होता है कि चीन के दिव्यांग कलाकारों द्वारा न्यूयार्क में प्रस्तुत किए गए बोधिसत्व नृत्य के वीडियो को एडिट कर गलत दावे के साथ वायरल किया गया है।
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Result- False

Authors

After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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