शुक्रवार, मार्च 29, 2024
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यौन शोषण के आरोपी ‘तहलका’ संस्थापक तरुण तेजपाल को लेकर वायरल हुआ भ्रामक सन्देश

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Claim

गोवा की मापुसा कोर्ट ने पत्रकार तरुण तेजपाल यौन शोषण मामले की सुनवाई को 21 अक्टूबर तक स्थगित किया। चिन्मयानंद मामले को लेकर मीडिया को हाथों-हाथ इंसाफ चाहिए था लेकिन पत्रकार तेजपाल के मामले पर एक मिनट की ब्रेकिंग खबर भी नहीं आई। 

 
Verification- 
 
ट्विटर पर संजय कुमार चमोली नामक हैंडल से एक ट्वीट किया गया है। इसमें कहा गया है कि गोवा की मापुसा कोर्ट ने पत्रकार तरुण तेजपाल यौन शोषण मामले की सुनवाई को 21 अक्टूबर तक स्थगित किया। चिन्मयानंद मामले को लेकर मीडिया को हाथों-हाथ इंसाफ चाहिए था। लेकिन पत्रकार तेजपाल के मामले पर एक मिनट की ब्रेकिंग खबर भी नहीं आई।
 
 
 
 
ट्वीट में किए गए दावे को लेकर हमनें पड़ताल शुरू की। इसके लिए गूगल खंगाला। गूगल में तरुण तेजपाल को लेकर कुछ कीवर्ड्स का इस्तेमाल कर खोज की तो कुछ खबरों के रिजल्ट सामने आए।
 
 
खोज के दौरान पता चला कि चमोली द्वारा ट्वीट करने से पहले टाइम्स नाउ ने 21 अक्टूबर तक मामले की सुनवाई स्थगित होने की ब्रेकिंग न्यूज का वीडियो ट्वीट किया था।
 
 
इसके अलावा एएनआई ने भी यह खबर अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित की है।
 
 
 
 
इस बारे में एनडीटीवी ने भी खबर प्रकाशित की है। 
 
 
 
 
लाइव हिंदुस्तान में भी तरुण तेजपाल यौन शोषण मामले की सुनवाई स्थगित होने की खबर प्रकाशित की है। खबर के अनुसार गोवा की एक अदालत में सोमवार को पीड़िता की अनुपस्थिति की वजह से तहलका ‘पत्रिका’ के संस्थापक तरुण तेजपाल के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले की सुनवाई नहीं हो सकी। जिसके बाद गोवा की मापुसा कोर्ट ने सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की अगली तारीख तय कर दी। तेजपाल के खिलाफ यह मामला उनकी एक पूर्व महिला सहकर्मी ने दर्ज कराया है।
 
 
 
इससे साफ होता है कि मीडिया में पत्रकार तरुण तेजपाल यौन शौषण मामले की खबरे तुंरत आई थी। मीडिया को लेकर गलत दावा करने वाला यह ट्वीट जल्दबाजी में किया गया है। इससे पहले भी तरुण तेजपाल को लेकर मीडिया में कई खबरें आई थी। इसलिए यह कहना गलत है कि पत्रकार होने की वजह से मीडिया में तरुण तेजपाल के मामले को लेकर खबरें नहीं चलाई जाती। 
 
 
Tools Used 
 
  • Twitter Advanced Search 
  • Google Keywords Search 
 
Result- Misleading

Authors

After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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