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जावेद आलम द्वारा नहीं बहाए गए गंगा नदी में तैरते शव, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ फेक दावा

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A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.

सोशल मीडिया पर गंगा नदी में तैरते शवों को लेकर दावा किया गया कि सभी शव भगवा वस्त्र में लपेटे गए थे, जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी को बदनाम करने के लिए जावेद आलम नामक एक मुस्लिम युवक ने खरीदकर गंगा में बहाया था.

कोरोना महामारी की शुरुआत से ही बड़ी संख्या में गलत और भ्रामक जानकारियां सोशल मीडिया और WhatsApp ग्रुप्स में वायरल हो रही हैं. सोशल मीडिया पर शेयर किये गए कई पोस्ट्स महामारी, इसके फैलाव, रोकथाम तथा बचाव से संबंधित फेक न्यूज़ फैलाते पाए गए तो वहीं, सोशल मीडिया पर कई ऐसे पोस्ट्स भी शेयर किये गए जिनमें महामारी के लिए एक विशेष समुदाय या सम्प्रदाय को जिम्मेदार ठहराया गया. महामारी की रोकथाम के साथ-साथ गलत और भ्रामक जानकारी को भी रोकना भी बहुत आवश्यक है, अन्यथा इनसे समाज में द्वेष फ़ैल सकता है और सामाजिक सौहार्द बिगड़ने का भी खतरा बना रहता है.

बीते दिनों नदियों में बहते शवों की खबरें सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी. राज्य के कई हिस्सों से नदियों में शवों के तैरने की खबरें प्रकाश में आई. कई मीडिया संस्थानों से जुड़े मीडियाकर्मियों ने गंगा नदी में तैरते शवों के साथ जानवरों द्वारा छेड़छाड़ की तस्वीरें और वीडियोज भी शेयर किये थे. सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा वाराणसी में कुत्ते द्वारा शव खाने की एक तस्वीर भी खासा वायरल हुई थी जो हमारी पड़ताल में भ्रामक साबित हुई थी. इसी क्रम में सोशल मीडिया पर गंगा नदी में तैरते शवों को लेकर यह दावा किया गया कि “गंगा नदी में जितने भी शव तैरते मिले सब भगवा वस्त्रों में थे. कफ़न तो सफेद रंग का होता है नहीं समझे, जावेद आलम गिरफ्तार. UP से शवों को खरीदकर गंगा में फेंका. बस मोदी को हटाने की साजिश चल रही है देश में.”

यह दावा फेसबुक पर भी ख़ासा वायरल हो रहा है. कई फेसबुक यूजर्स तथा पेजों ने इस दावे को शेयर किया है.

गंगा नदी में तैरते शवों को जावेद आलम नामक युवक ने बहाया था

Fact Check/Verification

सोशल मीडिया पर गंगा नदी में तैरते शवों को लेकर वायरल हुए पोस्ट की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले दावे में मौजूद कुछ कीवर्ड्स को लेकर गूगल सर्च किया. इस प्रक्रिया में हमें ऐसी कोई मीडिया रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई, जिसमें यह जानकारी दी गई हो कि गंगा नदी में तैरते शवों को जावेद आलम नामक व्यक्ति ने बहाया हो या फिर सभी शव भगवा वस्त्र में लपेटे गए हों.

इसके बाद कुछ अन्य कीवर्ड्स की सहायता से ढूंढने पर हमें दैनिक भास्कर द्वारा प्रकाशित एक ग्राउंड रिपोर्ट प्राप्त हुई। दैनिक भास्कर के 30 रिपोर्टर्स द्वारा यूपी के 27 ऐसे जिलों में नदियों में बहते शवों की पड़ताल की गई जहाँ से गंगा नदी गुजरती है. भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार 1140 किलोमीटर का जो दायरा दैनिक भास्कर के रिपोर्टर्स ने तय किया था उसमें 2 हजार से ज्यादा शव गंगा नदी में तैरते दिखे थे. रिपोर्ट के मुताबिक़, “दैनिक भास्कर के 30 रिपोर्टर्स ने बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, हापुड़, अलीगढ़, कासगंज, संभल, अमरोहा, बदांयू, शाहजहांपुर, हरदोई, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, भदोही, मिर्जापुर, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर और बलिया में गंगा किनारे घाट और गांवों का जायजा लिया। गंगा यूपी के इन्हीं जिलों में 1140 किलोमीटर का सफर तय करके हुए बिहार में दाखिल होती है। इनमें कानपुर, कन्नौज, उन्नाव, गाजीपुर और बलिया में हालात बेहद खराब मिले। तो बाकी जिलों में हालात काबू में दिखे।” गौरतलब है कि भास्कर द्वारा प्रकाशित इस पूरी रिपोर्ट में कहीं भी जावेद आलम नामक व्यक्ति या गंगा नदी में तैरते शवों के भगवा वस्त्रों में लिपटे होने का कोई जिक्र नहीं है.

गंगा नदी में तैरते शवों के बारे में और अधिक जानकारी के लिए हमने अमर उजाला द्वारा प्रकाशित एक ग्राउंड रिपोर्ट में वायरल दावे से संबंधित जानकारी ढूंढने का प्रयास किया. लेकिन अमर उजाला द्वारा प्रकाशित इस पूरी रिपोर्ट में भी कहीं जावेद आलम नामक व्यक्ति या गंगा नदी में तैरते शवों के भगवा वस्त्रों में लिपटे होने का कोई जिक्र नहीं मिला.

इसके बाद हमने जावेद आलम नामक व्यक्ति की गिरफ़्तारी के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए कुछ अन्य कीवर्ड्स को गूगल पर ढूंढा. इस पूरी प्रक्रिया में हमें ऐसे किसी जावेद आलम की गिरफ्तारी का कोई जिक्र नहीं मिला, जिसने गंगा नदी में बहते शवों को ख़रीदा हो.

Conclusion

इस तरह हमारी पड़ताल में यह बात साफ हो जाती है कि गंगा नदी में तैरते शवों को खरीदकर उन्हें भगवा वस्त्र में लपेटकर बहाने वाले जावेद आलम नामक युवक की गिरफ्तारी का दावा गलत है. हमारी पड़ताल में हमें ऐसे किसी जावेद आलम के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली जिसने शवों को खरीदकर उन्हें गंगा नदी में बहाया हो.

Result: False

Our Sources

Media Reports

Social Media Posts

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A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.

Saurabh Pandey
A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.

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