Authors
Claim
किसान आंदोलन में खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जाने का वीडियो।
Fact
यह पुराना वीडियो साल 2021 का है। इसका संबंध हालिया किसान आंदोलन से नहीं है।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो को इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि यह किसान आंदोलन में खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जाने का है। हालांकि, जांच में हमने पाया कि यह वीडियो दिसंबर 2021 का है और इसका संबंध हालिया किसान आंदोलन से नहीं है।
वीडियो में सिख पगड़ी पहने, मोटर साइकिल पर सवार कई युवक ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे हैं। सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस वीडियो को हालिया किसान आंदोलन से जोड़कर शेयर किया है। एक एक्स यूज़र्स ने इस वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है कि ‘किसान आंदोलन में खलिस्तान जिंदाबाद के नारे क्यों!?‘
ज्ञात हो कि किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित 12 मुख्य मांगों को लेकर 13 फरवरी 2024 को पंजाब से दिल्ली के लिए कूच करने का ऐलान किया था। एक तरफ किसान अमृतसर दिल्ली-नेशनल हाईवे के रास्ते हरियाणा में घुसने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं अंबाला में शभुं बॉर्डर को पूरी तरह से सील कर दिया गया है, जिससे किसान अभी पंजाब-हरियाणा के बॉर्डर पर ही हैं। एक तरफ किसानों को काबू में करने और दिल्ली आने से रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस और रबड़ की गोलियां छोड़ी हैं, लेकिन दूसरी तरफ किसान भी दिल्ली जाने की मांग पर अड़े हुए हैं।
Fact Check/Verification
साल 2022 में भी मोटर साइकिल पर सवार युवकों द्वारा ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाये जाने का यह वीडियो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के बीच युवाओं द्वारा खालिस्तान के नारे लगाए जाने के दावे के साथ वायरल हुआ था। 6 जनवरी 2022 को किये गए फैक्ट चेक में भी न्यूज़चेकर ने इस वीडियो को पुराना बताया था।
पड़ताल के लिए हमने वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च किया। इसके परिणाम में हमें एक एक्स हैंडल @TheAngryLord का 27 दिसंबर 2021 का एक पोस्ट मिला, जिसमें यही वीडियो शेयर किया गया है। साथ ही ‘द डेन’ द्वारा 22 फरवरी, 2022 को प्रकाशित रिपोर्ट में भी वायरल वीडियो की तस्वीर देखने को मिलती है।
जांच में आगे हमें 27 दिसंबर 2021 को फेसबुक पर अपलोड हुआ यही वीडियो मिला। वीडियो के कैप्शन में लिखा गया है, ‘जब सीएम चन्नी ने गुरुद्वारा फतेहगरब साहिब में मत्था टेका, तो पंजाब के युवाओं ने साहिबजादों की याद में “केसरी मार्च” निकाला और खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए।’
प्राप्त जानकारी से पता चलता है कि यह वीडियो साल 2021 से ही इंटरनेट पर मौजूद है। इससे स्पष्ट है कि यह वीडियो मौजूदा किसान आंदोलन का नहीं है।
Conclusion
हमारी जांच में मिले साक्ष्यों से यह साफ़ है कि यह एक पुराना वीडियो है और इसका संबंध हालिया किसान आंदोलन से नहीं है। हालांकि, हम स्वतंत्र रूप से इस बात की पुष्टि नहीं करते कि यह वीडियो किस घटना से सम्बंधित है।
Result: False
Sources
Several old social media posts of year 2021 and 2022.
किसी संदिग्ध ख़बर की पड़ताल, संशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044 या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in
फैक्ट-चेक और लेटेस्ट अपडेट्स के लिए हमारा WhatsApp चैनल फॉलो करें: https://whatsapp.com/channel/0029Va23tYwLtOj7zEWzmC1Z