अहमदाबाद में उपद्रवियों पर कार्रवाई मामले से जोड़कर 15 मार्च 2025 को किये गए एक्स पोस्ट (आर्काइव) में दो वीडियो क्लिप्स का कोलाज शेयर किया गया है। वीडियो में एक व्यक्ति उठक-बैठक लगता नजर आ रहा है, तो दूसरी ओर एक घर को ध्वस्त करते दिखाया गया है।
वीडियो के साथ कैप्शन में लिखा है, “लिल्लाह ! अब्दुल को लाख समझाया पर अब्दुल नहीं माना ! गुजरात में गुंडागर्दी कर रहे 30 से ज्यादा गुडों के घर को गुजरात पुलिस ने मिट्टी में मिला दिया ! 30 से ज्यादा गुंडो के घर तोड़े गए पूरे एरिया में जगह-जगह गुंडो की अच्छी तरह सर्विसिंग की गई सड़कों पर बांधकर तोड़ा और गुजसिटोक जैसे धारा लगाकर जेल भेजा गया !”
एक अन्य पोस्ट (आर्काइव) में तीन वीडियो शेयर किये गए हैं। वीडियो में कुछ लोगों पर लाठी-चार्ज होता दिखाई दे रहा है।


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Fact Check/Verification
दावे की पड़ताल के लिए हमने ‘अहमदाबाद में उपद्रवियों पर कार्रवाई’ की-वर्ड्स को गूगल सर्च किया। इस दौरान हमें इस मामले से जुड़ी कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं। 15 मार्च को एबीपी न्यूज़ द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि 13 मार्च की रात को अहमदाबाद के वस्त्राल इलाके में राहगीरों पर रॉड से हमला और वाहनों में तोड़फोड़ करने की घटना सामने आई थी।
इसके बाद पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए नाबालिग समेत 14 हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया था और गिरफ्तारी के बाद बदमाशों का जुलूस निकाला था। रिपोर्ट में बताया गया है कि पुलिस की टीम ने बदमाशों पर डंडे भी बरसाए और बदमाश, पुलिस के सामने गिड़गिड़ाते नजर आए।
13 मार्च को अहमदाबाद में उपद्रवियों पर कार्रवाई पर ज़ी न्यूज़ द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में वायरल दावे के साथ शेयर हो रहे वीडियो के दृश्य नजर आते हैं। मिलान करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि वायरल हो रहे क्लिप, अहमदाबाद में उपद्रवियों पर हुई पुलिसिया कार्रवाई के ही हैं।



जांच में हमने पाया कि यह मामला दो गुटों की आपसी रंजिश का था। ज़ी न्यूज़ द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘FIR के मुताबिक यह घटना दो गुटों के बीच निजी रंजिश की वजह से हुई। पूरी घटना नजदीकी सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई, जिसमें साफ तौर पर हिंसा और तोड़फोड़ देखी जा सकती है। जिसमें एक गुट के लोग, दूसरे गुट के एक आदमी को पीटने के लिए अहमदाबाद के वस्त्राल इलाके में गए थे। जब आदमी नहीं मिला तो उपद्रवियों ने उस इलाके में उत्पात मचा दिया।’
इस मामले में कार्रवाई करते हुए अहमदाबाद पुलिस ने 14 हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया और गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने बदमाशों पर सरेआम लाठी चार्ज कर उनका जुलूस निकाला। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि प्रशासन ने आरोपियों के अवैध तरीके से बने घरों को भी ध्वस्त कर दिया।
हालाँकि, इस मामले पर छपी किसी भी रिपोर्ट में आरोपियों के मुस्लिम होने या इस मामले के सांप्रदायिक होने की जानकारी नहीं दी गई है। गुजरात समाचार द्वारा इस मामले पर प्रकाशित रिपोर्ट में गिरफ्तार किये गए सभी 14 आरोपियों के नाम दिये गये हैं। रिपोर्ट में दिए गए सभी आरोपियों के नामों (अलदीप मौर्या, श्याम कमली, विकास उर्फ बिट्टू परिहार, अशिल मकवाना, रोहित उर्फ दुर्लभ सोनवणे, निखिल चौहान, मयूर मराठी, प्रदीप उर्फ मोनू तिवारी, राजवीर सिंह बिहोला, अल्केश यादव, आयूष राजपूत, दिनेश राजपूत और दीपक कुशवाहा) में से कोई भी मुस्लिम नाम नहीं है।

मामले पर अधिक जानकारी के लिए हमने रमोल पुलिस स्टेशन से संपर्क किया। फ़ोन पर हुई बातचीत में रमोल पुलिस स्टेशन की ओर से दावे को फ़र्ज़ी बताते हुए स्पष्ट किया गया कि यह मामला सांप्रदायिक नहीं था और ना ही इस मामले में पकड़ा गया कोई आरोपी मुस्लिम समुदाय से है।
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Conclusion
जांच से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि अहमदाबाद में उपद्रवियों पर कार्रवाई के वीडियो को फ़र्ज़ी सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
Sources
Report published by Zee News on 15th March 2025.
Report published by ABP news on 15th March 2025.
Report published by Gujrat Samachar on 15th March 2025.
Phonic conversation at Ramol Police station.