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बीते बुधवार यानि 13 दिसंबर को संसद में उस समय अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई जब लोकसभा की कार्यवाही के दौरान अचानक दर्शक दीर्घा से दो शख्स सदन के चैंबर में घुस गए और वहां पीले रंग का धुआं फैलाने लगे. हालांकि, सदन में मौजूद रहे सांसदों ने दोनों को पकड़ कर अपने कब्जे में ले लिया और दोनों की पिटाई भी की.
इसी बीच सदन के बाहर दो शख्स जिनमें एक लड़की भी शामिल थी, उन्होंने पीले रंग का धुंआ छोड़ते हुए नारेबाजी करनी शुरू कर दी. हालांकि, वहां मौजूद दिल्ली पुलिस के जवानों ने दोनों को पकड़ लिया. इसी दौरान पुलिस ने सदन के अंदर घुसे दोनों व्यक्तियों को भी गिरफ्त में ले लिया. बाद में सदन के अंदर घुसकर प्रदर्शन करने वाले दोनों लोगों की पहचान की गयी तो पता चला कि उनके नाम सागर शर्मा और मनोरंजन है। वहीं, संसद के बाहर प्रदर्शन करने वालों के नाम अमोल शिंदे और नीलम है.
इसके अलावा, पुलिस ने इस मामले में महेश और ललित झा नाम के दो अन्य व्यक्तियों को भी गिरफ्तार किया है. न्यूज़ रिपोर्ट्स के अनुसार, ललित झा इस पूरी घटना का मास्टर माइंड है. 32 साल का ललित झा मूलरूप से बिहार का रहने वाला है और वह कोलकाता में टीचर की नौकरी करता है.
संसद की सुरक्षा में सेंध लगने की ख़बर कल दिन भर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय रही और सबसे ज्यादा चर्चा इस मामले में गिरफ्तार की गई नीलम आजाद की हुई. कई यूज़र्स ने नीलम के तार किसान आंदोलन और इस साल की शुरुआत में हुए पहलवान आंदोलन से जोड़कर उसे विपक्षी दलों का कार्यकर्ता या समर्थक दिखाने की भी कोशिश की. इस दौरान उसके सोशल मीडिया अकाउंट पर मौजूद फ़ोटोज भी काफ़ी सर्कुलेट किए गए, जिनमें वे अलग अलग आंदोलनों और प्रदर्शनों में नज़र आ रही हैं.
हमने भी इस दौरान नीलम के सोशल मीडिया अकाउंट, जैसे इंस्टाग्राम, फ़ेसबुक और ट्विटर अकाउंट को खंगाला, तो हमने पाया कि वह इन अकाउंट्स पर साल 2022 से ही सक्रिय हुई है. वह इन सभी अकाउंट्स पर खुद को नीलम आजाद निवासी जींद, हरियाणा बताती हैं. इसके अलावा, वह खुद को हरियाणा के जींद इलाके में सक्रिय स्थानीय संगठन प्रगतिशील आजाद युवा संगठन का सदस्य बताती है.


नीलम के अकाउंट्स पर अपलोड किए गए फ़ोटो के अनुसार, वह पहलवान आंदोलन समेत हरियाणा और खासकर जींद और नरवाना इलाके में बेरोजगारी, जातीय भेदभाव, मजदूरों और किसानों से जुड़े मुद्दों को लेकर हुए आंदोलनों में काफ़ी सक्रिय रही हैं. उन्होंने इन आंदोलनों की तस्वीरें अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी साझा की हैं. आप इनमें से कुछ तस्वीरों को नीचे देख सकते हैं.





इसके अलावा, हमने यह भी पाया कि उनके नाम से बने X अकाउंट से 2022 में दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के बाद अमित शाह के आदेश पर दंगा करने वालों पर एनएसए लगाए जाने का भी समर्थन किया गया था. इतना ही नहीं, वह अपने एक ट्वीट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर यह भी लिख चुकी हैं कि “जनता आपको पीएम देखना चाहती है”.


खोजने पर यह भी पता चला कि नीलम ने आम आदमी पार्टी के ट्वीट्स को भी रिट्वीट किया है।

खोजने पर हमें नीलम के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर 2020 से लेकर 2021 तक चले देशव्यापी किसान आंदोलन में उनके शामिल होने से जुड़ी फ़ोटो नहीं मिली. लेकिन बीते दिनों प्रकाशित कई न्यूज़ रिपोर्ट्स में उनके किसान आंदोलन में शामिल होने का भी ज़िक्र किया गया था. इसलिए हमने जींद इलाके के किसान नेता और हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य आजाद पालवां से संपर्क किया.
आजाद पालवां ने हमें बताया कि “नीलम मूल रूप से हरियाणा के जींद जिले के घसो खुर्द इलाके की रहने वाली है. वे सामजिक रूप से पिछड़ी कही जाने वाली कुम्हार जाति से ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता कोहर सिंह हलवाई का काम करते हैं. नीलम की तीन बहनें और दो भाई हैं. गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली नीलम काफ़ी पढ़ी लिखी हैं. उन्होंने B.A, M.A, M.Phil की भी पढ़ाई की है. इसके अलावा, उन्होंने NET और HTET भी क्वालिफाई किया है. नीलम 2020-2021 में हुए किसान आंदोलन के दौरान खटकड़ टोल प्लाजा पर हुए आंदोलन में काफ़ी सक्रिय थीं. वे अपने गांव की महिलाओं के साथ अक्सर इस आंदोलन में शामिल होने के लिए आती थी”.
आगे यह सवाल पूछे जाने पर कि क्या वे किसी किसान संगठन या राजनीतिक दल से भी ताल्लुक रखती हैं, तो उन्होंने कहा कि “वह किसी किसान संगठन में शामिल नहीं हैं. इसके अलावा उसके किसी राजनीतिक पार्टी से भी संबंध नहीं हैं. जिस वायरल वीडियो को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि वह कांग्रेस या आईएनएलडी से जुड़ी है, दरअसल वह हमारे ही धरने की है जो उचाना तहसील में पिछले एक साल से चल रहा है. उनका किसी भी संगठन से कोई जुड़ाव नहीं है. हम सरकार से नीलम को रिहा करने और उनके खिलाफ़ लगे UAPA की धारा को भी ख़त्म करने की मांग करते हैं.”
आजाद पालवां के नेतृत्व में गुरुवार को जींद के उचाना में नीलम की रिहाई की मांग को लेकर एक धरना भी आयोजित किया गया था. इसमें जींद और आसपास के कई किसान नेता शामिल हुए और उन्होंने नीलम को रिहा करने और उनके ऊपर लगे यूएपीए की संगीन धारा हटाने की मांग की. इस दौरान यह भी फैसला लिया गया था कि अगर जल्दी ही इन मांगों पर कार्रवाई नहीं की जाती है तो हरियाणा के सभी संगठनों से बातकर बड़ा फैसला लिया जाएगा.
हमने इस दौरान उनके परिवार वालों से भी संपर्क करने की कोशिश की है, उनका जवाब आने पर स्टोरी को अपडेट कर दिया जाएगा.
हालांकि हमें जांच में कई ऐसी वीडियो रिपोर्ट्स मिली, जिनमें नीलम के भाई रामनिवास का बयान मौजूद है. रिपोर्ट्स में रामनिवास ने उसकी शिक्षा समेत कई अन्य जानकारियां दी हैं. रामनिवास ने यह भी बताया है कि पहले उसका नाम नीलम देवी था, लेकिन बाद में उसने अपना नाम आजाद रख लिया. वह रोजगार को लेकर बहुत परेशान थी. वह वर्तमान में हिसार में पीजी में रहकर पढ़ाई करती थी. वहीं, उसकी मां सरस्वती ने भी मीडिया से बात करते हुए कहा था कि वह रोजगार को लेकर भटक रही थी. उसने बेरोजगारी की वजह से यह कदम उठाया है और अगर सरकार उसे रोजगार दे तो हम माफ़ी मांग लेंगे.